पोटेशियम, सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, क्लोरीन और कैल्शियम जैसे तत्व दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं। यह जानकारी हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) द्वारा किए शोध में सामने आई है। जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली के सहयोग से किया गया है। दिल्ली की हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों की उपस्थिति और उसके कारणों को दर्शाने वाला यह अध्ययन जर्नल कीमोस्फीयर में प्रकाशित हुआ है।
भारत में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। अनुमान है कि हर साल इसके चलते देश में 11 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है। ऐसे में दिल्ली भी इससे अलग नहीं है, जिसे अंतराष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार किया गया है। इसके लिए देश की बढ़ती आबादी और ऊर्जा की खपत में लगातार होती वृद्धि मुख्य रूप से जिम्मेवार है। यदि दिल्ली की आबादी की बात करें तो वो 3 करोड़ से ज्यादा है। जो हर वर्ष औसतन इतना फाइन पार्टिकुलेट मैटर- पीएम 2.5 उत्सर्जित करती है जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से करीब 15 गुना ज्यादा है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन ओपन एक्यू द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि दिल्ली में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 102 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड किया गया था।
क्या कहता है अध्ययन
दिल्ली की हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण के पांच स्रोतों - निर्माण, सड़क की धूल, कूड़े-कचरे को जलाने, लैंडफिल में लगने वाली आग और फसल के अवशेषों को जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की रासायनिक संरचना की निगरानी की थी। उन्होंने प्रत्येक तरह के स्रोतों में मौजूद रासायनिक तत्वों जैसे आर्गेनिक कार्बन, एलीमेन्टल कार्बन, पानी में घुलनशील आयनों और अन्य तत्वों की निगरानी की थी। हवा में मौजूद मेटल तत्वों की उपस्थिति बहुत मायने रखती है, वो स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं को पता चला कि वायु प्रदूषण के 90 फीसदी स्रोतों में आर्गेनिक कार्बन पदार्थ मौजूद थे। इसके साथ ही निर्माण कार्यों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण में बड़ी मात्रा में पोटेशियम, सिलिकॉन, एल्यूमीनियम और कैल्शियम जैसे तत्व थे। साथ ही हवा में आर्गेनिक कार्बन, पोटेशियम और क्लोरीन भी मौजूद थे जोकि इस बात का सबूत है कि सॉलिड वेस्ट और फसलों को जलाने से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण भी दिल्ली की हवा को जहरीला बना रहा है।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता और जीसीएआरई के संस्थापक निदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि "वायु प्रदूषण के खिलाफ चल रही इस जंग में हमें समस्या के आकार और जटिलता के बारे में सबसे सटीक जानकारी की आवश्यकता होगी। हमें विश्वास है कि दिल्ली में प्रदूषण की रासायनिक संरचना का डेटाबेस भविष्य में भारत सरकार और इस समस्या से निपटने के लिए काम कर रहे शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी होगा।"
साक्ष्य मौजूद हैं वायु प्रदूषण न केवल दुनिया भर में होने वाली अनेकों मौतों के लिए जिम्मेवार है बल्कि इसके चलते लोगों के स्वास्थ्य का स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है। आज इसके कारण दुनिया भर में कैंसर, अस्थमा जैसी बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं। इसके चलते शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी गिरता जा रहा है, परिणामस्वरूप हिंसा, अवसाद और आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। दुनिया भर में वायु प्रदूषण एक ऐसा खतरा है जिससे कोई नहीं बच सकता और न ही इससे भाग सकता है। ऐसे में बचने का सिर्फ एक तरीका है, जितना हो सके इसे कम किया जाए।