6 जनवरी 2021 की विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 40 साल का सबसे बड़ा और सबसे गहरा अंटार्कटिक ओजोन छिद्र बन्द हो गया है।
अंटार्कटिक के ऊपर सालाना बनने वाला ओजोन छिद्र अगस्त के मध्य से तेजी से बढ़ा और अक्टूबर 2020 की शुरुआत तक यह लगभग 24 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक फैल गया था। यह अब तक का सबसे बडे छिद्र में से एक था।
इस छिद्र का विस्तार स्ट्रैटोस्फियर (समताप मंडल) में एक मजबूत, स्थिर और ठंडे ध्रुवीय भंवर (पोलर वोर्टेक्स) और बहुत ठंडे तापमान के कारण से होता था। इसी तरह के मौसम संबंधी कारकों ने भी रिकॉर्ड 2020 आर्कटिक ओजोन छिद्र के निर्माण में योगदान दिया था, जो अब बंद हो चुका है।
ध्रुवीय भंवर, ध्रुवीय क्षेत्रों में घूमती ठंडी हवा और कम दबाव वाले क्षेत्र का एक विस्तार है। सर्दियों के दौरान, उत्तरी ध्रुव पर ध्रुवीय भंवर फैलता है, जिससे ठंडी हवा दक्षिण की ओर जाती है।
ओजोन छिद्र, ठंडे तापमान द्वारा आकार में बढ़ाई गई ओजोन परत है, जो ज्यादा से ज्यादा पतली होती जाती है।
जैसे-जैसे समताप मंडल में उच्च तापमान बढ़ने लगता है, ओजोन परत का क्षय धीमा होने लगता है और ध्रुवीय भंवर कमजोर हो कर टूट जाता है। दिसंबर के अंत तक, ओजोन का स्तर फिर से सामान्य हो जाता है। हालांकि, इस बार इस प्रक्रिया में अधिक समय लगा।
अंटार्कटिक में ओजोन छिद्र का निर्माण एक वार्षिक घटना है, जो पिछले 40 वर्षों से जारी है। मानव निर्मित रसायन स्ट्रैटोस्फियर (समताप मंडल) में चले जाते हैं और ध्रुवीय भंवर के अंदर जमा हो जाते हैं। गर्म तापमान के हावी होते ही इसका आकार छोटा होने लगता है।
2020 का अंटार्कटिक छिद्र अभूतपूर्व था। क्योंकि ध्रुवीय भंवर ने ओज़ोन परत के तापमान को ठंडा रखा था, जो अंटार्कटिका के ऊपर ओज़ोन की कमी वाली हवा को उच्च अक्षांशों से आने वाली ओज़ोन से भरी हवा के साथ मिलने से रोकती थी।
कोपर्निकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस के निदेशक विंसेंट-हेनरी पेउच ने पहले भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों (ओएसडी) के उत्सर्जन पर प्रतिबंध लगाने वाले मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया था।
डब्लूएमओ की ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच प्रोग्राम पृथ्वी की ओजोन परत की निगरानी करने के लिए कोपर्निकस एटमॉस्फेरिक मॉनिटरिंग सर्विस, द यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, एनवायरनमेंट एंड क्लाइमेट चेंज कनाडा और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर काम करती है।
ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों (ओएसडी) पर बना मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लगभग 100 रसायनों (ओएसडी) के उत्पादन और खपत को नियंत्रित करता है। डब्लूएमओ के अनुसार, हालोकार्बन पर प्रतिबंध के बाद से ओजोन परत धीरे-धीरे ठीक हो रही है।