सर्दियों में उत्तर और पूर्वी भारत रहे सबसे प्रदूषित, राजस्थान-बिहार के छोटे शहर नए हॉटस्पॉट बने

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने एक अक्टूबर से 31 जनवरी 2024 यानी सर्दियों के मौसम में देश के शहरों की हवा की गुणवत्ता का विश्लेषण किया
Photo for representation: iStock
Photo for representation: iStock
Published on

जैसे ही सर्दी शुरू हुई, जहरीले वायु प्रदूषण के बढ़ने से एक बार फिर लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाला। सितंबर-अक्टूबर में कम बारिश और सर्दी के पूरे मौसम में धीमी हवाओं जैसे मौसम संबंधी कारकों के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई।

दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने सर्दियों की वायु गुणवत्ता की समीक्षा के बाद रिपोर्ट जारी की है। जिसमें काफी चिंताजनक रुझान सामने आए हैं।

यह समीक्षा बताती है कि दिल्ली और चंडीगढ़ देश के सबसे प्रदूषित केंद्र शासित प्रदेश/राज्य थे, जहां पीएम2.5 का स्तर क्रमशः 188 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 100.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया।

इसके विपरीत, कर्नाटक सर्दियों के औसत 32 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ स्वच्छ हवा के प्रतीक के रूप में उभरा।

साल 2023-24 के सर्दियों के मौसम की निर्णायक रिपोर्ट बताती है कि उत्तर और पूर्वी भारत सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना रहा। उत्तर भारत में पिछली सर्दियों की तुलना में हवा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जबकि पूर्वी भारत में सुधार के संकेत दिखे। दक्षिण भारत ने सबसे कम पीएम2.5 स्तर के साथ अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा।

शहर-स्तरीय विश्लेषण को गहराई से देखने पर पता चला कि बिहार और राजस्थान के छोटे शहर दिल्ली जैसे प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों को टक्कर देते हुए प्रदूषण हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं।

बिहार में बेगुसराय और राजस्थान में हनुमानगढ़ जैसे शहर राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले प्रदूषण के स्तर के बराबर रहे। इसके अलावा, दक्षिण भारत और हिमालयी क्षेत्र के औद्योगिक शहर भी उच्च प्रदूषण स्तर से जूझते पाए गए। इसके विपरीत, सिक्किम में गंगटोक और असम में सिलचर जैसे शहर की हवा स्वच्छ रही।

दिवाली और उसके बाद देशभर में असाधारण रूप से खराब वायु गुणवत्ता का दौर आया, जिसमें त्योहार के बाद दैनिक औसत पीएम2.5 का स्तर 120 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। एनसीआर में दिवाली से 10 दिन पहले वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच गया, जिसका कारण त्योहार के दौरान पराली जलाना और पटाखों पर प्रतिबंध जैसे कारक थे।

तीन नवबंर 2023 को प्रदूषण का स्तर उत्तर भारत का 24 घंटे के औसत 156.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और एनसीआर में 218.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो दिवाली के अब तक के उच्चतम स्तर 202 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर गया।

सर्दी के मौसम को 1 अक्टूबर, 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक की अवधि के रूप में परिभाषित किया गया है। पिछली सर्दियों की तुलना में, इस सीजन में उत्तरपूर्वी शहरों में पीएम2.5 के स्तर में 13 प्रतिशत और उत्तरी शहरों में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं एनसीआर के शहरों में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन पूर्वी शहरों में 29 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

देश के पश्चिम और दक्षिण के शहरों में प्रदूषण में 10 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि मध्य भारतीय शहरों में न्यूनतम परिवर्तन देखा गया। कुल मिलाकर, देश में पिछले वर्ष की तुलना में शीतकालीन प्रदूषण स्तर में 8 प्रतिशत की कमी देखी गई।

हमने अपने इस विश्लेषण के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि भारत के वायु प्रदूषण संकट को दूर करने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है। और अलग-अलग क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में असमानताएं एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। 

                                                                                 2023-24 के सर्दी के मौसम में भारत भर में पीएम2.5 स्तरों में भिन्नता

स्रोत: सीपीसीबी के रियल टाइम वायु गुणवत्ता डेटा का सीएसई विश्लेषण

मौसम संबंधी कारकों, क्षेत्रीय शिखरों और मौसमी उतार-चढ़ाव के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है कि कोई भी क्षेत्र इस सर्वव्यापी समस्या से अछूता नहीं है। खराब हवा लाखों लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को खतरे में डालती है और इसलिए, विशेषज्ञ नीति निर्माताओं, उद्योगों और व्यक्तियों से एक साथ आने और स्थायी समाधान लागू करने का आग्रह करते हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in