सरकार ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए दी जा रही फेम 2 सब्सिडी में कटौती कर दी है। इसकी वजह से जून से इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की कीमतें बढ़ सकती हैं। गौरतलब है कि केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने 19 मई, 2023 को इन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए दी जा रही सब्सिडी को 15,000 रुपए प्रति किलोवाट-घंटे से घटाकर 10,000 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा कर दिया था।
इतना ही नहीं मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की एक्स-फैक्ट्री कीमत पर अधिकतम सब्सिडी की सीमा को भी 40 फीसदी से घटाकर 15 फीसद कर दिया है। इसका असर उपभोक्ताओं की पसंद और जेब पर पड़ सकता है। सब्सिडी में इस कटौती को 1 जून, 2023 से लागू किया जाएगा। ऐसे में यह 1 जून, 2023 या उसके बाद में पंजीकृत सभी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर लागू होगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए केंद सरकार ने 2015 में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना को लागू किया था।
वहीं इस योजना के दूसरे चरण को अप्रैल 2019 में लागू किया गया था जिसे फेम-II के रूप में जाना जाता है। इस योजना को अगले तीन वर्षों के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसकी समयावधि मार्च 2022 तक थी।
इस योजना के तहत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी के लिए 10,000 करोड़ रुपए आबंटित किए थे। इसमें से 2,000 करोड़ रुपए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए थे, जो पहले ही खत्म हो चुके हैं। हालांकि सरकार ने जून 2021 में इस योजना को दो वर्षों के लिए बढ़ा दिया था। इस तरह इस योजना के तहत दी जा रही सब्सिडी योजना को 31 मार्च 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।
ऐसे में जिस तरह से पिछले सप्ताह इन इलेक्ट्रिक वाहनों को दी जा रही सब्सिडी में भारी कटौती की गई है, उससे निश्चित तौर पर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के बाजार और उपभोक्ताओं को धक्का लगेगा। सब्सिडी में की गई इस कटौती से प्रीमियम बाइक्स की बिक्री में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
इसका नतीजा यह होगा कि मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) बाजार में शेयरों को बनाए रखने के लिए अपने वाहनों के स्ट्रिप्ड-डाउन मॉडल लॉन्च करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। वहीं उद्योग से जुड़े कई खिलाडी बाजार भावना को बरकरार रखने के लिए इस प्रवृत्ति का पालन करेंगे।
आंकड़ों के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री मार्च 2023 में अपने चरम पर थी जब देश में 85,793 यूनिट्स की बिक्री की गई थी। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने 7,432 सार्वजनिक फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम सहित सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को फेम-II योजना के तहत 800 करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी।
सार्वजनिक चार्जिंग के बुनियादी ढांचे में विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति ने कुछ बदलावों की सिफारिश भी की थी। इसमें डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर, लो और हाई टेंशन केबल, वैकल्पिक करंट डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स, सर्किट ब्रेकर / आइसोलेटर्स, प्रोटेक्शन इक्विपमेंट, ट्यूबलर या प्लेन कंक्रीट सीमेंट, माउंटिंग स्ट्रक्चर, फेंसिंग और सिविल वर्क जैसे अपस्ट्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर का समर्थन करना शामिल था। देखा जाए तो आम तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर जितना खर्च आता है उसका 60 फीसदी इसपर ही खर्च होता है।
उम्मीद है कि इन्हें मार्च 2024 तक लगा दिया जाएगा। इस समय देश भर में करीब 6,586 चार्जिंग स्टेशन हैं। ऐसे में 7,432 नए सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने में काफी मददगार होगी। इन चार्जिंग स्टेशनों का उपयोग इलेक्ट्रिक दोपहिया, चौपहिया और हल्के वाणिज्यिक वाहनों को चार्ज करने के लिए किया जाएगा।
उम्मीद थी कि इन कदमों से न केवल भारत में ईवी इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही लोगों को भी परिवहन के साफ-सुथरे साधनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
हालांकि यदि हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएं तो इस बदलाव के लिए जरूरी है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी जारी रखे। वहीं घटती सब्सिडी निस्संदेह उपभोक्ताओं की इन वाहनों के प्रति रूचि को कम करेगी। साथ ही यह इनको अपनाने की गति को भी धीमा कर देगी। इसका खामियाजा पूरे उद्योग को भरना होगा।