वायु प्रदूषण पर अंकुश : पार्किंग नियमों को अधिसूचित करने वाला देश का पहला शहर बना दिल्ली

सभी वार्ड में हरित क्षेत्र, फुटपाथ, बस स्टॉप, चौराहों को बिना नुकसान पहुंचाए आपात वाहनों के लेन को खाली रखना होगा। पार्किंग स्थलों की पहचान और उसका सीमांकन भी करना होगा।
Photo : Down to Earth
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वाहनों पर अंकुश और प्रदूषण नियंत्रण के लिए पार्किंग कानून की अधिसूचना जारी करने के मामले में दिल्ली देश का पहला शहर बन गया है। दिल्ली मेंटनेंस एंड मैनेजमेंट ऑफ पार्किंग प्लेसेज रूल्स, 2019  दिल्ली मास्टर प्लान, 2021 के अनुरूप सभी स्थानीय शहरी निकायों और भूमि स्वामित्व वाली एजेंसियों को स्थानीय शहरी-विशिष्ट एकीकृत पार्किंग योजना (क्षेत्रवार पार्किंग योजना) तैयार करने और लागू करने के लिए उत्तरदायी बनाता है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अधीन धारा 212 के तहत यह अधिसूचना जारी की है। यह पार्किंग प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को मजबूत कानूनी समर्थन प्रधान करती है। यह अधिसूचना पार्किंग मांग को घटाएगी और प्रबंधित भी करेगी। विस्तृत स्वच्छ हवा योजना (कैप) की  धारा 2, 5, 3 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए यह योजना तैयार की गई है। कैप को स्वच्छ हवा के लिए जून, 2018 में अधिसूचित किया गया था।

संक्षेप में नया पार्किंग कानून सभी संबंधित विभागों की साझा सहमति का दस्तावेज है। इनमें मौजूद नियम और दिशा-निर्देश सभी वार्ड में हरित क्षेत्र, फुटपाथ, बस स्टॉप, चौराहों को बिना नुकसान पहुंचाए आपात वाहनों के लेन को खाली रखना होगा। सभी वार्ड में पार्किंग के लिए कानूनी तौर पर जगह की पहचान करनी होगी और उसका सीमांकन भी करना होगा। अवैध पार्किंग के लिए दंड प्रस्तावित है। सबसे भीड़-भाड़ वाले समय में पार्किंग की मांग को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न् पार्किंग दरें तय की गई हैं। इसमें उपलब्ध पार्किंग सुविधाओं को (ऑफ और ऑन-स्ट्रीट दोनों) साझा करने के लिए भी कहा गया है। ताकि किसी भी समय ज्यादा से ज्यादा पार्किंग स्थल का इस्तेमाल हो सके।

 नियमों में...

स्थानीय इलाके में सुधार या व्यापक सार्वजनिक हित के लिए पार्किंग राजस्व निर्धारित किया जाएगा। जबकि पार्किंग मूल्य निर्धारण पार्किंग के उपयोग और व्यवहार में परिवर्तन की मांग को नियंत्रित और प्रभावित करने के बारे में है। किसी भी क्षेत्र के लिए समग्र पार्किंग प्रबंधन रणनीति से पार्किंग मूल्य निर्धारण को अलग रखकर नहीं लगाया जा सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय पार्किंग योजनाओं का प्रावधान है जो सिर्फ पार्किंग स्थल और संरचनाओं की आपूर्ति तक सीमित नहीं हैं। बल्कि यह पूरी सड़क और क्षेत्र प्रबंधन का दृष्टिकोण मुहैया कराता है। इसमें पैदल चालकों, साइकिल चालकों, बहु-परिवहन एकीकरण से संबंधित सार्वजनिक परिवहन, पैराट्रांसिट, पिक अप और ड्रॉप की जरूरतों के प्राथमिकता क्रम में सभी उपयोगकर्ताओं की आवश्यकता को भी परिभाषित किया गया है।

यह रेड़ी-पठरी क्षेत्र, ठहरने और रुकने के क्षेत्र और छोटी अवधि के लिए मूल्य निर्धारण योजना और रातोंरात पार्किंग के प्रावधानों को भी संबोधित किया गया है। पार्किंग के लिए जगह प्रदान करते समय इन सभी हितों को समान रूप से संतुलित करना होगा।

पार्किंग क्षेत्र की योजनाओं में आवासीय और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्र शामिल होंगे। आवासीय क्षेत्र पार्किंग योजना स्थानीय निवासी कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए) के परामर्श से तैयार की जाएगी। यदि आवश्यक होगा तो भुगतान के आधार पर नए पार्किंग स्थल बनाए जाएंगे।

आवासीय पार्किंग क्षेत्र की योजनाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉलोनी में कोई भी लेन या सड़कत आपातकालीन वाहनों के लिए निर्धारित की जाए, जिसमें एम्बुलेंस, फायर टेंडर, पुलिस वाहन आदि का परिवहन संभव हो। इसी समय हरित क्षेत्र, पार्क, पैदल मार्ग को पार्किंग और अतिक्रमण मुक्त रखा जाएगा। सड़क के किसी भी तरफ

