शोधकर्ताओं ने सीवर-नदी प्रणाली मॉडल की सटीकता और दक्षता में सुधार के लिए एक नई मशीन लर्निंग प्रणाली विकसित की है। एनवायर्नमेंटल साइंस एंड इको-टेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक शोध में यह नया तरीका शहरी जल प्रदूषण को लेकर काफी कम समय में सटीक जानकारी देता है।
शोध में कहा गया है कि सीवर प्रणालियों और शहरी नदियों को एक व्यापक मॉडल में जोड़ने की कठिनाई और सीमित निगरानी के आंकड़ों के कारण लंबे समय से चुनौतियां आ रही हैं। इन चुनौतियों को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पारंपरिक तौर पर साफ करने की विधियां कमजोर पड़ जाती हैं।
इस सफल शोध के केंद्र में दो उन्नत तकनीकों का आसान मिश्रण है जिसे एंट कॉलोनी ऑप्टिमाइजेशन (एसीओ) और लॉन्ग शॉर्ट-टर्म मेमोरी (एलएसटीएम) नेटवर्क, जो मशीन लर्निंग पैरेलल सिस्टम (एमएलपीएस) से जुड़े होते हैं।
एंट कॉलोनी ऑप्टिमाइजेशन (एसीओ) नामक तकनीक, जो चींटियों के सबसे कुशल तरीके से रास्ते खोजने वाले व्यवहार से प्रेरित है, जिसे जल मॉडल के जटिल पैरामीटर स्थान के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए यहां लागू किया गया है। इस बीच, लॉन्ग शॉर्ट-टर्म मेमोरी (एलएसटीएम) नेटवर्क, एक प्रकार का तंत्रिका नेटवर्क, आंकड़ों में पैटर्न की आसानी से पहचान कर सकता है, जो सीवर और नदी प्रणालियों में प्रदूषकों के बहने के बारे में जानकारी देता है।
इन तकनीकों को आपस में मिलाकर, शोधकर्ताओं ने एक एमएलपीएस तैयार किया है जो सीवर और नदी मॉडल का तेजी से और सटीक तरीके से पहचान करने में सक्षम है। पारंपरिक तरीके, जो अक्सर बोझिल और समय लेने वाले होते हैं, इस नए नजरिए की दक्षता या सटीकता से मेल नहीं खा सकते हैं। विशेष रूप से, एमएलपीएस प्रदूषण के स्तर की सटीक पूर्वानुमान लगाने की मॉडल की क्षमता को त्यागे बिना, शुद्धिकरण के समय को संभावित महीनों से घटाकर केवल कुछ दिनों तक कर देता है।
अध्ययन में शोधकर्ता बताते हैं, मशीन लर्निंग समानांतर सिस्टम में एंट कॉलोनी ऑप्टिमाइज़ेशन और लॉन्ग शॉर्ट-टर्म मेमोरी एल्गोरिदम का एक साथ जुड़ाव पर्यावरण प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाने में अहम भूमिका निभाता है। यह तेजी से, सटीक मॉडल को सही तरीके से काम करने में मदद करता है। इसकी मदद से सीमित आंकड़ों के साथ, शहरी जल प्रणाली योजना और प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए रास्ते खुल रहे हैं।
मशीन लर्निंग पैरेलल सिस्टम (एमएलपीएस) शहरी पानी की गुणवत्ता के सटीक अनुकरण के लिए एक मजबूत समाधान प्रदान करता है, जो प्रभावी पर्यावरण प्रबंधन के लिए आवश्यक है। नए आंकड़ों और परिदृश्यों को तेजी से अपनाने की इसकी क्षमता इसे शहरी योजनाकारों और पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बनाती है, जो प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों और टिकाऊ जल प्रबंधन प्रथाओं के विकास की सुविधा प्रदान करती है।