दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण स्तर का सम-विषम जारी है। राष्ट्रीय राजधानी का मौसम भी प्रदूषण स्तर को बनाए रखने वाला है। खराब मौसम और स्थानीय प्रदूषण व पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम न होने के कारण दिल्ली में एक बार फिर से आपात वायु प्रदूषण की मार लोगों को झेलनी पड़ सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की डांट के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई थी लेकिन फिर से 10 और 11 नवंबर को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली का जलाना जारी है। सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत की तरफ भी पराली जलाई गई। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की सेटेलाइट तस्वीरों में यह स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है।
नासा सेटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक 10 और 11 नवंबर को पंजाब में जबरदस्त पराली जलाई गई है। इन आग की घटनाओं के कारण उठने वाला धुंआ और प्रदूषण दिल्ली पहुंचा तो लेकिन प्रदूषण यहां की हवा में गिरफ्तार हो गया। दिल्ली में उच्च आद्रता और हवा की गति 6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी कम है। इसके अलावा मिश्रित वायु परत भी सतह के बिल्कुल करीब पहुंच गया है। इससे प्रदूषण कणों को बिखरने का मौका नहीं मिल रहा।
कृषि मंत्रालय की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 10 नवंबर को यूपी, पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने की कुल 2344 घटनाओं को रिकॉर्ड किया गया। सबसे ज्यादा 2046 पंजाब, फिर हरियाणा में 151 और यूपी में 147 घटनाएं रिकॉर्ड हुईं। जैसा कयास लगाया जा रहा था कि यूपी में खेतों में पराली में आग देर से लगाई जा सकती है। तीनों राज्यों में 09 नवंबर से ही पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। 09 नवंबर को पराली जलाने की 2298 घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं।
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 09 नवंबर को 283 (खराब श्रेणी) में था। जो कि 10 नवंबर को बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया। 11 नवंबर को 360 एक्यूआई दिल्ली का रिकॉर्ड किया गया। 12 नवंबर को रीयल टाइम आंकड़ों में यह 401 यानी गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता को पार कर चुका है।