पराली नहीं, दिवाली के पटाखों ने जहरीली बनाई दिल्ली की हवा, फेल रहे 'ग्रीन' पटाखे

क्लाइमेट ट्रेंडस के विश्लेषण में पाया गया कि पराली जलाने की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी के बावजूद दिवाली की रात पीएम2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया
Photo: Vikas Choudhary
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इस साल की दिवाली पर दिल्ली की हवा बेहद खतरनाक स्तर तक प्रदूषित रही। दिवाली के बाद औसत पीएम2.5 का स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो दिवाली के दिन से पहले की तुलना में 212 प्रतिशत अधिक है।

पर्यावरण व जलवायु के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था क्लाइमेट ट्रेंड्स ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पाया कि इस साल पटाखों के धुएं ने अकेले ही दिल्ली की हवा को घुटनभरी बना दिया, जबकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

क्लाइमेट ट्रेंड्स ने पांच साल (2021-2025) की अवधि के लिए तीन दिनों का पीएम2.5 के स्तर पर यह विश्लेषण तैयार किया। इसके अनुसार, इस साल पटाखों से हुआ उत्सर्जन ही त्योहार के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) में भारी गिरावट का प्रमुख कारण रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक 20 अक्टूबर 2025 की दिवाली की रात देर तक पीएम2.5 का उच्चतम स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। औसत की अगर बात करें तो दिवाली 2025 के बाद दिल्ली का औसत पीएम2.5 का स्तर माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 488 रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिवाली से पहले की तुलना में यह 212 प्रतिशत अधिक था।

एक प्रेस विज्ञप्ति में क्लाइमेट ट्रेंड्स के रिसर्च लीड पलक बल्यान ने कहा, “इस वर्ष की दिवाली पहले की तुलना में काफी अधिक प्रदूषित रही। आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि प्रदूषण के स्तर में तीव्र वृद्धि हुई। दिवाली के बाद पीएम का औसत स्तर लगभग 488 रहा, जबकि दिवाली से पहले यह केवल 156.6 था। यह तीन गुना से भी अधिक वृद्धि है, जिससे 2025 की दिवाली हाल के वर्षों में सबसे प्रदूषित दिवालियों में से एक बन गई”।

बल्यान के हवाल से कहा गया है कि 19 और 20 अक्टूबर की रातों के बीच प्रदूषण में अचानक उछाल आया, जो सीधे तौर पर दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर पटाखों के इस्तेमाल से जुड़ा है। इसके अलावा, आंकड़े और जमीनी दृश्य इस बात का प्रमाण हैं कि ‘ग्रीन पटाखे’ (हरित पटाखे) जलाने से भी सामान्य पटाखों की तुलना में कोई ठोस फर्क नहीं पड़ा।

हवा व तापमान ने बढ़ाई दिक्कत

क्लाइमेट ट्रेंडस के मुताबिक कल यानी दिवाली की रात थमी हुई हवा की वजह से भी प्रदूषण अधिक हुआ। बताया गया है कि 20 अक्टूबर की रात दिल्ली में हवा की गति एक मीटर प्रति सेकंड से भी कम थी,जिसके कारण प्रदूषक तत्व फैल नहीं सके।

इसके साथ-साथ तापमान में गिरावट (लगभग 27 डिग्री से 19 डिग्री सेल्सियस ) ने इन्वर्जन की स्थिति पैदा की, जिससे प्रदूषक जमीन के पास फंसे रहे। इन्वर्जन की स्थिति में ऊपर की परत गर्म और नीचे की परत ठंडी हो जाती है। इससे ठंडी हवा नीचे फँस जाती है और प्रदूषक ऊपर नहीं जा पाते। इसके चलते प्रदूषक जमीन के पास ही जमा हो जाते हैं और धुंध या स्मॉग की स्थिति बनती है।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि दीवाली की रात तेज़ी से बढ़ा प्रदूषण ज्यादातर लोकल (स्थानीय) वजहों से हुआ, बाहर से नहीं आया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजधनी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. एस. के. ढाका के मुताबिक, “हवा की रफ्तार बहुत कम थी, सिर्फ 1 मीटर प्रति सेकंड से भी नीचे। ऐसे में पटाखों का धुआं ऊपर नहीं जा पाया और शहर के अंदर ही फंस गया। इसके साथ ही नमी (ह्यूमिडिटी) भी 60 से 90 प्रतिशत के बीच थी, जिससे प्रदूषण नीचे जम गया।

पराली नहीं थी वजह

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कमी भारी बाढ़ के कारण फसल चक्र में देरी और खेतों में जलभराव से हुई, जिससे किसानों के लिए पराली जलाना संभव नहीं रहा। पलक बताती हैं कि 1 अक्टूबर से 12 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं, लेकिन इस साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी के कारण इस अवधि के दौरान दिल्ली के औसत पीएम2.5 के स्तर में 15.5 प्रतिशत की कमी आई।

पांच साल का रुझान

रिपोर्ट में पिछले पांच वर्षों (2021–2025) के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया गया है और कहा गया है कि रिपोर्ट में दिखाई देने वाले रुझान की पुष्टि करता है कि दिवाली की रात प्रदूषण स्तर दोगुना या तिगुना बढ़ जाता है, और अगली सुबह तक उच्च बना रहता है। हालांकि इन रुझानों को देखें तो पीएम2.5 के उच्चतम स्तरों में हल्की गिरावट दर्ज की गई है।

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