दुनिया भर में महासागर लगातार कचरे से पट रहे हैं, यह अलग-अलग देशों के विभिन्न स्रोतों से यहां तक पहुंच रहा है। प्लास्टिक के कचरे के कारण यहां निवास करने वाले जीवों पर भारी खतरा मंडरा रहा है। अब उत्तरी प्रशांत महासागर में तैर रहे कचरे के पहाड़ को लेकर विभिन्न देशों की भूमिका का पता लगाया जा रहा है।
शोधकर्ताओं की एक टीम ने नमूने और परीक्षण के आधार पर पता लगाया कि नॉर्थ पैसिफिक गारबेज पैच (एनपीजीपी) में पाया जाने वाला 90 प्रतिशत से अधिक पहचाना गया कचरा सिर्फ छह देशों से आ रहा है। जिनमें से सभी प्रमुख औद्योगिक रूप से मछली पकड़ने वाले राष्ट्र हैं। यह शोध नीदरलैंड में ओशन क्लीनअप प्रोजेक्ट और वैगनिंगन यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किया गया है।
पहले के शोध से पता चला है कि उत्तरी प्रशांत महासागर में उपोष्णकटिबंधीय इलाके के ऊपर तैरते हुए कचरे का एक विशाल द्वीप है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यहां दसियों हजार टन कचरा है, जिसमें से अधिकांश प्लास्टिक है, जो लाखों वर्ग किलोमीटर में फैला है। नॉर्थ पैसिफिक गारबेज पैच (एनपीजीपी) के अस्तित्व ने हाल के वर्षों में काफी सुर्खियां बटोरी हैं, हालांकि अब तक कचरे के स्रोत की पहचान नहीं हो पाई है।
इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने एनपीजीपी से कचरे के 6,000 टुकड़ों को एकत्र कर अध्ययन किया। शोध का लक्ष्य कचरे के स्रोत को खोजना था। इसके लिए, उन्होंने मलबे पर छपे शब्दों की भाषा, या लोगो सहित पहचानने योग्य प्रतीकों की पहचान करने को साधन के रूप में अपनाया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके कचरे के लगभग एक तिहाई टुकड़े अज्ञात थे, वे यह पता नहीं लगा सके कि उन्होंने किस तरह के उद्देश्यों की पूर्ति की होगी या वे कहां से आए होंगे।
लेकिन उन्होंने पाया कि कचरे का 26 प्रतिशत हिस्सा मछली पकड़ने के उपकरण से संबंधित था। उन्होंने यह भी पाया कि प्लास्टिक की रस्सियां और तैरने वाली वस्तुएं लगभग 3 प्रतिशत थी, लेकिन नॉर्थ पैसिफिक गारबेज पैच (एनपीजीपी) में 21 प्रतिशत मात्रा ऐसी थी जिसका पता लगाना बहुत कठिन था।
शोधकर्ताओं ने 232 वस्तुओं की पहचान उनके देश के आधार पर की, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा जापान का 33.6 प्रतिशत था। इसके बाद चीन 32.3 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया 9.9 प्रतिशत पर था।
सूची में अन्य देशों में 6.5 प्रतिशत पर अमेरिका, 5.6 प्रतिशत पर ताइवान और कनाडा 4.7 प्रतिशत पर था। कुल मिलाकर, इन छह देशों में नॉर्थ पैसिफिक गारबेज पैच (एनपीजीपी) में पाए जाने वाले पहचाने जाने योग्य कचरे का 92 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया की कि एनपीजीपी में कचरे के स्रोतों में भूमि आधारित गतिविधियों की तुलना में मछली पकड़ने से आने के आसार 10 गुना अधिक थे। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि उनके काम में पहचाने गए शीर्ष छह देशों में से सभी नियमित रूप से बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने के कार्यों में जुड़े हुए हैं। यह शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।