वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से एक घंटे के भीतर पड़ सकता है दिल का दौरा: अध्ययन

अध्ययन में 2,239 अस्पतालों में दिल के दौरे और अस्थिर एनजाइना के इलाज से जुड़े लगभग 13 लाख लोगों के चिकित्सीय आंकड़ों का विश्लेषण किया गया
वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से एक घंटे के भीतर पड़ सकता है दिल का दौरा: अध्ययन
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशा निर्देशों के अनुरूप नीचे के स्तर पर भी वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से घंटे के भीतर दिल का दौरा पड़ सकता है। चीन में किए गए एक नए अध्ययन के मुताबिक इसका खतरा वृद्ध लोगों में सबसे अधिक देखा गया जब वहां मौसम ठंडा था।

अध्ययन में पाया गया कि चार सामान्य वायु प्रदूषकों के किसी भी स्तर के संपर्क में आने से तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) की शुरुआत जल्दी हो सकती है। एसीएस एक ऐसी स्थिति का वर्णन करता है जिसमें हृदय की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है, जैसे कि दिल का दौरा या अस्थिर एनजाइना, रक्त के थक्कों के कारण सीने में दर्द जो अस्थायी रूप से धमनी को अवरुद्ध करता है। सबसे अधिक खतरा प्रदूषण के सम्पर्क में आने के पहले घंटे के भीतर हुआ और जो दिन के दौरान कम हो गया।

शंघाई में फुडन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर तथा अध्ययनकर्ता हैडोंग कान ने कहा कि वायु प्रदूषण से कार्डियोवैस्कुलर पर पड़ने वाले प्रभावों को अच्छी तरह से दर्ज किया गया है। लेकिन हम बहुत जल्दी पड़ने वाले प्रभावों को लेकर आश्चर्यचकित थे। 

उन्होंने कहा एक और आश्चर्य वायु प्रदूषण का शुरूआती प्रभाव था। अध्ययन में दर्ज वायु प्रदूषकों जैसे सूक्ष्म कण पदार्थ, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की किसी भी मात्रा में दिल के दौरे की शुरुआत को बढ़ाने की क्षमता हो सकती है।

सूक्ष्म कणों के संपर्क में, जिसमें सूक्ष्म ठोस या तरल बूंदें जो ऑटोमोबाइल उत्सर्जन, बिजली संयंत्रों, निर्माण स्थलों और प्रदूषण के अन्य स्रोतों से आती हैं शामिल हैं। ये सभी हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ-साथ दुनिया भर में 42 लाख समय से पहले होने वाली मौतों से जुड़ी हुई हैं। ये कण इतने छोटे हो सकते हैं कि जब हम सांस लेते हैं, तो वे हमारे फेफड़ों या रक्त प्रवाह में भी गहराई तक जा सकते हैं।

नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 2015 से 2020 के बीच 318 चीनी शहरों में 2,239 अस्पतालों में दिल के दौरे और अस्थिर एनजाइना के लिए इलाज किए गए लगभग 13 लाख लोगों के चिकित्सीय आंकड़ों का विश्लेषण किया। उन्होंने सूक्ष्म कणों, मोटे कणों की सांद्रता के साथ हृदय की घटनाओं के प्रति घंटा शुरुआत के समय की तुलना की। पदार्थ जिसमें नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और ओजोन शामिल थे।

सूक्ष्म कण पदार्थ, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के किसी भी स्तर के कम अवधि के खतरे के लिए सभी प्रकार के तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम की शुरुआत से जुड़े पाए गए।

जैसे-जैसे अध्ययन किए गए प्रदूषकों का स्तर बढ़ता गया, वैसे-वैसे दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता गया। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का सम्पर्क सबसे अधिक मजबूती से जुड़ा था, इसके बाद सूक्ष्म कण पदार्थ थे और सम्पर्क के बाद पहले घंटे के दौरान सबसे खतरनाक था। धूम्रपान या अन्य सांस की बीमारियों के इतिहास के साथ और ठंड के महीनों के दौरान बीमार होने वाले लोगों के लिए, 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में यह सबसे मजबूती से जुड़ा हुआ पाया गया था।

कान ने कहा कि वायु प्रदूषण के हृदय संबंधी प्रभाव नीति निर्माताओं, चिकित्सकों और लोगों सहित सभी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए। नीति निर्माताओं के लिए, हमारे निष्कर्ष वायु गुणवत्ता मानकों को और सख्त करने, अधिक कठोर वायु प्रदूषण नियंत्रण और त्वरित सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की आवश्यकता को उजागर करते हैं।

क्लीवलैंड में केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी में कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ संजय राजगोपालन ने कहा हर घंटे के आधार पर प्रदूषण के खतरे और दिल के दौरे के बीच एक संबंध स्थापित करने वाला यह पहला अध्ययन है।

उन्होंने कहा अध्ययनकर्ता निश्चित रूप से यह दिखाने में सक्षम थे कि दिल का दौरा पड़ने के समय वायु प्रदूषण का स्तर उसी घंटे के दौरान वायु प्रदूषण के स्तर के साथ गंभीरता से जुड़ा हुआ था। इससे पता चलता है कि जब वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होता है तो सुरक्षात्मक उपाय करने से दिल के दौरे को रोकने में मदद मिल सकती है।

राजगोपालन ने वायु प्रदूषण के खतरों को कम करने के तरीके के बारे में 2020 में सुझाव दिए थे। इन तरीकों में खिड़कियां बंद करना और पोर्टेबल एयर क्लीनर और बिल्ट-इन एयर कंडीशनिंग फिल्टर के साथ-साथ व्यक्तिगत एयर-प्यूरिफाइंग रेस्पिरेटर का उपयोग करना शामिल है जो अधिक खतरे वाले लोगों के लिए नाक और मुंह को कवर करते हैं।

राजगोपालन ने कहा कि इसमें ठीक से फिट होने वाले मास्क, जैसे कि कोविड​​-19 के फैलने को रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मास्क भी मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कोविड-19 की सबसे बड़ी खासियत एन95 मास्क का बहुत अधिक इस्तेमाल होना है। ये कणों से सम्पर्क को कम करने में बहुत अच्छे हैं। ये आपको इन्हें शरीर के अंदर लेने से रोकेंगे।

कान ने कहा हालांकि यह अध्ययन चीन में किया गया था, जिसकी हवा की गुणवत्ता दुनिया में सबसे खराब है, लेकिन निष्कर्ष अन्य देशों पर भी लागू हो सकते हैं।

उन्होंने कहा बात यह है कि प्रदूषण की कोई सीमा नहीं होती है, बहुत कम प्रदूषण भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। अध्ययन यह सुझाव देता है कि निष्कर्षों को वायु प्रदूषण के निम्न स्तर वाले देशों पर भी लागू किया जा सकता है, जैसे कि अमेरिका आदि देशों पर। 

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