सड़क के हर तरफ चौराहों से कम से कम 25 मीटर तक की सड़क पर पार्किंग की अनुमति नहीं होगी। स्कूल टाइमिंग पर भी विशेष ध्यान देने की मांग है ताकि दिन के दौरान जब ज्यादा भीड़-भाड़ हो तब भई प्रबंधन किया जा सके।

पार्किंग योजनाओं को तैयार करते समय भारतीय सड़क कांग्रेस (राजमार्ग इंजीनियरों के एक सर्वोच्च निकाय) के प्रासंगिक दिशानिर्देशों को न सिर्फ ध्यान रखना होगा बल्कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) व एकीकृत यातायात और परिवहन अवसंरचना (योजना और इंजीनियरिंग) केंद्र की सड़क डिजाईन के दिशानिर्देशों का भी पालन करना होगा।

परिवर्तनशील और गतिशील पार्किंग शुल्क तय करने के लिए नए नियमों में कई सूत्र बनाए गए हैं। स्पष्ट रूप से ऑफ और ऑन-स्ट्रीट पार्किंग लॉट्स के बीच एक अंतर बनाए रखने के लिए कहा गया है। ( ऑन-स्ट्रीट को ऑफ-स्ट्रीट पार्किंग से दोगुना होना चाहिए)। यह नो-पार्किंग ज़ोन का पूरा ख्याल रखा होगा और उल्लंघन के लिए जुर्माना भी देय होगा।

सबसे उल्लेखनीय है स्थानीय विकास कार्यों के लिए पार्किंग राजस्व के उपयोग का प्रावधान , जिसमें पैदल यात्री सुरक्षा, गैर-मोटर चालित लेन और पार्किंग स्थल का विकास शामिल है। पार्किंग क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने का भी स्पष्ट प्रावधान है। यह पार्किंग नियम एक जबरदस्त बदलाव का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कार्यान्वयन पर जोर

उच्चतम न्यायालय के निर्देश ने पहले से ही बहुप्रतीक्षित पार्किंग नियमों और दिशानिर्देशों को अपनी अधिसूचना और कार्यान्वयन के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन क्षेत्र पार्किंग क्षेत्र की योजनाओं को लागू करने के लिए विशिष्ट निर्देश दिए हैं: इनमें दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के तहत लाजपत नगर III, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के तहत कमला नगर और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के तहत कृष्णा नगर पायलट प्रयोग के तौर पर शामिल हैं। दिसंबर तक इनके परिणामों के आधार पर शहर भर में इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया जाएगा।

इस पहल ने दिल्ली के एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र लाजपत नगर में पहले ही स्थानीय कार्रवाई को बढ़ावा दिया है, जहां एसडीएमसी और स्थानीय दुकानदारों के संघ और अन्य लोगों ने पार्किंग को व्यवस्थित करना शुरू कर दिया है। पायलट परियोजनाओं से यह प्रदर्शित किया जाता है कि सभी कानूनी आवश्यकताओं का पालन करने के बाद स्थानीय क्षेत्र में वर्तमान पार्किंग की मांग को कैसे समायोजित किया जाएगा और अतिरिक्त कारों के लिए स्थान भी खोजा जाएगा। दुर्भाग्य से, आवासीय क्षेत्रों में मूल्य निर्धारण प्रावधानों से विशेष रूप से निपटने वाले कुछ खंडों को अंतिम अधिसूचना से बाहर रखा गया है। यह आवासीय क्षेत्रों के लिए प्रावधानों को कमजोर करता है जहां पार्किंग संकट का अनुभव ज्यादा होता है। यह आशा की जाती है कि क्षेत्र की पार्किंग योजना तैयार करने और कार्यान्वित किए जाने के बाद, पार्किंग की मांग का प्रबंधन करने के लिए नियमों में संशोधन करने के लिए इन महत्वपूर्ण खंडों को भी वापस लाया जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ( ईपीसीए) द्वारा किए गए लाजपत नगर III के क्षेत्र योजना की समीक्षा ने इस स्पष्ट वास्तविकता को चित्रित किया है। कॉलोनी में 448 हाउसिंग प्लॉट और 3,510 कारें हैं। इसलिए, योजना ने इस क्षेत्र की सीमा के बाहर वैकल्पिक साइटों को अन्य सार्वजनिक पार्किंग लॉट में समायोजित करने के लिए पाया है। यह अभी भी सीमा तक फैला हुआ है। मूल्य निर्धारण और आवासीय पार्किंग परमिट की अतिरिक्त रणनीति के बिना पार्किंग संकट को एक बिंदु से परे प्रबंधित नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दिसंबर तक आवासीय क्षेत्रों में तीन पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए ईपीसीए को निर्देश दिया है और सार्वजनिक परिवहन सवार में सुधार के लिए अंतिम मील कनेक्टिविटी के साथ-साथ प्रमुख मेट्रो स्टेशनों के बहु-मोडल एकीकरण के लिए पार्किंग रणनीतियों की योजना भी बना रहा है।

नए नियम एक अच्छी शुरुआत और एक बड़ा कदम है। यह भीड़ और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पार्किंग की मांग और निजी वाहन के उपयोग पर लगाम लगाने के लिए ज्यादा आग्रह के साथ लागू किया जाना चाहिए।

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