मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने में सोमवार छह जून 2024 की दोपहर भीषण आग लग गई। दूर तक काला धुआं दिखाई दे रहा था। इस आग ने कारखाने के आसपास रहने वालों को एक बार फिर चिंता में डाल दिया।
अब तक कारखाना में मौजूद 347 टन जहरीले कचरे से भूमिगत जल के प्रदूषित होने के प्रमाण मिलते रहे हैं। इस आग के बाद एक बार फिर लोगों में यह डर बैठ गया कि यह धुआं अब क्या असर डालेगा? करीब घंटे भर की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। आग क्यों लगी इसका पता किया जा रहा है।
जेपी नगर में रहने वाली नसरीन ने बताया कि वो नारियलखेड़ा में थीं तभी उन्हें फोन आया कि कारखाने में आग लग गई है। उन्होंने तुरंत आकर देखा तो बहुत ऊंचा धुआं उठ रहा था। कारखाने के आसपास रहने वाले लोग जमा हो गए। बहुत देर बाद फायर ब्रिगेड़ की गाड़ी आईं और आग बुझी तब तक हम बहुत डर में रहे कि कहीं यह जहरीला धुआं हमारे जिस्म में घुस गया तो क्या होगा?
उन्होंने बताया कि कारखाना पूरी तरह से खोखला हो गया है, कोई कहीं से भी घुस सकता है और सुरक्षा व्यवस्था बस नाम की है। गार्ड केवल अपनी नौकरी कर रहे हैं।
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाना वही है जहां कि 1984 में गैस रिसी थी, जिसने हजारों लोगों की जान ली थी और लाखों लोगों को अपाहिज बनाने का काम किया था। गैस कांड के बाद से ही इस कारखाने को बंद कर दिया गया था।
कोई इस कारखाने के अंदर नहीं जा सके इसके लिए यहां पर प्रशासन ने पुलिस तैनात कर रखी है। बिना इजाजत के कोई भी व्यक्ति कारखाना परिसर में प्रवेश नहीं कर सकता है। पर यह सिर्फ कागजों में है।
वास्तविक स्थिति यह है कि इतने लंबे समय बाद यहां की दीवारों में लोगों ने बड़े—बड़े छेद कर लिए हैं। कारखाने के अंदर कोई भी इन जगहों से प्रवेश कर जाते हैं। कारखाने में जगह—जगह बड़ी—बड़ी झाड़ियां उग आई हैं, घासफूस लगी है, इन्हें खाने के लिए जानवर भी कारखाने के अंदर पहुंच जाते हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि सोमवार को लगी आग भी इसी कारण इतनी भयंकर हो गई है।
भोपाल गैस पीड़ितों के हक में आवाज उठाने वाले भोपाल ग्रुप फॉर इंफोर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने में 24 घंटे सुरक्षा के इंतजाम होने के आदेश हैं, लेकिन यहां की सुरक्षा देखने वाले और यहां से सामान चुराने वालो के बीच गजब की सांठगांठ है।
उन्होंने बताया कि इस कारखाने के अंदर जहरीले रसायन हैं और इस आगजनी की जांच होनी चाहिए कि यह आग कैसे लगी और इस आग की वजह से जो जहरीले रसायन निकल रहे हैं वो कौन से हैं और उनका स्थानीय गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ने वाला है?
उन्होंने मांग की कि इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बोला कि वो जाकर जांच करें तो उन्हें बताया कि उनका पूरा स्टाफ चुनाव की ड्यूटी में व्यस्त है। गौरतलब है कि भोपाल लोकसभा सीट के लिए कल सात मई को वोटिंग की जानी है।
इससे पहले पिछले सप्ताह दो मई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की सफाई और डाव केमिकल एवं यूनियन कार्बाइड की जिम्मेदारी के सम्बन्ध में सुनवाई हुई थी। इस दौरान केन्द्र सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि उनके द्वारा 347 एमटी जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के लिए 126 करोड़ की राशि गैस राहत विभाग को दे दी गई है।
जुलाई 2023 में ओवरसाइट समिति की बैठक में फैसला हुआ था कि यह काम पीथमपुर में स्थित पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। इस काम को करने में 185 से 377 दिन लगेंगे और इस पर तकरीबन 126 करोड़ रुपए खर्च होंगे। भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन द्वारा कोर्ट के समक्ष ये मुद्दा उठाया गया कि 347 एमटी के अलावा हज़ारों टन जहरीला कचरा कारखाने के अंदर एवं बाहर दबा है, जिसकी वजह से लाखों लोगों का भूजल प्रदूषित हुआ है और इसकी सफाई और जिन कंपनियों ने प्रदूषण फैलाया है उनकी जिम्मेदारी पर भी तय की जानी चाहिए।
उच्च न्यायालय ने बीजीआईए को आदेशित किया है कि 27 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर कोर्ट को बताए कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की वजह से हुए मिट्टी और भूजल प्रदूषण का मामला इसी कोर्ट से संबंधित है और वो किसी और अदालत में लंबित नहीं है। आंदोलन से जुड़े लोगों का मानना है कि कारखाने में पड़े इस जहरीले कचरे का निपटारा जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि भोपाल के गैस पीड़ितों को राहत मिले।