आगरा में हर रोज 5 टन से ज्यादा फुटवियर कचरा खुले में फेंका जा रहा : सीएसई अध्ययन

शहर में हर दिन 9 से 10 लाख जोड़ी फुटवियर बनाए जाते हैं जो भारत की की घरेलू मांग का लगभग 65 फीसदी आपूर्ति करता है
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फोटो: आईस्टॉकAndrii Zhezhera
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उत्तर प्रदेश के आगरा में हर दिन अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा फुटवियर निर्माण के दौरान निकलने वाले 13 टन कचरे में करीब आधा कचरा खुले स्थानों, नालियों आदि में फेंक दिया जाता है। दरअसल यह शहर ताजमहल की प्रसिद्धि के अलावा भारत में सबसे बड़े फुटवियर निर्माता के तौर पर भी जाना जाता है। शहर में हर दिन 9 से 10 लाख जोड़ी फुटवियर बनाए जाते हैं जो भारत की की घरेलू मांग का लगभग 65 फीसदी आपूर्ति करता है।

दिल्ली स्थित थिंकटैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने अपने ताजा अध्ययन फुटवियर वेस्ट मैनेजमेंट इन आगरा : ए ग्राउंड एसेसमेंट में यह चिंताजनक तथ्य सामने रखा है। सीएसई ने यह अध्ययन 2 सितंबर को आगरा नगर निगम के साथ एक संयुक्त कांफ्रेंस के दौरान जारी की। इस बैठक में सभी हितधारक शामिल हुए।

इस अध्ययन के मुताबिक आगरा शहर में रोजाना लगभग 978 टन नगरपालिका के तहत कचरा निकलता है, जिसमें गीला, सूखा, घरेलू खतरनाक और सैनिटरी कचरा आदि शामिल होता है। हालांकि, फुटवियर से प्रतिदिन निकलने वाला कुल 45 टन कचरा इससे बिल्कुल अलग है, जिसका प्रबंधन अलग से करना है।

सीएसई की ओर से जारी अध्ययन के मुताबिक इस 45 टन कचरे में औपचारिक फुटवियर विनिर्माण क्षेत्र प्रतिदिन 31 टन से अधिक कचरा उत्पन्न करता है और अपना कचरा स्वयं प्रबंधित करने का दावा करता है। हालांकि अनौपचारिक क्षेत्र के द्वारा उत्पन्न 13 टन से अधिक कचरे में आगरा नगर निगम केवल 57 प्रतिशत ही एकत्र करता है।

इस अध्ययन पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और सर्कुलर इकोनॉमी इकाई के कार्यक्रम निदेशक अतिन बिस्वास ने कहा कि “ आगरा में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए समाधान निकालने के लिए सीएसई आगरा नगर निगम के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस सहयोग के हिस्से के रूप में सीएसई ने आगरा में फुटवियर अपशिष्ट प्रबंधन की जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए एक साल तक अध्ययन किया।"

बिस्वास के मुताबिक आगरा में उत्पादन और फुटवियर अपशिष्ट उत्पादन के पैमाने को देखते हुए नगर निगम को इस अपशिष्ट का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए अतिरिक्त धन और बुनियादी ढांचे सहित विशेष तंत्र प्रदान किए जाने चाहिए। वहीं, फुटवियर वेस्ट को संभालने के लिए रीसाइकलिंग और दोबारा इस्तेमाल लायक बनाने के बारे में क्षमता का पता लगाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

अध्ययन के मुताबिक आगरा में कुल 6,821 फुटवियर निर्माण इकाइयां हैं। इनमें औपचारिक और अनौपचारिक दोनों शामिल हैं। 13 टन से अधिक कचरा पैदा करने वाली अनौपचारिक ईकाइयां घरों से चलाई जाती हैं, जिनके द्वारा 43 फीसदी कचरा खुले में या नालियों में ही फेंक दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है।

कार्यक्रम अधिकारी और सीएसई रिपोर्ट के मुख्य लेखक कुलदीप चौधरी कहते हैं कि " आमतौर पर फुटवियर कचरे में चमड़ा, कपड़ा (पॉलिएस्टर, विस्कोस), सिंथेटिक पॉलिमर (पॉलीविनाइल क्लोराइड, एथिल विनाइल एसीटेट (ईवीए), स्टाइरीन ब्यूटाडाइन रबर (एसबीआर), पॉलीयुरेथेन (पीयू) और थर्मोप्लास्टिक इलास्टोमर्स, खतरनाक अपशिष्ट (चिपकने वाले घोल में भिगोया हुआ फोम), कार्डबोर्ड, धातु और फाइन्स से लेकर बहुत ही विविध प्रकार के अपशिष्ट शामिल होते हैं।

