पेट्रोल डिपो के पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए नई एसओपी, रोकना होगा खतरनाक रिसाव

पेट्रोल डिपो के लिए सीपीसीबी की नई एसओपी में यह सुनिश्चित किया गया है कि डिपो से 50 मीटर तक की सीमा में जल और मृदा गुणवत्ता का नियमित रूप से निगरानी हो ताकि किसी भी प्रकार के प्रदूषण के प्रमाण मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके
पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है। फोटो: रोहित पराशर
पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है। फोटो: रोहित पराशर
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अत्यंत ज्वलनशील और पर्यावरण के लिए जोखिम भरे पेट्रोल डिपो की स्थापना और उसे चलाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके तहत पेट्रोल डिपो के लिए न सिर्फ राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) या प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीसीसी) से को स्थापना की अनुमति ( कसेंट टू इस्टैबलिश) और संचालन की अनुमति (कंसेंट टू ऑपरेट) हासिल करनी होगी बल्कि भूमि जल और वायु प्रदूषण की निगरानी और खतरनाक रिसाव को रोकने के लिए भी कदम उठाने होंगे।

सीपीसीबी ने यह कदम दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पूर्वी क्षेत्रीय पीठ के एक आदेश के बाद उठाया है।

एनजीटी ने 17 अप्रैल 2023 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को तीन महीने के भीतर पेट्रोल डिपो के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया था।

अब सीपीसीबी ने पेट्रोल डिपो के लिए एसओपी तैयार कर लिया है, जो उन पेट्रोल डिपो पर लागू होगा जिनमें पेट्रोल के भंडारण, संचालन, वितरण, परिवहन, लोडिंग या अनलोडिंग की सुविधा होती है और जिन्हें पेट्रोल के भंडारण के लिए विस्फोटक नियंत्रक से अनुमोदन या लाइसेंस प्राप्त करना होता है।

पर्यावरणीय क्षति से बचने के लिए लेना होगा बीमा कवर

पेट्रोल डिपो को सार्वजनिक सुरक्षा के तहत बीमा पॉलिसी लेनी होगी, जैसा कि 1991 के सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम में निर्धारित किया गया है। यह बीमा किसी भी अप्रत्याशित घटना (जैसे लीक, विस्फोट) के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति को कवर करेगा।

इसके अलावा पेट्रोल डिपो को अपनी स्थापना से पहले जल, मृदा और वायू गुणवत्ता की बेसलाइन डेटा रिपोर्ट तैयार करनी होगी। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि पेट्रोल डिपो के आसपास के पर्यावरण पर संचालन के दौरान कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़े।

रिसाव की निगरानी

सीपीसीबी की एसओपी के तहत पेट्रोल डिपो को वाष्प रिकवरी सिस्टम और लीक डिटेक्शन सिस्टम स्थापित करना होगा, ताकि किसी भी प्रदूषण को तुरंत रोका जा सके। इन उपकरणों से वायुमंडलीय प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा और रिसाव होने पर उसे तुरंत पहचाना जा सकेगा।

साथ ही पेट्रोल डिपो को आपातकालीन स्थिति के लिए एक ठोस योजना तैयार करनी होगी। इसमें जोखिम आकलन, आग और विस्फोट से निपटने के उपाय, और फायर डिपार्टमेंट से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा। अगर कोई बड़ी दुर्घटना होती है, तो डिपो को 48 घंटे के भीतर संबंधित प्राधिकरण को सूचित करना होगा।

आबादी से रखना होगा दूर

पेट्रोल डिपो की स्थापना के लिए स्थल चयन में सख्त सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा। 250-300 मीटर की सुरक्षा दूरी के साथ, डिपो को किसी भी आवासीय या भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों से दूर रखा जाएगा, ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना से मानवीय जीवन और संपत्ति पर असर न पड़े।

पेट्रोल डिपो को हानिकारक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का पालन करते हुए, किसी भी प्रकार के खतरनाक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों का उचित तरीके से संग्रहण, निपटान और उपचार करना होगा। साथ ही, स्टॉर्म वाटर के प्रदूषण को रोकने के लिए उपाय करने होंगे।

इसके अलावा पेट्रोल डिपो के लिए एसओपी में यह सुनिश्चित किया गया है कि डिपो से 50 मीटर तक की सीमा में जल और मृदा गुणवत्ता का नियमित रूप से निगरानी हो, ताकि किसी भी प्रकार के प्रदूषण के प्रमाण मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। यह जल स्रोतों और भूमिगत जल के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि पेट्रोल डिपो से होने वाली लीक या रिसाव से इन संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

एसओपी में कहा गया है कि पेट्रोल डिपो के आस-पास का वायुमंडल हानिकारक हाइड्रोकार्बन और अन्य प्रदूषकों से मुक्त रहे। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के माध्यम से वायू में वाष्पीय कार्बन, जैसे कि बेंजीन, टोल्यून, और जाइलिन का उत्सर्जन नियंत्रित करना होगा ताकि मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

पेट्रोल डिपो की स्थापना और संचालन से आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ सकता है, खासकर यदि उचित निगरानी और सुरक्षा उपाय नहीं किए जाते। बहरहाल अब नई एसओपी के बाद पेट्रोल डिपो को यह तत्काल लागू करना होगा।

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