अब बिहार और उत्तर प्रदेश के 1,400 ग्रामीण इलाकों में वायु गुणवत्ता की होगी निगरानी : आईआईटी कानपुर

सीओई का समग्र दृष्टिकोण, एआई क्षमताओं के साथ नए सेंसर तकनीकों को आपस में जोड़ना है, यह दुनिया भर में टिकाऊ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक मिसाल कायम करने के लिए तैयार है।
फोटो साभार :आई-स्टॉक
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कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने एयर-क्वालिटी आईइंडिकेटर्स की निगरानी के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी (एटीएमएएन) नामक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना की है। 

सीओई की पहल तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बढ़ाने के लिए स्वदेशी कम लागत वाले सेंसर निर्माण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसमशीन लर्निंग (एआई/एमएल) क्षमताओं के निर्माण पर आधारित है।

एटीएमएएन भारत के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों के लिए टिकाऊ तकनीकों और व्यापार मॉडल को व्यावहारिक उत्पादों और सेवाओं में बदलना है।

ब्लूमबर्ग फिलैंथ्रोपीज, ओपन फिलैंथ्रोपी और क्लीन एयर फंड सहित कई संस्थाओं द्वारा समर्थित, एटीएमएएन का लक्ष्य अत्याधुनिक तकनीक के साथ वायु गुणवत्ता संबंधी चुनौतियों का समाधान करना है।

प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से आईआईटी कानपुर के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर एस गणेश ने कहा कि, आईआईटी कानपुर ने वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में भारी प्रगति की है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस-एटीएमएएन की स्थापना की इस पहल ने संस्थान को वायु प्रदूषण से निपटने के प्रयासों में सबसे आगे खड़ा कर दिया है। एटीएमएएन वायु प्रदूषकों से जुड़े स्वास्थ्य को होने वाले खतरों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के साथ-साथ वायु गुणवत्ता मानकों की व्यापक समीक्षा के लिए समर्पित है।

उन्होंने बताया कि, ऐसी कई परियोजनाएं हैं जो वर्तमान में एटीएमएएन में चल रही हैं। स्वदेशी प्रौद्योगिकी (एएमआरआईटी) का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों की परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी एक प्रमुख परियोजना है जो बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में 1,400 जगहों के साथ एक सघन सेंसर परिवेशी वायु गुणवत्ता मॉनिटर (एसएएक्यूएम) नेटवर्क की तैनाती करना है।

उन्होंने कहा, यह पहल इन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की व्यापक निगरानी के लिए अपनी तरह की पहली पहल है, जहां आंकड़े शहरों और कस्बों तक ही सीमित है। सीओई टीम इन राज्यों में वायु गुणवत्ता कार्रवाई को बढ़ाने के लिए बिहार के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ काम करेगी।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, डायनेमिक हाइपर-लोकल सोर्स अपॉइंटमेंट (डीएचएसए) एक किफायती दृष्टिकोण है जिसे वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लखनऊ और कानपुर में लागू किया जा रहा है। डीएचएसए के आंकड़े शहर के अधिकारियों को उनकी वायु गुणवत्ता कार्य योजना में जानकारी देकर उनको निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा।

लंबे समय में इस परियोजना के आधार पर गतिशील पैमाने पर वायु प्रदूषण के उत्सर्जन और स्रोतों के बारे में जानकारी देने के लिए भारत के शहरों में डीएचएसए प्रणालियों को अपग्रेड करना है।

पीएम2.5 का पूर्वानुमान और एयरशेड प्रबंधन एक परियोजना है जो बेहतर रिज़ॉल्यूशन पर पीएम 2.5 स्तर की भविष्यवाणी करने के लिए माइक्रो-सैटेलाइट इमेजरी, सेंसर-आधारित परिवेश वायु गुणवत्ता नेटवर्क और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है। इसके अतिरिक्त, सीओई के आंकड़ों से संचालित नीतिगत निर्णयों के साथ बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए एक एयरशेड दृष्टिकोण विकसित कर रहा है।

सीओई स्वदेशी वायु गुणवत्ता सेंसर निर्माण में सबसे आगे है, जो सटीक और विश्वसनीय परिणाम सुनिश्चित करने के लिए इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग मॉडल के साथ जोड़ता है। तकनीकों के अनुकूलन में जनता के लिए उपलब्ध वायु गुणवत्ता की जानकारी के साथ समग्र नागरिक संतुष्टि को बढ़ाने के लिए सेंसर को सावधानीपूर्वक लगाना शामिल है।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, सीओई-एटीएमएएन देश के लिए स्वच्छ हवा हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सीओई का समग्र दृष्टिकोण, एआई या एमएल क्षमताओं के साथ नए सेंसर तकनीकों को आपस में जोड़ना है, यह दुनिया भर में टिकाऊ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक मिसाल कायम करने के लिए तैयार है।

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