समुद्र तल पर जमा माइक्रोप्लास्टिक 20 सालों में बढ़कर हुआ तीन गुना

समुद्री तलछट में जमा माइक्रोप्लास्टिक, जिसका द्रव्यमान 1965 से 2016 तक दुनिया भर में कितना प्लास्टिक का उत्पादन हुआ है इस बात की तस्दीक करता है
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी
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शोध के मुताबिक महासागरों के तल पर जमा माइक्रोप्लास्टिक की कुल मात्रा पिछले दो दशकों में तीन गुना हो गई है, जो लोगों द्वारा प्लास्टिक उत्पादों की खपत के तरीके और मात्रा से मेल खाती है।

यह अध्ययन यूनिवर्सिटेट ऑटोनोमा डी बार्सिलोना (आईसीटीए-यूएबी) के पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान और अलबोर्ग विश्वविद्यालय (एएयू-बीयूआईएलडी) ने मिल कर किया है। अध्ययन उत्तर-पश्चिमी भूमध्य सागर के तलछट में पड़ा माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को सामने लाता है।

समुद्र की सतह पर तैरने वाले माइक्रोप्लास्टिक अंत में समुद्र के तल में जमा हो जाता हैं, तलछट में इस प्रदूषण स्रोत का ऐतिहासिक विकास और विशेष रूप से समुद्र तल पर माइक्रोप्लास्टिक के महीन कणों के जमा होने की दर की जानकारी नहीं है।

नए अध्ययन से पता चलता है कि माइक्रोप्लास्टिक समुद्री तलछट में जमा है जिसका द्रव्यमान 1965 से 2016 तक दुनिया भर में कितना प्लास्टिक का उत्पादन हुआ है इस बात की तस्दीक करता है।

तीन प्रकार के कणों की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तलछट तक पहुंच जाती है, जिसमें पॉलीप्रोपाइलीन सबसे प्रचुर मात्रा में होता है, इसके बाद पॉलीथीन और पॉलिएस्टर होता है।

एकल या एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक को कम करने को लेकर जागरूकता अभियानों के बावजूद, हर साल समुद्री तलछट रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। इस संबंध में वैश्विक स्तर पर नीतियां इस गंभीर समस्या को सुधारने में योगदान दे सकती हैं।

हालांकि माइक्रोप्लास्टिक के महीन कण पर्यावरण में बहुत प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन समुद्री तलछट पर गौर करने वाले पिछले अध्ययनों में माइक्रोप्लास्टिक के स्तर पर बहुत अधिक जानकारी नहीं दी गई है। इस अध्ययन में उन्हें 11 माइक्रोन तक आकार के कणों की मात्रा निर्धारित करने के लिए अत्याधुनिक इमेजिंग लागू करने की विशेषता थी।

प्रोफेसर पत्रीजिया जिवेरी ने बताया कि टूटे हुए तथा छुपे प्लास्टिक के कणों की स्थिति की जांच की गई और यह पाया गया कि, एक बार समुद्र तल में फंसने के बाद, ऑक्सीजन या प्रकाश की कमी के कारण ये और अधिक नष्ट नहीं होते हैं। टूटने की प्रक्रिया ज्यादातर समुद्र तट की तलछट में, समुद्र की सतह पर या पानी में होती है।

एक बार जमा होने के बाद, ये कम से कम नष्ट होते हैं, इसलिए 1960 के दशक का प्लास्टिक समुद्र के किनारे रह जाते हैं, जिससे मानव प्रदूषण का संकेत मिलता है, जिवेरी, आईसीटीए-यूएबी में आईसीआरएए की प्रोफेसर हैं।

जांचे गए तलछट को नवंबर 2019 में समुद्र संबंधी जहाज सरमिएंटो डी गैंबोआ में एक अभियान में एकत्र किया गया था, जो स्पेन के टैरागोना में बार्सिलोना से एब्रो डेल्टा के तट तक गया था। शोध टीम ने पश्चिमी भूमध्य सागर को एक अध्ययन क्षेत्र के रूप में चुना, विशेष रूप से एब्रो डेल्टा, क्योंकि नदियों को माइक्रोप्लास्टिक सहित कई प्रदूषकों के लिए हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना जाता है। इसके अलावा, एब्रो नदी से तलछट का प्रवाह खुले समुद्र की तुलना में अधिक पाया गया। यह शोध एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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