दिल्ली के आवासीय क्षेत्र में चल रहे ‘लाल श्रेणी’ के उद्योग, एनजीटी ने आरोपों की जांच के दिए निर्देश

पूरा मामला लाल श्रेणी की प्रदूषणकारी इकाइयों से संबंधित है, जो दिल्ली के गली कुआं वली, लाल दरवाजा, सिरकी वालान, और लाल कुआं के आवासीय क्षेत्रों में चल रही हैं
दिल्ली के आवासीय क्षेत्र में चल रहे ‘लाल श्रेणी’ के उद्योग, एनजीटी ने आरोपों की जांच के दिए निर्देश
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आरोप है कि दिल्ली में लाल कुआं के आवासीय क्षेत्रों में लाल श्रेणी यानी अत्यधिक प्रदूषण पैदा करने वाले उद्योग चल रहे हैं। ऐसे में इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 28 नवंबर, 2023 को जांच के एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है।

कोर्ट के निर्देशानुसार इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिवों के साथ दक्षिणी दिल्ली एसडीएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगें।

कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने के साथ आरोपों की सत्यता की जांच करने और यदि नियमों का उल्लंघन पाया जाता है तो उससे निपटने के लिए सुझाव देने के साथ-साथ दो महीनों के भीतर एनजीटी के समक्ष स्थिति और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

बता दें कि पूरा मामला लाल श्रेणी की प्रदूषणकारी इकाइयों से संबंधित है, जो दिल्ली के गली कुआं वली, लाल दरवाजा, सिरकी वालान, और लाल कुआं के आवासीय क्षेत्रों में चल रही हैं। कथित तौर पर, ये इकाइयां नट और बोल्ट को धोने और चमकाने के काम में लगी हैं, जिसके लिए वो हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उपयोग करती हैं। इसकी वजह से वायु और जल प्रदूषण होता है। आरोप है कि यह इकाइयां पर्यावरण संबंधी नियमों को ताक पर रख कर चल रही हैं।

यह भी आरोप है कि इकाइयां बिना किसी अनुमति के गैरकानूनी तरीके से भूजल का दोहन कर रही हैं। इसके लिए अवैध बोरवेल भी लगाए गए हैं। इतना ही नहीं यह उद्योग उपयोग होने वाले हाइड्रोक्लोरिक एसिड सहित अन्य कचरे को सीधे पास की नालियों या खुली भूमि में छोड़ रही हैं, जिससे वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो गया है। इतना ही नहीं यह भी दावा किया गया है कि पिछले तीन वर्षों से इसी वजह से मौतें भी हो चुकी हैं।

एनजीटी ने भूजल के गिरते स्तर पर 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मांगा जवाब

देश में भूजल के स्तर में आती गिरावट से जुड़े एक मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उनका जवाब मांगा है। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण, जल शक्ति मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

मैंगलोर में चलता अवैध पत्थर खनन का कारोबार, एनजीटी ने नोटिस जारी करने के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 24 नवंबर 2023 को कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दक्षिण कन्नड़, मैंगलोर के उपायुक्त और कर्नाटक खनन विभाग को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई मैंगलोर के नीरुमार्गा ग्राम पंचायत के बाहरी इलाके में अवैध पत्थर खनन की समस्या के जवाब में थी, जो पिछले तीन वर्षों से चल रही है।

कर्नाटक राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को बताया है कि 25 अक्टूबर, 2023 को निरीक्षण किया गया था और क्षेत्र में खनन गतिविधियां रोक दी गई है साथ ही मशीनें और जेसीबी जब्त कर ली गई हैं।

एनजीटी ने इस मामले पर आगे की कार्रवाई के लिए इसे दक्षिणी बेंच को भेजे जाने का निर्देश भी दिया है। ऐसे में मामले पर अगली सुनवाई पांच जनवरी 2024 को एनजीटी की दक्षिणी बेंच द्वारा की जाएगी। 

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