फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी ( एफएसयू) के नए शोध में पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक की अत्यधिक मात्रा समुद्र तट की रेत के तापमान को बढ़ा सकती है जिससे समुद्री कछुओं के विकास को खतरा हो सकता है।
समुद्री कछुए समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन समुद्री सरीसृपों को पनपने के लिए, उन्हें स्वस्थ समुद्र तटों की जरूरत होती है जहां वे अंडे देते हैं तथा उन्हें सेते हैं।
एफएसयू के पृथ्वी, महासागर और वायुमंडलीय विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता मारियाना फ्यूएंट्स ने कहा कि, समुद्री कछुए का प्रजनन, सेहतमंद रहने तथा अंडे सेने जैसी प्रक्रियाओं पर तापमान का बड़ा असर पड़ता है।
माइक्रोप्लास्टिक रेत के गर्मी संबंधी रूपरेखा को कैसे प्रभावित करती है, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। यह समझना कि वातावरण में बदलाव कैसे घोंसले वाले मैदान के तापमान पर असर डाल सकता है, इन कीस्टोन प्रजातियों के भविष्य की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है।
शोधकर्ताओं ने एफएसयू के तटीय और समुद्री प्रयोगशाला में समुद्र तटों से रेत को काले और सफेद माइक्रोप्लास्टिक के साथ मिलाया। तलछट के नमूने की कुल मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता 5 से 30 फीसदी तक थी। फिर उन्होंने जुलाई से सितंबर 2018 तक डिजिटल थर्मामीटर को उसी गहराई में डाल कर तापमान दर्ज किया, जहां आम तौर पर लॉगरहेड समुद्री कछुए अपने अंडे देते हैं।
उन्होंने पाया कि माइक्रोप्लास्टिक की अधिक मात्रा वाले नमूनों में तापमान में अधिक वृद्धि हुई थी, जिसमें 30 फीसदी काले माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े वाले नमूने में औसत तापमान में भारी अंतर था। वे नमूने नियंत्रण समूह की तुलना में 0.58 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थे, एक ऐसी वृद्धि जो समुद्री कछुए की हैचलिंग, प्रजनन अनुपात, शारीरिक प्रदर्शन और भ्रूण की मृत्यु दर को बदल सकती है।
अध्ययन में अच्छी खबर यह है कि उन नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की 30 फीसदी मात्रा के लगभग 98 लाख टुकड़े प्रति घन मीटर के बराबर है, जो वर्तमान में दुनिया भर में समुद्र तटों पर पाई जाने वाली सबसे अधिक मात्रा है। वर्तमान शोध में पाया गया है कि समुद्र तटों से एकत्र की गई अधिकतम मात्रा लगभग 18 लाख टुकड़े प्रति घन मीटर है।
लेकिन घोंसले वाली जगहों पर माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा का हाल ही में पता लगाया गया है। यह उन स्थानों में अधिक हो सकता है जिनका अभी तक अध्ययन नहीं किया गया है और भविष्य में प्लास्टिक की मांग और बढ़ने का अनुमान है।
मैदानों में जहां घोंसले में अंडे सेने वाले अंडे 29 डिग्री सेल्सियस की सीमा के पास होते हैं, जिसके नीचे ज्यादातर नर और जिसके ऊपर ज्यादातर मादा होती हैं, प्लास्टिक की छोटी मात्रा भी तापमान को सीमा से परे धकेलने के लिए काफी हो सकती है।
फ्यूएंट्स ने कहा कि, समुद्री कछुए के अंडों पर तापमान का बड़ा असर पड़ता हैं, और माइक्रोप्लास्टिक एक अन्य कारण हैं जो गर्मी को बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा यह अध्ययन हमें भविष्य के शोध के लिए आधार प्रदान करता है कि माइक्रोप्लास्टिक घोंसले के वातावरण को कैसे प्रभावित कर रहा है। यह शोध फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस में प्रकाशित हुआ है।