क्या ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा सकता है रेगिस्तानी धूल में मौजूद आयोडीन

शोध से पता चला है कि रेगिस्तानी धूल में मौजूद आयोडीन जहां वायु प्रदूषण को कम कर सकता है, साथ ही वो वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के जीवनकाल को भी बढ़ा सकता है
क्या ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा सकता है रेगिस्तानी धूल में मौजूद आयोडीन
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क्या रेगिस्तान की धूल में मौजूद आयोडीन, सतह से कई किलोमीटर ऊपर मौजूद ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा सकता है, बात चौंका देने वाली पर सही भी है। इस पर हाल ही में कोलोराडो यूनिवर्सिटी द्वारा किए एक शोध से पता चला है कि रेगिस्तानी धूल में मौजूद आयोडीन हमसे कई किलोमीटर दूर मौजूद ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकता है।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि क्षेत्रीय रूप से धूल में मौजूद अतिरिक्त आयोडीन, ओजोन में 8 फीसदी की कमी कर सकता है। वहीं यह भी सामने आया है कि 1950 से अब तक वायुमंडल में मौजूद आयोडीन तीन गुना बढ़ चुका है, जोकि ओजोन परत में आते सुधार को प्रभावित कर सकता है। 

गौरतलब है कि यह परत पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत मायने रखती है। जो सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावायोलेट यानी पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है। वहीं शोधकर्ताओं ने जानकारी दी है कि जिस आयोडीन की यहां बात की गई है वो वही है जो आमतौर पर हमारे खाने-पीने की चीजों में प्रयोग किया जाता है और घेंघा जैसे कई रोगों से हमें बचाता है।  

शोध में यह भी सामने आया है कि धूल में मौजूद यह आयोडीन वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने में भी मददगार होता है। हालांकि सोचने वाला विषय यह है कि जब आयोडीन इतना लाभदायक है तो यह ओजोन परत को नुकसान कैसे पहुंचा सकता है?

ओजोन लेयर को कैसे नुकसान पहुंचा रहा है आयोडीन

इसका जवाब आयोडीन और वातावरण में मौजूद घटकों के बीच की प्रतिक्रिया में छुपा है। जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक तेज हवाओं के साथ रेगिस्तान के महीन धूलकण वायुमंडल में पहुंच जाते हैं, जिनमें आयोडीन मौजूद होता है।

वहां आयोडीन और वातावरण के बीच की रासायनिक प्रतिक्रिया के चलते जहां एक तरफ वायु प्रदूषण के स्तर में गिरावट आ जाती है, पर इसके साथ ही इस प्रतिक्रिया का एक दुष्प्रभाव यह भी होता है कि इसके चलते कुछ ग्रीनहाउस गैसें लम्बे समय के लिए वहीं वातावरण में टिक जाती हैं, जो ओजोन परत में गिरावट के साथ-साथ जलवायु को भी प्रभावित कर सकती हैं। 

यह पहले से ही ज्ञात है कि वायुमंडल में बढ़ती यह ग्रीनहाउस गैसें ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाती है जिससे ओजोन लेयर में मौजूद छेद में वृद्धि हो जाती है। ऐसे में शोध से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि धरती पर मौजूद कण वातावरण की केमिस्ट्री को कैसे प्रभावित करते हैं इस बात पर दोबारा विचार करने की जरुरत है। 

इस बारे में शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता और कोलोराडो विश्वविद्यालय में केमिस्ट्री के प्रोफेसर रेनर वोल्कामर ने जानकारी दी है कि शोध में जिस आयोडीन का जिक्र किया गया है वो वही है जिसका उपयोग हम पोषक तत्व के रूप में करते हैं। उनके अनुसार आयोडीन चक्र के बारे में हमारे पास जो जानकारी है वो आधी-अधूरी है। धरती पर ऐसे कई स्रोत हैं जिनकी केमिस्ट्री के बारे में हम नहीं जानते हैं, इस पर अभी और शोध किए जाने की जरुरत है।

अभी बहुत से सवालों के जवाब ढूंढने हैं बाकी

शोधकर्ताओं के अनुसार निचले वातावरण में ओजोन की मौजूदगी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है, क्योंकि यह गैस लोगों के फेफडों से लेकर फसलों तक को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में शोधकर्ता लम्बे समय से इस बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल करने में रुचि रखते हैं।

उन्हें इतना तो ज्ञात था कि सतह के पास किसी प्रकार की धूल और उससे जुड़ी केमिस्ट्री ओजोन को नष्ट कर रही है, लेकिन ऐसा क्यों होता है इस बारे में कोई भी सही-सही नहीं जानता था। वहीं प्रयोगशाला में किए प्रयोगों से यह स्पष्ट हो चुका था कि गैसीय रूप में आयोडीन ओजोन को निगल सकता है। हालांकि धूल और आयोडीन के बीच के सम्बन्ध में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं थी। 

इस बारे में खुलासा करते हुए इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता थियोडोर कोएनिग ने जानकारी दी है कि वैश्विक स्तर पर प्राप्त तस्वीरों से यह तो पता चला था कि हर जगह धूल ओजोन को नष्ट कर रही है पर ऐसा क्यों हो रहा है यह स्पष्ट नहीं था। साथ ही आयोडीन और ओजोन एक दूसरे से सम्बन्ध रखते हैं पर इस बारे इन दोनों का धूल के साथ कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं थी, जिससे उनके सम्बन्ध को साबित किया जा सके।

पर जब ट्रॉपिकल ओशन ट्रोपोस्फेयर एक्सचेंज ऑफ रिएक्टिव हैलोजेन्स एंड ऑक्सीजेनेटेड हाइड्रोकार्बन्स (टीओआरइआरओ) प्रोजेक्ट द्वारा ली तस्वीरों में यह तीनों घटक एक साथ मिले तो इस बात की पुष्टि हो गई कि रेगिस्तान की धूल में बड़ी मात्रा में आयोडीन होता है जो गैसीय रूप में परिवर्तित होने के बाद ओजोन को नष्ट कर सकता है। हालांकि यह आयोडीन इतनी जल्दी गैसीय रूप में कैसे तब्दील हो जाता है इस बारे में अभी भी स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि शोधकर्ताओं के अनुसार इतना तो पूरी तरह स्पष्ट है कि धूल में मौजूद यह आयोडीन ओजोन को नष्ट कर सकता है। 

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