वहीं, घरों से छोटी जूता निर्माण ईकाइयां चलाने वालों के बारे में जूता दस्तकार संघ के अध्यक्ष अभिकाम सिंह पिप्पल ने कहा कि इनकी कार्यशील पूंजी बहुत कम है और वे बहुत छोटे क्षेत्रों में काम करते हैं, जहां जूते के कचरे के भंडारण के लिए सीमित जगह है। हम इन इकाइयों की क्षमता निर्माण की पहल का स्वागत करते हैं ताकि वे एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा संचालित कर सकें। हमें इन इकाइयों के लिए उन्नत मशीनें उपलब्ध कराने के लिए सरकार से समर्थन की आवश्यकता है ताकि उनका अपशिष्ट उत्पादन कम हो सके।

सीएसई की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और सर्कुलर इकोनॉमी टीम के कार्यक्रम प्रबंधक सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि "एक टिकाऊ फुटवियर अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को ' पोल्यूटर पे' के सिद्धांत द्वारा संचालित किया जाना चाहिए, ठीक उसी तरह जिस तरह प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे के लिए संपूर्ण विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी - ईपीआर - नीति तैयार की जाती है। फुटवियर विनिर्माण क्षेत्र को एक टिकाऊ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पूर्व-उपभोक्ता कचरे के संग्रह, परिवहन और वैज्ञानिक प्रबंधन में आगरा नगर निगम की मदद करने के लिए अपनी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए।"

कांफ्रेंस में भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के उप निदेशक ब्रजेश कुमार यादव और आगरा नगर निगम के पर्यावरण इंजीनियर पंकज भूषण ने कांफ्रेंस के दौरान कहा कि रिपोर्ट निश्चित रूप से चुनौतियों को समझने के लिए उपयोगी होगी। हम स्थानीय स्तर के समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस मुद्दे को सबसे अच्छे तरीके से कैसे संबोधित किया जा सकता है, यह पता लगाने के लिए आंतरिक रूप से रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे।

सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में फुटवियर क्षेत्र के कचरा प्रबंधन को लेकर सिफारिशें भी की हैं -

- आगरा में सभी फुटवियर विनिर्माण इकाइयों (औपचारिक और अनौपचारिक दोनों) का एक व्यापक डेटाबेस (सूची) विकसित करें; सुनिश्चित करें कि सभी इकाइयाँ जियोटैग की गई हों और एएनएन के साथ पंजीकृत हों।

- फुटवियर अपशिष्ट प्रबंधन को संबोधित करने के लिए मौजूदा उप-नियमों में संशोधन करें, जिसमें संग्रह, परिवहन, प्रसंस्करण, निपटान, जुर्माना और दंड खंड जैसे पहलुओं को शामिल किया गया हो।

-नियमित संग्रह के लिए एक समर्पित दल या कर्मियों को तैनात करें। नालियों, खुले भूखंडों या अनधिकृत क्षेत्रों में डंपिंग जैसे अनुचित तरीके से अपशिष्ट का निपटान करने वाली इकाइयों को दंडित करने के लिए सख्त निगरानी और प्रवर्तन तंत्र को लागू करें।

- खतरनाक अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल विकसित करें।

- जागरूकता अभियान चलाने और अपशिष्ट प्रबंधन के सर्वोत्तम तरीकों पर निर्माताओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सीएफटीआई और डीआईसी जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग करें।

- प्रभावित क्षेत्रों में नियमित सफाई अभियान चलाएं। सरकारी संस्थानों और प्रोत्साहनों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करके, अपशिष्ट को कम करने के लिए पारंपरिक तरीकों से मशीनीकृत प्रक्रियाओं पर स्विच करने के लिए घर-आधारित व्यवसायों को प्रोत्साहित करें। उन्हें सरकारी ऋण और सामाजिक योजनाओं में शामिल करें ताकि उनके संचालन और अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं में सुधार हो सके।

- अन्य उत्पादों (जैसे कि चाबी का गुच्छा या डोरमैट) को बनाने के लिए फुटवियर अपशिष्ट पदार्थों के पुन: उपयोग को बढ़ावा दें और स्वयं सहायता समूहों या स्थानीय उद्योगों के माध्यम से अपसाइक्लिंग परियोजनाओं का समर्थन करें।

- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), उचित वेंटिलेशन और खतरनाक रसायनों के सुरक्षित विकल्पों के उपयोग को प्रोत्साहित करके घर-आधारित व्यवसायों में सुरक्षित कार्य वातावरण की वकालत करें

एकीकृत सुविधाएं स्थापित करें जहाँ छोटे निर्माता अपने कचरे को रीसाइक्लिंग या पुन: उपयोग के लिए भेज सकें, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव कम हो और अतिरिक्त राजस्व धाराएं बन सकें - इसके लिए पीपीपी मॉडल अपनाए जा सकते हैं।

- फुटवियर अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं की नियमित रिपोर्टिंग और मूल्यांकन के लिए एक प्रणाली लागू करें, जिससे आवश्यकतानुसार रणनीतियों में निरंतर सुधार और अनुकूलन हो सके।

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