इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए एक नियामक संस्था की जरूरत: सीएसई

ई-वाहनों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं से वार्षिक बिक्री में हो सकता है इजाफा, लेकिन नए पंजीकरण में हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से कम है
फोटो साभार : आई-स्टॉक
फोटो साभार : आई-स्टॉक
Published on

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को लोकप्रिय बनाने के लिए देश में दिए जा रहे विभिन्न प्रोत्साहनों के बावजूद देश में पंजीकृत नए वाहनों की कुल संख्या में इन वाहनों की हिस्सेदारी 4.72 प्रतिशत ही है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के द्वारा जारी एक नए आकलन में कहा गया है कि वाहन उद्योग को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे वाहनों की कुल बिक्री और उत्पादन में शून्य उत्सर्जन वाहनों (जेडईवी) का कितना हिस्सा होगा, इसके लिए नियामक आदेश की तत्काल जरूरत है।

राष्ट्रीय राजधानी के निकट ग्रेटर नोएडा में 15 जनवरी, 2023 से वार्षिक ऑटो एक्सपो शुरू हुआ है। इस कार्यक्रम में कई नए इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च किए गए, जिनमें एक सौर ऊर्जा वाली कार, एक तीन-पहिया पावरट्रेन किट और सैन्य उपयोगिता वाले वाहन शामिल हैं। 

सीएसई द्वारा एक परामर्श बैठक आयोजित की गई, इसमें वाहन उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति जताई कि इलेक्ट्रिक वाहनों को आगे बढ़ाने के लिए एक नियामक आदेश की जरूरत है। बैठक में वाहन उद्योग के प्रतिनिधियों के अलावा  सरकारी अधिकारी एवं तकनीकी समूह से जुड़े लोग भी शामिल थे। 

सीएसई की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि दोपहिया और तिपहिया वाहनों, कारों और बसों जैसे अलग-अलग चीजों से जुड़े प्रतिनिधियों ने जेडईवी नियम को लागू करने की संभावना के बारे में अलग और सशर्त विचार किया।

हालांकि, बैठक में सभी ने इस रणनीति का समर्थन किया। एक ऐसा नियम जो लंबे समय के लिए बनी नीति में झलकती हो और यह निवेश तथा बाजारों में अधिक स्थिरता ला सकता है।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक (रिसर्च एंड एडवोकेसी) अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए उपभोक्ताओं और फ्लीट ऑपरेटरों के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जैसे कि केंद्रीय योजना (हाइब्रिड) इलेक्ट्रिक वाहनों (फेम द्वितीय) का फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग और राज्य सरकारों की ईवी नीतियां, जेडईवी नियम के अतिरिक्त असर डालने वाले साधनों की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा कि नियम के अंतर्गत निर्माताओं को जेडईवी की कम से कम तय की गई संख्या बेचनी होगी, क्योंकि शून्य उत्सर्जन को आगे बढ़ाने के लिए बाजार में उनकी कुल बिक्री हिस्सेदारी आवश्यक है।

भारत ने जो लक्ष्य रखे हैं उनमें मंत्रिस्तरीय घोषणाओं में 2030 तक 30 प्रतिशत विद्युतीकरण करना, थिंकटैंक नीति आयोग का 2030 तक दोपहिया और तिपहिया बाजारों में 70 से 80 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य को हासिल करना।

भारत की वैश्विक घोषणा जिसमें कहा गया है कि 2030-2040 तक वाहनों में 100 प्रतिशत बदलाव कर शून्य उत्सर्जन वाहन (जेडईवी) को अपनाना, जिसमें दोपहिया और तिपहिया वाहनों का विशेष उल्लेख किया गया है।

मूल्यांकन के लिए खुदरा उपभोक्ता सर्वेक्षण के अलावा सीएसई ने शहरी परिवहन विशेषज्ञों और राज्य परिवहन निगमों के साथ बातचीत की। एक जेडईवी को अपनाने के लिए तेजी से बाजारों और मूल्य प्रवृत्तियों का आकलन और जेडईवी संबंधी नियम आदेश और ईंधन की कीमतों, नियमों जैसे नीतिगत उपकरणों की समीक्षा ने इसका समर्थन किया है।

वाहन डेटाबेस से पता चलता है कि नए वाहन पंजीकरण में ईवीएस की हिस्सेदारी खासकर दोपहिया और तिपहिया वाहनों में काफी बढ़ी है। चुनौती का अगला स्तर सभी वाहन संबंधी अनुभागों में विद्युतीकरण का विस्तार करना है।

सीएसई के मुताबिक, फेम द्वितीय के तहत निर्धारित लक्ष्यों को अभी पूरी तरह से हासिल नहीं किया जा सका है। 10,000 के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 6,630 ई-दोपहिया वाहन, दिसंबर 2022 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 55,000 के लक्ष्य के मुकाबले 5,375 व्यावसायिक ई-चार पहिया और 7,000 के मुकाबले 3,738 बसों को मंजूरी दी गई है।

रॉयचौधरी ने कहा कि इंटरनल कंबशन (आईसीई) वाहनों के साथ ईवी मॉडल की कीमत समानता में दोपहिया और तिपहिया वाहनों के सेगमेंट में काफी सुधार हुआ है।

उन्होंने आगे कहा निजी कार खरीदने वालों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता है। अगर कारों का व्यावसायिक इस्तेमाल किया जाता है तो सभी प्रोत्साहन को मिलाकर कीमत में 22.16 फीसदी की कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि कारों और बसों को समान मूल्य हासिल करने में अभी और अधिक समय लगेगा।

ओईएम एक कम तथा सीमित जेडईवी निर्णय को भी पसंद करते हैं जिसे इसे 2025 से 2030 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है।

वाहन उद्योग ने कई बाधाओं की पहचान की है, जिसमें शुरुआती लागत बहुत अधिक होना, वाहनों को अपनाने में जनता की हिचकिचाहट और सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढांचे और कम बैटरी रेंज के लिए विकल्पों की कमी शामिल है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है।

प्रेस विज्ञप्ति में दिल्ली के सीएनजी कार्यक्रम को अपनाने के महत्व का भी जिक्र किया गया है, जो केवल मजबूत इरादों के चलते पैर जमाने में सफल हो सका। जेडईवी को अपनाने की भी इस रणनीति की आवश्यकता होगी।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in