अध्ययन के मुताबिक, मॉनसून के मौसम के दौरान ग्लेशियरों के पिघल कर बहने वाले पानी में कुल पारे की मात्रा बिना मॉनसून वाले मौसम की तुलना में अधिक पाई गई।
अध्ययन के मुताबिक, मॉनसून के मौसम के दौरान ग्लेशियरों के पिघल कर बहने वाले पानी में कुल पारे की मात्रा बिना मॉनसून वाले मौसम की तुलना में अधिक पाई गई।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, जान रेउरिंक

किंघई-तिब्बती पठार में ग्लेशियरों के पिघल कर बहने से हर साल निकलता है 947 किलोग्राम पारा

शोध के परिणामों से पता चला कि मिंगयोंग नदी में पारा का प्रवाह 211.0 ग्राम प्रति वर्ष है, जो दर्शाता है कि बेसिन पारे को जमा करने वाले के रूप में कार्य करता है।
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पारा एक अत्यधिक विषैला प्रदूषक है जो दुनिया भर में मौजूद है। औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसी मानवजनित गतिविधियों और जंगल में आग लगने, ज्वालामुखी विस्फोट और धूल जैसी प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न होने वाला पारा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवेश करने से पहले वायुमंडल में लंबी दूरी तक फैल जाता है।

अध्ययनों से पता चलता है कि पारे के मानवजनित उत्सर्जन ने दुनिया भर में पानी की गुणवत्ता पर बहुत बुरा असर डाला है। दुनिया भर में ताजे या मीठे पानी के भंडार के रूप में, क्रायोस्फीयर ने बर्फ, बर्फ के कोर और पिघले पानी में पारे की भारी मात्रा पाई गई है। क्रायोस्फीयर में जमा पारा ग्लेशियरों के पिघलने पर पानी के स्रोतों में मिल सकता है, जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भारी खतरे पैदा हो सकते हैं।

यहां बताते चले कि क्रायोस्फीयर धरती के पानी का जमा हुआ भाग है, जिसमें बर्फ और ग्लेशियर भी शामिल हैं।

कहां से और किस तरह निकलता है पारा
कहां से और किस तरह निकलता है पारा जर्नल ऑफ हैजर्डस मैटेरियल्स

यह शोध चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के नॉर्थवेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ इको-एनवायरनमेंट एंड रिसोर्सेज के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया है। शोध में कहा गया है कि ग्लेशियर के पिघलने से पारे की मात्रा के अस्थायी बदलाव और नियंत्रण करने वाली चीजों को सामने लाने के लिए मेइली स्नो माउंटेन के मिंगयोंग जलग्रहण क्षेत्र का एक साल तक हर रोज अवलोकन किया गया।

शोधकर्ताओं द्वारा पारे के बहने की मात्रा निर्धारित की गई तथा मिंगयोंग जलग्रहण क्षेत्र और पूरे किंघई-तिब्बती पठार के ग्लेशियरों के पिघल कर बहने के दौरान निकलने वाले कुल पारे की मात्रा का आकलन किया गया।

विश्लेषणों से पता चला कि ग्लेशियरों के पिघलने से बनी नदियों में पारे की मात्रा के नियंत्रण करने वाले विभिन्न पर्यावरणीय और जल विज्ञान प्रक्रियाओं से प्रभावित होते हैं, जिससे वे जटिल बन जाते हैं।

अध्ययन के मुताबिक, मॉनसून के मौसम के दौरान ग्लेशियरों के पिघल कर बहने वाले पानी में कुल पारे की मात्रा बिना मॉनसून वाले मौसम की तुलना में अधिक पाई गई।

मिंगयोंग जलग्रहण क्षेत्र में पारे का प्रवाह 343.8 ग्राम प्रति वर्ष था, जिसमें पिघले पानी में 2.4 फीसदी, बारिश के पानी में 76.9 फीसदी और भूजल में 20.7 फीसदी था।

जलग्रहण क्षेत्र में ग्लेशियर दो तरह से इनके पिघल कर बहने में पारे की मात्रा के अस्थायी पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं। मिंगयोंग ग्लेशियर के अपक्षय काल के दौरान ऐतिहासिक रूप से जमा पारे का निकलना और दूसरा ग्लेशियर के नीचे चट्टान-पानी की परस्पर क्रिया के माध्यम से, जो पारे के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करता है।

शोध के परिणामों से पता चला कि मिंगयोंग नदी में पारे का प्रवाह 211.0 ग्राम प्रति वर्ष है, जो दर्शाता है कि बेसिन पारे को जमा करने वाले के रूप में कार्य करता है।

इसके अलावा शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि किंघई-तिब्बती पठार में ग्लेशियरों के पिघल कर बहने से पारे का वार्षिक निर्यात 947.7 किलोग्राम प्रति वर्ष है।

यह अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि किंघई-तिब्बत पठार में जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर पारा चक्र पर ग्लेशियर पिघलने के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ हैजर्डस मैटेरियल्स में प्रकाशित हुआ है

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