पीने के लायक नहीं बचा यहां नर्मदा का पानी

नर्मदा नदी के पानी के सैंपल की जांच मुंबई की एक बड़ी प्रयोगशाला में जांच कराई गई है, जिसके परिणाम काफी चौंकाने वाले हैं
नर्मदा नदी के पानी में कैल्शियम की मात्रा तय मानक से 50 फीसदी से अधिक पाई गई है। फोटो: राकेश मालवीय
नर्मदा नदी के पानी में कैल्शियम की मात्रा तय मानक से 50 फीसदी से अधिक पाई गई है। फोटो: राकेश मालवीय
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मध्य प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा का पानी बड़वानी में पीने लायक नहीं बचा है। यहां तक कि घरेलू कार्यों के लिए भी इसे अयोग्य बताया गया है। इस पानी में ऐसे बैक्टीरिया पाए गए हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं।

यह खुलासा मुंबई की एक अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला में जल का वैज्ञानिक परीक्षण कराने पर हुआ है। यह परीक्षण नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी एक कार्यकर्ता और बड़वानी निवासी कमला यादव ने करवाया है।

आंदोलन के कार्यकर्ता इस बात पर लंबे समय से गौर कर रहे थे कि नर्मदा का पानी मटमैला और अस्वच्छ होता जा रहा है, कई जगहों पर नर्मदा में मिलने वाले नालों, कारखानों, नदी से जलीय—जीव कम होने आदि अनेक कारणों से पानी की गुणवत्ता खराब हो रही थी, इस अवलोकन के ठोस प्रामाणिक रूप से सामने लाने के लिए यह परीक्षण करवाया गया।

सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश भाई ने डाउन टू अर्थ को बताया कि नर्मदा नदी के पानी का स्वाद, रंग, बदला है, मैलापन बढ़ा है, यह बात तो पश्चिम निमाड़ के बड़वानी, धार जैसे जिले के लोग समझ चुके हैं, लेकिन इसका वैज्ञानिक परीक्षण करवाकर सच्चाई सामने लाई गई है। इसके लिए राजघाट/कुकरा गांव के पानी को मुंबई की कल्पिन वाटरटेक नाम की एक प्रयोगशाला से परीक्षण करवाया गया है, जिसमें गंभीर परिणाम सामने आए हैं।

परीक्षण में पता चला है कि यहां पानी नहीं पीने लायक है, न ही घरेलू कार्य के लिए उपयुक्त है। सिंचाई भी, कुछ ही प्रकार की फसलों के लिए हो सकती है। सबसे घातक कैल्श्यिम की मात्रा का पता चला है जोकि 306 यूनिट पाई गई है। इसकी अधिकतम मात्रा 200 यूनिट होनी चाहिए।

इस कारण यह कठोर जल बताया गया है। ऐसे पानी के इस्तेमाल से पथरी की बीमारी, किडनी पर असर होता है। नायट्रेट की मात्रा भी 45 मिलीग्राम प्रति लीटर है, उपाय नहीं किए गए तो यह भी आगे चलकर खराब हो सकती है।

अमोनिया की मात्रा अधिकतम सहनीय मात्रा 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई है इसका बुरा असर इंसानों पर तथा मछली पर होने का अंदेशा जताया जा रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार पानी में ‘कोलिफार्म बैक्टेरिया’ और ‘इ-कोली बैक्टेरिया’ याने जीवाणु या रोगजीवाणु भी पाए गए हैं।

आंदोलन की कार्यकर्ता ने बताया कि मानपूर (इंदौर संभाग) की अजनार नदी (जो कारम नदी में मिलती है और फिर कारम नर्मदा में) पानी के जांच परीक्षण से ही प्रदूषण का पता चला था, लेकिन दोषियों पर पर कार्यवाही आज तक नहीं हुई है। इससे नर्मदा की सेहत दिन ब दिन खराब हो रही है।

बड़वानी का होता है पानी सप्लाई : राजघाट से पांच किमी दूर बसे बड़वानी में यहां के पानी की सप्लाई होती है, लेकिन बड़वानी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है।

इसके लिए 105 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मुकेश भाई ने बताया कि इस काम का ठेका इजराइली कंपनी ‘तहल’ को दिया गया, जिसने 5 वर्षों में मात्र 40 प्रतिशत कार्य किया है।

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