संसद में आज: भारत में माइक्रोप्लास्टिक और समुद्री मलबे में 43 फीसदी की आई कमी

लद्दाखी गधों और जांस्कर टट्टुओं की आबादी में भारी गिरावट आई है
संसद में आज: भारत में माइक्रोप्लास्टिक और समुद्री मलबे में 43 फीसदी की आई कमी
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मानसून सत्र जारी है, इसी बीच सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा कि मंत्रालय ने राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर) के माध्यम से वर्ष 2022-2025 के बीच भारत के तटीय क्षेत्रों में माइक्रोप्लास्टिक और समुद्री मलबे के स्तर का आकलन करने के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण किए हैं। भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर पानी और तलछट, दोनों में माइक्रोप्लास्टिक का आकलन किया गया है

पश्चिमी तट पर, पोरबंदर (गुजरात) से कन्याकुमारी (तमिलनाडु) तक 19 ट्रांसेक्ट का सर्वेक्षण किया गया, जबकि पूर्वी तट पर, पुरी (ओडिशा) से तूतीकोरिन (तमिलनाडु) तक लगभग 25 ट्रांसेक्ट के नमूने लिए गए।

निष्कर्ष बताते हैं कि सूक्ष्म या माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण का प्रमुख स्रोत नदी, फेंके गए, गायब और छोड़ दिए गए मछली पकड़ने के उपकरण (एएलडीएफजी) हैं।

इसके अलावा समुद्री मलबे के संबंध में, "स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर" कार्यक्रम के तहत हर साल सितंबर के तीसरे शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस के दौरान तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समुद्र तट पर जमा कूड़े का राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन किया जाता है।

इस मूल्यांकन से पता चलता है कि समुद्र तट पर जमा कूड़े के प्रमुख स्रोत पर्यटन और मनोरंजक गतिविधियां हैं। इसके अलावा आंकड़े पिछले कुछ वर्षों में समुद्र तट पर जमा कूड़े में कमी की ओर इशारा करते हैं, जहां 2018 में प्लास्टिक का कूड़ा 67 फीसदी था और 2024 में घटकर 43 फीसदी हो गया।

पीएम-एसजीएमबीवाई के तहत देश में रूफटॉप सोलर सिस्टम की स्थापना

संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि मंत्रालय ने फरवरी, 2024 से पूरे देश में पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना (पीएमएसजी: एमबीवाई) लागू किया है।

इस योजना का लक्ष्य 2026-27 तक आवासीय क्षेत्र के एक करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित करना है। 31 जुलाई, 2025 तक इस योजना के तहत राष्ट्रीय पोर्टल पर कुल 58,01,654 आवेदन जमा किए गए हैं और 16,50,969 घरों को रूफटॉप सोलर सिस्टम से लाभान्वित किया गया है।

भारत में राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम की स्थिति

देश में राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने लोकसभा में बताया कि ऊर्जा मंत्रालय, राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करके कचरे से ऊर्जा, बायोमास और बायोगैस जैसी जैव ऊर्जा परियोजनाओं को सहायता प्रदान करता है।

मंत्रालय ने 30 जून, 2025 तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 78 कचरे से ऊर्जा, 118 बायोमास और 39,530 बायोगैस परियोजनाओं को मंजूरी दी है। देश में आठ कचरे से ऊर्जा और 19 बायोगैस परियोजनाएं चालू होने की प्रक्रिया में हैं, जबकि शेष सभी चालू हो चुकी हैं।

नाइक ने आगे बताया कि राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के पहले चरण के अंतर्गत, इसके तीन प्रमुख घटकों - कचरे से ऊर्जा, बायोमास और बायोगैस कार्यक्रमों के लिए कुल 858 करोड़ रुपये का आवंटन किए गए हैं।

देश में चालू परमाणु ऊर्जा संयंत्र

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आज, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि देश में स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता में 24 रिएक्टर शामिल हैं, जिनकी कुल क्षमता 8780 मेगावाट है, जिसमें आरएपीएस-1 (100 मेगावाट) शामिल नहीं है, जो लंबे समय से बंद है।

इन 24 रिएक्टरों में से, चार रिएक्टर, यानी तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन इकाई-1 और 2 (2 x 160 मेगावाट), मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन इकाई-1 (1 x 220 मेगावाट) और कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन इकाई-1 (1 x 220 मेगावाट) वर्तमान में नवीनीकरण और उन्नयन गतिविधियों के लिए परियोजना मोड में हैं और शेष 20 रिएक्टर चालू हैं।

रुद्रप्रयाग से केदारनाथ मार्ग पर भूस्खलन और भू-धंसाव

सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने राज्यसभा में बताया कि मंत्रालय ने उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग से केदारनाथ के निकट गौरीकुंड तक राष्ट्रीय राजमार्ग-107 पर 17 जगहों के लिए 357 करोड़ रुपये की लागत से भूस्खलन और भू-धंसाव निवारण उपचार कार्यों को मंजूरी दी है।

आठ जगहों पर लगभग 172.56 करोड़ रुपये की लागत से कार्य पूरे हो चुके हैं। तीन जगहों पर लगभग 39.25 करोड़ रुपये की लागत से कार्यों के लिए बोली प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। छह जगहों पर लगभग 145.22 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किए गए कार्यों की स्थिति संलग्न है। इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन में कोई देरी नहीं हुई है।

देश में ऊंटों, गधों और टट्टुओं की आबादी

सदन में उठे एक प्रश्न का उत्तर देते हुए आज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री एस. पी. सिंह बघेल ने राज्यसभा में कहा कि 20वीं पशुधन गणना के अनुसार, भारत में ऊंटों, गधों और घोड़ों व टट्टुओं की की आबादी क्रमशः 251799, 122899 और 342226 है।

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से मिली जानकारी के अनुसार, लद्दाखी गधों और जांस्कर टट्टुओं की आबादी में भारी गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण आधुनिक यातायात सुविधाओं के कारण परिवहन के साधन के रूप में इन जानवरों की उपयोगिता में कमी आना है।

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