संसद में आज: प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए हर ब्लॉक को 16 लाख रुपये का प्रावधान

उत्तर प्रदेश के 29 जिलों के अलग-अलग हिस्सों में भूजल में निर्धारित सीमा से अधिक आर्सेनिक की मौजूदगी
मिशन के अंतर्गत, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) के लिए 5,000 तक की आबादी वाले गांवों के लिए प्रति व्यक्ति 60 रुपये तक का दिए जाने का प्रावधान है
मिशन के अंतर्गत, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) के लिए 5,000 तक की आबादी वाले गांवों के लिए प्रति व्यक्ति 60 रुपये तक का दिए जाने का प्रावधान है
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देश में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और ग्राम पंचायतों की भूमिका

सदन में उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में कहा कि स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण (एसबीएम-जी) द्वितीय-चरण के अंतर्गत प्लास्टिक के कचरे का प्रबंधन करना जरूरी है

मिशन के अंतर्गत, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) के लिए 5,000 तक की आबादी वाले गांवों के लिए प्रति व्यक्ति 60 रुपये तक का दिए जाने का प्रावधान है, जबकि 5,000 से अधिक आबादी वाले गांवों के लिए प्रति व्यक्ति 45 रुपये दिए जाते है। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर प्लास्टिक के कचरे के प्रबंधन की इकाई की स्थापना के लिए प्रत्येक ब्लॉक के लिए 16 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।

सिंह ने बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे घर-घर जाकर कचरा एकत्रित करना सुनिश्चित करें, साथ ही बायोडिग्रेडेबल और जो बायोडिग्रेडेबल नहीं है, दोनों प्रकार के कचरे के संग्रह और परिवहन के लिए वाहनों की खरीद के लिए वित्तपोषण प्रावधान करें। परिचालन दिशा-निर्देश प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम एक (पीडब्लूएमयू) निर्धारित करें। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए शहरी सुविधाओं का उपयोग करने की भी सलाह दी गई है।

उत्तर प्रदेश में भूजल में आर्सेनिक का स्तर

सदन में पूछे गए एक पश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में बताया कि सीजीडब्ल्यूबी द्वारा तैयार वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट-2024 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के 29 जिलों के अलग-अलग हिस्सों में भूजल में निर्धारित सीमा से अधिक आर्सेनिक की मौजूदगी की जानकारी मिली है।

केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की वार्षिक भूजल रिपोर्ट

आज सदन में उठे एक सवाल का जवाब देते हुए, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में “भारत के गतिशील भूजल संसाधनों का राष्ट्रीय संकलन, 2024” नामक रिपोर्ट का हवाला दिया। चौधरी ने कहा कि देश में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 446.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) आंका गया है। कुल वार्षिक निकाले जाने योग्य भूजल संसाधन 406.19 बीसीएम आंका गया है और सभी उद्देश्यों (जैसे घरेलू, औद्योगिक, कृषि उपयोग आदि) के लिए कुल वार्षिक भूजल लगभग 245.64 बीसीएम निकाला गया है।

भूजल निकाले जाने का चरण (एसओई), जिसे पूरे देश के लिए वार्षिक निकाले जाने योग्य भूजल संसाधन पर वार्षिक भूजल निकालने के अनुपात के रूप में परिभाषित किया गया है, 60.47 फीसदी पर पहुंचा है। इसके अलावा देश में कुल 6746 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉक/तालुका/मंडल) में से 4951 (73.39 फीसदी) इकाइयों को “सुरक्षित”, 711 इकाइयों (10.54 फीसदी) को “अर्ध-महत्वपूर्ण”, 206 इकाइयों (3.05फीसदी) को “महत्वपूर्ण”, 751 इकाइयों (11.13 फीसदी) को “अत्यधिक-शोषित” और शेष 127 मूल्यांकन इकाइयों (1.88 फीसदी) को “खारे पानी” की श्रेणी में रखा गया है।

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में रेणुका जी बांध परियोजना

रेणुका जी बांध परियोजना को लेकर सदन में उठाए गए एक और सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (एचपीपीसीएल) हिमाचल प्रदेश की रेणुका जी परियोजना को क्रियान्वित कर रही है।

एचपीपीसीएल ने कहा है कि डायवर्सन सुरंगों के लिए भूवैज्ञानिक जांच पूरी हो चुकी है और विनिर्देश चित्र तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा परियोजना के लिए कुल 954.27 हेक्टेयर की आवश्यकता में से 947.4 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है।

फरवरी, 2025 तक परियोजना के तहत 2,468.56 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। व्यय मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण, प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैम्पा) में पर्यावरण मंजूरी के लिए आवश्यक धनराशि जमा करने, जांच आदि पर किया गया है। परियोजना के निर्माण कार्यों को जून, 2030 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

एसएचजीएस को बीज पूंजी सहायता

आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह ने लोकसभा में बीज पूंजी सहायता के बारे में बताया। सिंह ने कहा कि केंद्रीय प्रायोजित "प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारीकरण (पीएमएफएमई) योजना" के तहत बीज पूंजी सहायता संबंधित एसएचजी संघ द्वारा निर्धारित लचीली शर्तों पर संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान करके खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के समग्र विकास और स्थिरता में योगदान देती है।

इसके अलावा बीज पूंजी एसएचजी नेटवर्क के कॉर्पस फंड में रहती है, जो अन्य एसएचजी सदस्यों का समर्थन करने के लिए प्रसारित होती है और मार्जिन मनी योगदान के माध्यम से औपचारिक बैंक ऋण तक पहुंचने में मदद करती है। जैसे-जैसे महिलाओं को आर्थिक नियंत्रण मिलता है, यह उनकी आजीविका में सुधार करता है और यह लैंगिक समानता, सामाजिक समावेश और परिवार के समग्र सामाजिक विकास को बढ़ावा देता है।

थर्मल पावर प्लांट में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन प्रणाली

सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में बताया कि थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी) में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) की स्थापना के लिए कुल 537 इकाइयों [2,04,160 मेगावाट] की पहचान की गई है।

इनमें से 49 इकाइयों (25,590 मेगावाट) में एफजीडी की स्थापना पूरी हो चुकी है, 211 इकाइयों (91,880 मेगावाट) में अनुबंध दिए जा चुके हैं कार्यान्वयन के चरण में हैं, 180 इकाइयां (58,997 मेगावाट) निविदा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं और 97 इकाइयां (27,693 मेगावाट) निविदा-पूर्व प्रक्रिया के तहत हैं।

देश में प्लास्टिक और सर्कुलर इकोनॉमी

प्लास्टिक और सर्कुलर इकोनॉमी को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न का लिखित उत्तर आज, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में दिया। सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक सांविधिक निकाय, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने सर्कुलर प्लास्टिक और टिकाऊ रसायनों के डाउनस्ट्रीम उत्पादन को सक्षम करने के लिए शुद्ध पायरोलिसिस तेल के उत्पादन और व्यवसायीकरण के लिए मेसर्स एपीकेमी प्राइवेट लिमिटेड, नवी मुंबई (2025) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-आईआईपी), देहरादून और सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल), दिल्ली द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके प्लास्टिक के कचरे को डीजल और टाइल में बदलने के लिए एक संयंत्र स्थापित करने के लिए 2019 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगमों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

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