क्या ट्रैफिक का शोर बढ़ा रहा है तनाव और रक्तचाप, भारत के लिए क्या हैं इसके मायने

भारी शोर के कारण कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे तनाव हार्मोन का स्राव होता है, इससे रक्तचाप बढ़ता है, नींद में खलल पड़ता है और तनाव बढ़ जाता है
फोटो साभार :सीएसई
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अक्सर जब आप ट्रैफिक जाम में फंसते हैं और आपके चारों ओर गाड़ियों का हॉर्न बजता है तो आप चिड़चिड़े हो जाते हैं, ऐसा क्यों होता है? एक नया शोध इस बात की पुष्टि करता है कि सड़क का शोर आपके तनाव के स्तर को बढ़ा सकता है।

अध्ययन में पाया गया है कि सड़क यातायात के शोर के संपर्क में लंबे समय तक रहने से रक्तचाप बढ़ने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शोर और उसके प्रभाव को कम करने के लिए इन्हें कम करने की रणनीतियां अपनाने की अपील की है। 

पिछले अध्ययनों के मुकाबले यह अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

पिछले अध्ययनों ने शोरगुल वाले सड़क यातायात और उच्च रक्तचाप के बढ़ते खतरे के बीच संबंध स्थापित किया। हालांकि, पुख्ता सबूतों की कमी पाई गई, और यह स्पष्ट नहीं था कि ध्वनि या वायु प्रदूषण ने बड़ी भूमिका निभाई है या नहीं।

इस अध्ययन में यूके के 250,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे, जिन पर आठ वर्षों से अधिक समय तक नजर रखी गई। शोधकर्ताओं ने उन्हें यूके बायोबैंक से चुना जो उच्च रक्तचाप से ग्रस्त नहीं थे। प्रतिभागियों की उम्र 40 से 69 साल की थी। उन्होंने अपने आवासीय पते और एक यूरोपीय मॉडलिंग उपकरण कॉमन नॉइस असेसमेंट मेथड के आधार पर सड़क यातायात के शोर का अनुमान लगाया।

चीन में बीजिंग के पेकिंग विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में व्यावसायिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर जिंग हुआंग ने कहा, 8.1 वर्षों के औसत आंकड़ों का उपयोग करते हुए, हमने देखा कि कितने लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या उभर रही है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सड़क यातायात के शोर के पास रहने वाले लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या होने की अधिक आशंका थी, उन्होंने पाया कि शोर के बढ़ने से खतरा और बढ़ गया था।

शोधकर्ताओं ने सूक्ष्म कणों और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क का भी पता लगाया है। हालांकि, जिन लोगों को यातायात के शोर और वायु प्रदूषण दोनों का अधिक खतरा था, उनमें उच्च रक्तचाप का खतरा सबसे अधिक था, इससे पता चलता है कि वायु प्रदूषण भी एक अहम भूमिका निभाता है।

विशेषज्ञ क्यों चिंतित हैं?

हमारा शरीर का विज्ञान यातायात के लगातार शोर या अन्य तरह के शोर को एक अड़चन के रूप में लेता है तथा तनाव को बढ़ा देता है। इसमें बढ़ता रक्तचाप भी शामिल है। बार-बार इस तरह के शोर से नींद में खलल पड़ता है, जिससे तनाव बढ़ता है।

अध्ययन शोर के इस प्रतिक्रिया के बीच संबंध भी दिखाता है, जो इस बात का प्रमाण है कि उच्च रक्तचाप के लिए शोर का संपर्क जिम्मेवार है। अधिक यातायात वाली जगहों पर वायु प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर को भी उजागर करता है। इसलिए, लंबे समय तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने से भी रक्तचाप बढ़ता है और क्रोनिक हाइपरटेंशन को भी बढ़ता है।

यातायात के शोर से स्वास्थ्य को बढ़ता खतरा

2010 के बाद से अधिकांश शोधों में यातायात का शोर हृदय रोग (सीवीडी) के लिए एक बड़ी पर्यावरणीय खतरे के रूप में उभरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, भारत में कम से कम चार वयस्कों में से एक को उच्च रक्तचाप है। लेकिन केवल लगभग 12 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनका रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। अनियंत्रित रक्तचाप दिल के दौरे और स्ट्रोक के लिए मुख्य खतरों में से एक है और विश्व स्तर पर मृत्यु और बीमारी का सबसे आम कारण है।

भारत ने 2025 तक उच्च रक्तचाप के प्रसार में 25 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य रखा है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में ध्वनि प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक सड़क यातायात है। शोर के स्रोतों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। शोर और इसके प्रभाव को कम करने के लिए भारत में इसको कम करने की रणनीतियां अपनाने की जरूरत है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (जेएएसी)-एडवांस में प्रकाशित हुआ है।

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