ओजोन परत हो रही है दुरुस्त: डब्ल्यूएमओ की नई रिपोर्ट

विश्व ओजोन दिवस (16 सितम्बर) पर विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा जारी ओजोन बुलेटिन 2024 में कहा गया है कि पिछले साल ओजोन क्षरण का स्तर कम रहा
साल 2024 में अंटार्कटिका के ऊपर बनने वाला ओजोन छिद्र हाल के वर्षों की तुलना में छोटा रहा
साल 2024 में अंटार्कटिका के ऊपर बनने वाला ओजोन छिद्र हाल के वर्षों की तुलना में छोटा रहाफोटो साभार: आईस्टॉक
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पृथ्वी के लिए नुकसानदायक पराबैंगनी (यूवी) किरणों से बचाने वाली ओजोन परत लगातार दुरुस्त हो रही है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की नई रिपोर्ट में इस आशय की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में अंटार्कटिका के ऊपर बनने वाला ओजोन छिद्र हाल के वर्षों की तुलना में छोटा रहा। यह खबर इंसानों और धरती दोनों के लिए राहत की है।

डब्ल्यूएमओ के ओजोन बुलेटिन 2024 में कहा गया है कि पिछले साल ओजोन क्षरण का स्तर कम रहा। इसका कारण आंशिक रूप से वातावरण में होने वाले प्राकृतिक उतार-चढ़ाव रहे, लेकिन असली वजह लंबे समय से हो रहे वैश्विक प्रयास हैं।

यह बुलेटिन विश्व ओजोन दिवस (16 सितम्बर) और वियना कन्वेंशन की 40वीं वर्षगांठ पर जारी किया गया। वियना कन्वेंशन ने पहली बार ओजोन क्षरण को वैश्विक समस्या माना और देशों को शोध, निगरानी और सहयोग के लिए एक साझा मंच दिया।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतरेस ने कहा, “40 साल पहले, देशों ने विज्ञान के मार्गदर्शन और साझा संकल्प के साथ ओजोन परत की रक्षा के लिए कदम बढ़ाया था। वियना कन्वेंशन और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल बहुपक्षीय सहयोग की मिसाल बने। आज ओजोन परत ठीक हो रही है, जो इस बात का सबूत है कि जब देश विज्ञान की चेतावनियों को मानते हैं, तो प्रगति संभव है।”

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता

दावा किया गया कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत अब तक ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन और इस्तेमाल में 99 प्रतिशत से अधिक की कमी की जा चुकी है। पहले इनका इस्तेमाल रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, फोम और यहां तक कि हेयरस्प्रे तक में होता था। इसी कारण अब ओजोन परत इस सदी के मध्य तक 1980 के दशक के स्तर पर लौटने की उम्मीद है। इससे त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और पारिस्थितिक तंत्र को यूवी विकिरण से होने वाले नुकसान का खतरा काफी कम हो जाएगा।

डब्ल्यूएमओ की महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा, “इस साल विश्व ओजोन दिवस का विषय “विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई तक” है। यह हमारे 75 साल पूरे होने के नारे ‘कार्रवाई के लिए विज्ञान’ से मेल खाता है। ओजोन परत पर हमारा शोध विश्वास, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मुक्त डेटा आदान-प्रदान पर टिका है। यही दुनिया के सबसे सफल पर्यावरणीय समझौते की नींव है।”

सतत विकास लक्ष्यों में योगदान

ओजोन परत की सुरक्षा ने संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद की है। इनमें  सतत विकास लक्ष्य तीन : अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, सतत विकास लक्ष्य 13: जलवायु कार्रवाई, सतत विकास लक्ष्य 2: भुखमरी समाप्त करना सतत विकास लक्ष्य 15: स्थलीय जीवन शामिल हैं।

अंटार्कटिक ओजोन छिद्र में सुधार

रिपोर्ट बताती है कि 2024 में धरती के ज्यादातर हिस्सों पर ओजोन परत मोटी रही। अंटार्कटिका के ऊपर हर साल वसंत में बनने वाला ओजोन छिद्र भी इस बार छोटा था। 29 सितम्बर को इसका अधिकतम ओजोन मास डेफिसिट 4.61 करोड़ टन दर्ज हुआ, मतलब कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत से लगभग 4.61 करोड़ टन ओजोन गैस कम हो गई, जो 2020 से 2023 के बीच बने बड़े छिद्रों की तुलना में छोटा था।

इस बार इसका आरंभ धीमा रहा और सितंबर में देर से क्षरण देखा गया। बाद में यह तेजी से ठीक हुआ। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह अंटार्कटिक ओजोन छिद्र की शुरुआती रिकवरी का संकेत है।

किगाली संशोधन और भविष्य

रिपोर्ट में 2016 के किगाली संशोधन का भी ज़िक्र है, जिसके तहत देशों ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) गैसों को घटाने का वादा किया। ये शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं, जिन्हें ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अब तक 164 देश इसे मंजूरी दे चुके हैं। अनुमान है कि इससे सदी के अंत तक वैश्विक तापमान वृद्धि को 0.5 डिग्री सेल्सियस तक रोका जा सकेगा।

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