प्रदूषण से हांफती दिल्ली, पांच वर्षों में सबसे ज्यादा दूषित रही हवा, मुंबई में भी 42 फीसदी बढ़ा प्रदूषण

अक्टूबर 2022 के दौरान दिल्ली में पीएम 2.5 का औसत स्तर 109.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो अक्टूबर 2023 में बढ़कर 113.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया
दिल्ली में लम्बे समय से प्रदूषण की समस्या चली आ रही है, जिससे निपटने के लिए अभी भी ठोस करवाई की दरकार है; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
दिल्ली में लम्बे समय से प्रदूषण की समस्या चली आ रही है, जिससे निपटने के लिए अभी भी ठोस करवाई की दरकार है; फोटो: विकास चौधरी/सीएसई
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हर गुजरते दिन के साथ प्रदूषण कहीं ज्यादा विकराल रूप लेता जा रहा है। दिल्ली में तो आलम यह है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार पहुंच गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति देश के कई अन्य शहरों में भी है, जहां लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं लोगों को सांस फूलने के साथ-साथ, सूखी खांसी, गले में संक्रमण जैसी कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए तो स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में तो स्कूलों तक को बंद करना पड़ गया है। साथ ही प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई अन्य बंदिशें लागू कर दी गई है।

इस बीच क्लाइमेट-टेक स्टार्ट-अप रेस्पिरर लिविंग साइंसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले पांच वर्षों में अक्टूबर के दौरान दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर देश में सबसे ज्यादा था। बता दें कि इस सीजन में पहली बार दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण 'गंभीर' स्तर पर पहुंच गया है। वहीं यदि अक्टूबर 2023 से जुड़े आंकड़ों को देखें तो इस दौरान रहा प्रदूषण, पिछले वर्ष अक्टूबर 2022 की तुलना में 4.4 फीसदी ज्यादा रहा।

गौरतलब है कि जहां अक्टूबर 2022 के दौरान दिल्ली में पीएम 2.5 का औसत स्तर 109.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो अक्टूबर 2023 में बढ़कर 113.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया था।

गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 के दौरान दिल्ली में प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मानकों से कई गुणा ज्यादा रहा। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो इस दौरान जहां प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से साढ़े सात गुणा ज्यादा था। वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इसके लिए निर्धारित 'सुरक्षित' सीमा से भी  3.7 गुणा ज्यादा था।

रेस्पिरर रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के इस विश्लेषण से यह भी पता चला है कि देश के चार प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता में अक्टूबर 2022 की तुलना में इस साल समान अवधि में प्रदूषण (पीएम 2.5) का स्तर बढ़ा है। वहीं एक साल पहले की तुलना में, 23 फीसदी से अधिक की कमी के साथ चेन्नई इनमें से सबसे कम प्रदूषित शहर रहा।

इसके साथ ही 2022 और 2023 के बीच अक्टूबर के दौरान चेन्नई सहित तीन अन्य शहरों लखनऊ, पटना और बेंगलुरु में भी पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि यह अध्ययन देश के आठ प्रमुख राज्यों की राजधानियों में 2019 से 2023 के बीच अक्टूबर के दौरान हुए प्रदूषण के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ, हैदराबाद और पटना शामिल थे। इन सभी शहरों में  दिल्ली सबसे प्रदूषित रहा।

रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में 2019 से 2023 के बीच अक्टूबर के दौरान पीएम 2.5 के स्तर में कमोबेश वृद्धि देखी गई है। मुंबई में अक्टूबर 2023 के दौरान प्रदूषण का स्तर पिछले अक्टूबर की तुलना में 42.1 फीसदी से ज्यादा दर्ज किया गया। इसी तरह जहां अक्टूबर 2022-23 के दौरान कोलकता में पीएम 2.5 के स्तर 40.2 फीसदी की वृद्धि रिकॉर्ड की गई। वहीं हैदराबाद में भी प्रदूषण के स्तर में 18.6 फीसदी की वृद्धि आई है।

यदि अक्टूबर 2023 और अक्टूबर 2022 की तुलना करें तो आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण में सबसे ज्यादा गिरावट चेन्नई में दर्ज की गई है। जहां इस दौरान पीएम 2.5 के स्तर में करीब 23.7 फीसदी की गिरावट आई है। मतलब की वहां अक्टूबर के दौरान हवा पहले की तुलना में साफ हुई है।

इससे पहले चेन्नई में अक्टूबर 2019 से 2020 के दौरान समान अवधि में पीएम 2.5 के स्तर में 43.2 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया जो 2021 में 27.8 फीसदी घट गया था। वहीं अक्टूबर 2022 में इसमें फिर से 61.6 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया था।

वहीं बेंगलुरु में अक्टूबर 2022 से अक्टूबर 2023 की तुलना करें तो पीएम 2.5 के स्तर में 11.6 फीसदी की कमी आई है। इसी तरह पटना में 11.1 फीसदी और लखनऊ में प्रदूषण के स्तर में महज 0.9 फीसदी की गिरावट आई है। बता दें कि इससे पहले अक्टूबर 2019 और अक्टूबर 2020 के बीच बेंगलुरु में पीएम 2.5 का स्तर करीब 72.1 फीसदी बढ़ गया था। 

दिल्ली सहित कई शहरों में जहरीली हो गई है हवा

आंकड़ों की मानें तो भारत में रहने वाले 130 करोड़ लोग आज ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी दिशानिर्देशों (पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से कहीं ज्यादा है। देश में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) भी लम्बे समय से लोगों को आगाह करता रहा है। साथ ही इससे निपटने के लिए क्या करना चाहिए इस बारे में भी जानकारी साझा करता रहा है।

शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट (ईपीआईसी) द्वारा जारी एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआई) के हवाले से पता चला है कि यदि दिल्ली-एनसीआर में लोगों को साफ हवा मिले तो इससे उनकी आयु में औसतन 11.9 वर्षों का इजाफा हो सकता है। वहीं यदि हर भारतीय साफ हवा में सांस ले तो उससे जीवन के औसतन 5.3 साल बढ़ सकते हैं।

यदि वायु प्रदूषण से जुड़े मौजूदा आंकड़ों पर गौर करें तो न केवल दिल्ली में बल्कि देश के दूसरे शहरों में भी हवा बेहद जहरीली हो चुकी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 02 नवंबर 2023 को जारी आंकड़ों के मुताबिक फतेहाबाद, ग्रेटर नोएडा, हनुमानगढ़, हिसार और जींद में तो प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार है।

इसी तरह दिल्ली-फरीदाबाद सहित 19 शहरों में प्रदूषण का स्तर ‘बेहद खराब’ स्थिति में पहुंच गया है। वहीं 44 अन्य शहरों में भी प्रदूषण का स्तर दमघोंटू है, जबकि महज 21 शहरों में हवा बेहतर बताई गई है। हालांकि वो भी डब्लूएचओ द्वारा निर्धारित मानकों से कहीं ज्यादा दूषित है।

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