भोपाल गैस कांड को इस दिसंबर 37 साल पूरे हो जाएंगे। 3 दिसंबर, 1984 को सुबह तीन बजे भोपाल में यूनियन कार्बाइड से निकलने वाली जहरीली गैस ने शहर को इस कदर तबाह किया कि उसका प्रभाव आज तक देखा जा रहा है। इतने वर्ष बीतने के बाद भी गैस पीड़ित आजतक मौलिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसमें इलाज की कमी, पेंशन में अनियमितता और इलाके में प्रदूषण सहित दर्जनों समस्याएं शामिल हैं।
गैस पीड़ितों की समस्याओं को लेकर काम करने वाली कई संस्थाएं साथ मिलकर इन सवालों को उठा रही हैं। 37 वर्ष पूरा होने पर संस्थाओं ने बीते 20 दिन से हर रोज एक सवाल उठाया है और 37 सवाल पूरा होने तक यह सिलसिला चलेगा।
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की संस्थापक और गैस पीड़ित शहज़ादी बी कहती हैं , "हम पिछले 37 सालों से राहत और मुआवजे का इंतज़ार ही कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2011 में गैस पीड़ितों को 5 लाख रुपय का मुआवज़ा देने की घोषणा की थी पर अभी तक ये धनराशि नहीं दी गई है। उस पर अब मुख्यमंत्री हम लोगों को मिलने का समय भी नहीं देते कि हम उन से बात-चीत कर उनके सामने अपनी परेशानियां रख सकें।"
"मेरा बेटा अब 44 साल का होने को है । गैस कांड के समय वह 7 वर्ष का था। उस हादसे के बाद से, जहरीली गैस में सांस लेने से उसे छाती का दर्द रहने लगा। बढ़ते -बढ़ते इतना बढ़ गया वह चाह कर भी काम नहीं कर पाता। जवान लड़के अपने परिवार का सहारा बनते है पर मेरे घर में मेरे पति के देहांत के बाद अब कोई कमानेवाला नहीं बचा है। मेरी बेटियां जो उस समय 4 और 8 वर्ष की थीं , वे भी त्रासदी के बाद बीमार रहने लगी हैं। उनकी आंखों के रौशनी चली गई है पर सरकार की तरफ से उनके इलाज के लिए कोई रहत राशि नहीं दी गई।" उन्होंने डाउन टू अर्थ को बताया। यह भी पढ़ें : आज भी मां जन्म रही बीमार बच्चा, सरकार ने दबाई रिपोर्ट
समाज सेविका और भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा का कहना है कि गैस प्रभावित 22 बस्तियों में आज भी लोग सरकार से उम्मीद रखते हैं। इस वर्ष वह सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए गैस पीड़ितों के साथ 26 अक्टूबर से धरने पर बैठ हर दिन एक नया सवाल पूछती हैं। 14 नवंबर तक 20 सवाल पूछे जा चुके हैं।
"आज भी पीड़ितों के परिवार में चर्मरोग , सांस की तकलीफ , बांझपन, विकलांगता , जन्मजात विसंगति और अनेकों दूसरी बीमारियां मौजूद हैं। जहरीले पानी के कारण नई पीढ़ी के बच्चों में भी ये बीमारियां हो रही हैं। इस पर हम सरकार से पूछना चाहते है कि इन पीड़ितों के इलाज , पुनर्वास और रोज़गार के लिए क्यों कुछ नहीं किया जा रहा है?" ढींगरा ने कहा।
वे आगे बताती हैं , "15 नवंबर को प्रधान मंत्री रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (पुराना नाम हबीबगंज रेलवे स्टेशन) के उद्घाटन के लिए भोपाल आ रहे हैं। इस अवसर पर हमने पीएमओ को ट्वीट कर, जिला अधिकारी को पत्र लिख कर और तमाम तरीकों से मोदी जी से 15 मिनट का समय मांगा है परन्तु कहीं से भी कोई जवाब नहीं आया है। 2014 के बाद से मोदी जी कई बार भोपाल आये हैं पर उनके पास हमारे लिए कभी वक़्त नहीं रहता।"
ये रहे अबतक पूछे गए 20 सवाल