संसद में आज: केवल 20 शहरों ने ही तय किए एनएएक्यूएस के मानक

देश में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) से 29,520 किलोग्राम प्रति दिन की बायो सीएनजी उत्पादन क्षमता वाले 6 संयंत्र हैं
संसद में आज: केवल 20 शहरों ने ही तय किए एनएएक्यूएस के मानक
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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत, 131 शहरों को पीएम 10 की मात्रा को कम करने के लिए वार्षिक लक्ष्य तय किए गए हैं। एनसीएपी के तहत शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार के आंकड़े हर साल संकलित किए जाते हैं और इसकी तुलना आधार वर्ष के वार्षिक औसत से की जाती है।

131 शहरों में से 95 शहरों में वार्षिक पीएम-10 सांद्रता के मामले में वायु गुणवत्ता में सुधार दिखाई दिया। लेकिन पीएम10 के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) को 2021-22 तक 20 शहरों ने हासिल किया है। 2017-18 में इनकी संख्या 4 थी। इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को दी। 

पर्यावरण मंजूरी के अभाव में लंबित परियोजनाएं

पांच दिसंबर 2022 को परिवेश पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006 के प्रावधानों के अनुसार पर्यावरण मंजूरी (ईसी) से संबंधित तेलंगाना के 6 प्रस्तावों सहित लगभग 117 प्रस्ताव विचार के विभिन्न चरणों में हैं। 

ईआईए अधिसूचना 2006 के प्रावधानों के अनुसार, ईसी के मंजूरी के लिए निर्धारित समय सीमा पूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत करने की तिथि से 105 दिन है। मंत्रालय द्वारा किए गए विभिन्न उपायों या पहलों के कारण, वर्ष 2021 में ईसी की मंजूरी में औसत समय घटकर 75 दिन से चालू वर्ष में 64 दिन हो गया है। इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को दी।

प्लास्टिक से संबंधित महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दे

वर्ष 2019-20 के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में प्लास्टिक कचरे का उत्पादन 34.69 लाख टन प्रति वर्ष (टीपीए) हुआ, जिसमें से लगभग 15.8 लाख टीपीए प्लास्टिक कचरे का पुनर्नवीनीकरण किया गया और 1.67 लाख टन टीपीए को सीमेंट भट्टों में सह-संसाधित किया गया था।  इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को दी।

देश में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने 2029-30 की अवधि के लिए उत्पादन बढ़ाने की योजना का अध्ययन किया गया है, जिससे पता चलता है कि देश के कुल उत्पादन के मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादन का हिस्सा, जो 2021-22 के दौरान 22.1 प्रतिशत है, वर्ष 2029-30 के दौरान 40.9 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।

31.10.2022 तक देश में बिना जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से कुल 172.72 गीगा वाट क्षमता स्थापित की गई है। इसमें 119.09 गीगा अक्षय ऊर्जा, 46.85 गीगा बड़ी हाइड्रो और 6.78 गीगा वाट परमाणु ऊर्जा क्षमता शामिल है। देश में कुल स्थापित उत्पादन क्षमता का 42.26 प्रतिशत हिस्सा है, यानी 31.10.2022 तक 408.71 गीगा वाट, यह आज नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली मंत्री आर के सिंह ने लोकसभा में बताया।

भू-जल स्तर में कमी

केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) निगरानी कुओं के नेटवर्क के माध्यम से देश भर में समय-समय पर क्षेत्रीय स्तर पर भूजल स्तर की निगरानी कर रहा है। भूजल स्तर में लंबे समय के उतार-चढ़ाव का आकलन करने के लिए, नवंबर 2002 के दौरान सीजीडब्ल्यूबी द्वारा एकत्र किए गए जल स्तर के आंकड़ों की तुलना नवंबर 2016 के आंकड़ों से की गई है।

विश्लेषण के परिणाम बताते हैं कि 7,233 कुओं में से 3,800 कुओं (52.5 प्रतिशत) ने जल स्तर में शुद्ध वृद्धि दिखाई है और 3,397 कुओं (47 प्रतिशत) ने जल स्तर में गिरावट दिखाई है, जबकि 36 कुओं (0.5 प्रतिशत) में जल स्तर में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा को दी।

ठोस कचरे से बिजली

30.11.2022 तक, देश में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) से 29,520 किलोग्राम प्रति दिन की बायोसीएनजी उत्पादन क्षमता वाले 6 संयंत्र और 164.14 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले 12 संयंत्र चल रहे हैं, यह आज नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली मंत्री आर के सिंह ने लोकसभा में बताया।

नदियों की सफाई

सितंबर 2018 में सीपीसीबी द्वारा प्रकाशित अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, जैव-रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), जो कि जैविक प्रदूषण का एक संकेतक है, निगरानी परिणामों के आधार पर 323 नदियों के 351 प्रदूषित हिस्सों की पहचान की गई थी। इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में बताया। 

देश में ई-कचरे के 14 लाख मीट्रिक टन से अधिक की प्रसंस्करण क्षमता है

ई-कचरे के उत्पादन पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आकलन के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 और 2021 के दौरान देश में उत्पन्न ई-कचरे की मात्रा 13,46,496.31 मीट्रिक टन थी। देश में 14,42,561.22 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की प्रसंस्करण क्षमता वाली 474 नष्ट करने या पुनर्चक्रण इकाइयां हैं। जो दर्शाता है कि ई-कचरे के प्रबंधन के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध है। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

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