दूध गंगा को मैला कर रहा है उसमें छोड़ा जा रहा सीवेज और कचरा, हलफनामे में हुआ खुलासा

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
दूध गंगा को मैला कर रहा है उसमें छोड़ा जा रहा सीवेज और कचरा, हलफनामे में हुआ खुलासा
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दूध गंगा में दूषित सीवेज और कचरा डाला जा रहा है जो उसे मैला कर रहा है। इस नदी खंड पर सीवेज उपचार संयंत्रों की स्थापना नहीं की गई है। जानकारी मिली है कि आज तक न तो दूध गंगा धारा के पूरे खंड पर, न ही श्रीनगर नगर निगम की सीमा में और न ही बडगाम के अपस्ट्रीम में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किया गया है।

इस मामले में राजा मुजफ्फर भट की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा है कि अभी तक इसके लिए टेंडर भी नहीं मंगाए गए हैं। इसके साथ ही आवेदक ने बताया कि दूध गंगा के तटबंधों पर लगातार अवैज्ञानिक तरीके से कचरे की डंपिंग की जा रही है। वहां इसकी निगरानी तक नहीं की जाती। इतना ही नहीं चादूरा कस्बे से होते हुए बरनवार से मोछवा और बेग-ए-मेहताब से तेंगापोरा तक अभी भी बरसों से फेंका गया कचरा पड़ा है।

जानकारी मिली है कि बोरवाह, क्रालवारी, सोगम, हंजीगुन, वाथूरा, शाहपोरा, गोपालपोरा, क्रालपोरा, मोचवा जैसे गांवों में, दूध गंगा नदी के तटबंधों पर ठोस कचरे के ढेर पड़े हैं और वहां प्लास्टिक और अन्य कचरे को बरसों से डंप किया जाता रहा है। इसकी बहाली के लिए स्थानीय नगरपालिका या ग्रामीण विकास विभाग ने आज तक पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं।

इसके साथ ही चादूरा कस्बे में दूध गंगा में लगातार अवैध खनन किया जा रहा है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। यहां नदी तल में खनन के लिए बड़ी मशीनों, जेसीबी और एल एंड टी क्रेन की मदद ली जा रही है। जो जम्मू-कश्मीर गौण खनिज रियायत नियम 2016 के तहत सख्त रूप से वर्जित है। इसके साथ ही यह स्पष्ट तौर पर राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण की विशिष्ट शर्तों का भी पूर्ण रूप से उल्लंघन है।

लगातार अवैध खनन से चदूरा शहर के आसपास बड़े पैमाने पर मिट्टी का कटाव हो रहा है, इसके चलते दूध गंगा के तटबंध कमजोर हो गए हैं और चदूरा में सरकारी डिग्री कॉलेज के पास धीरे-धीरे कटाव हो रहा है।

आगरा के गौरी कुंग में जल निकासी में आ रही बाधा की जांच के लिए समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने समिति को आगरा के गौरी कुंज में राष्ट्रीय राजमार्ग 3 पर नाले के जल निकासी में आ रही बाधा की जांच के निर्देश दिए हैं। इसकी वजह से वहां जल भराव और बाढ़ की समस्या पैदा हो गई है। कोर्ट ने शिकायत की जांच के लिए आगरा विकास प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आगरा के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति गठित की है।

आवेदक के अनुसार यह मामला भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा आगरा में रोहता से नगला मकरौल, इटोरा तक एक सड़क के निर्माण से जुड़ा है। यह सड़क दोनों और सर्विस लेन के साथ 12 किलोमीटर लम्बी है। इस हाईवे के दोनो और अधिकृत और अनधिकृत दोनों ही आवासीय कॉलोनियों में हजारों की तादाद में लोग रह रहे हैं।

आवेदक और क्षेत्र के अन्य निवासियों को जल निकासी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जिससे जल भराव और बाढ़ की समस्या पैदा हो गई है। पता चला है कि प्रभावित हिस्से में लगभग घुटने तक पानी भर गया है।

गौरतलब है कि आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) को क्षेत्र के लिए एक जल निकासी नेटवर्क प्रणाली का निर्माण करना था और एनएचएआई को रोहता से काकुआ तक राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक नाला बनाना था, लेकिन अब तक इस मामले में कुछ भी नहीं किया गया है।

सिवान जलग्रहण क्षेत्र के आसपास पूरी तरह बंद कर दिया गया है ईंट भट्ठों का कामकाज 

सीहोर में सिवान नदी के जलग्रहण क्षेत्र के आसपास ईंट भट्ठों का कामकाज पूरी तरह बंद कर दिया गया है। मामला मध्यप्रदेश के मध्य सीहोर जिले का है। इस मामले में  ईंट भट्ठा मालिकों ने न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा है कि क्षेत्र में कोई नए ईंट भट्ठे का निर्माण नहीं किया जाएगा।

पता चला है कि भट्ठा मालिकों ने इस क्षेत्र से करीब पांच-छह ईंट भट्ठों को पूरी तरह से हटा दिया है और शेष ईंट भट्टों को हटाने की प्रक्रिया चल रही है। यह जानकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) द्वारा दायर की गई कार्रवाई रिपोर्ट में सामने आई है।

गौरतलब है कि कोर्ट ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सिवान नदी के आसपास स्थित ईंट भट्टों के संचालन के लिए सहमति की स्थिति और विवरण के संबंध में विशेष रूप से जवाब मांगा था। कहा गया है कि भूमि का सीमांकन और पहचान राजस्व अधिकारियों या कलेक्टर द्वारा कानून के अनुसार की जानी चाहिए ताकि जिससे आगे अतिक्रमण न हो।

एमपीपीसीबी के अधिकारियों ने 29 अप्रैल, 2023 को  सीहोर के जिला कलेक्टर के साथ मिलकर इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था। उन्होंने जानकारी दी है कि रिकॉर्ड के अनुसार ईंट भट्ठों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति नहीं ली है।

इस मामले में 26 अगस्त 2022 को ईंट भट्ठा मालिकों को पत्र के जरिए कहा गया था कि वो बीजसंधाम कॉलोनी के पास सीवन जलग्रहण क्षेत्र में ईंट भट्ठों को न चलाए। इस मामले में 26 अगस्त 2022 को ईंट भट्ठा मालिकों को पत्र के जरिए कहा गया था कि वो बिजासन धाम कॉलोनी के पास सीवन जलग्रहण क्षेत्र में ईंट भट्ठों को न चलाए। बिजासन धाम में सिवान नदी के पास निरीक्षण के दौरान पांच छह जगह ईंटों का भंडार पाया गया। पता चला है कि बाकी ईंट भट्ठों को मौके से हटा दिया गया है। 

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