फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, इवान रैडिक
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नदियों में फेंके गए प्लास्टिक के कचरे में पाए गए खतरनाक बैक्टीरिया: अध्ययन

पानी के नमूनों में साल्मोनेला, एस्चेरिया जैसी बीमारी फैलाने वाले रोगजनक मिले, जिन्हें आमतौर पर ई- कोलाई के रूप में जाना जाता है और गले की बीमारी के लिए जिम्मेदार स्ट्रेप्टोकोकस भी इसमें शामिल था।
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एक नए अध्ययन में पाया गया है कि, नदियों में प्लास्टिक का कूड़ा खतरनाक रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया को बढ़ने में मदद कर रहा है।

यह शोध, यूके की एक नदी पर आधारित है, जहां नदी में फेंके गए प्लास्टिक, लकड़ी में रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया के लिए प्रजनन स्थल के रूप में पाया गया। जो लोगों में रोगों को फैलाने और एंटीबायोटिक प्रतिरोध में बढ़ोतरी करने वाले बैक्टीरिया और वायरस के भंडार हो सकते हैं।

शोध के हवाले से, चिली में एंटोफगास्टा विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता विंको जडजेलोविक ने कहा कि, निष्कर्षों से पता चलता है कि, मीठे या ताजे पानी के निकायों में प्लास्टिक रोगजनकों और एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन को बढ़ाने के लिए जिम्मेवार हो सकता है।

उन्होंने बताया कि, लोगों के स्वास्थ्य पर इसका अप्रत्यक्ष लेकिन भयानक प्रभाव हो सकता है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है। 2019 में, एंटीबायोटिक प्रतिरोध से संबंधित संक्रमणों से दुनिया भर में लगभग 27 लाख लोगों की मौत हुई।

जर्नल माइक्रोबायोम में प्रकाशित शोध के अनुसार, 2050 तक इनके कारण दुनिया भर में एक करोड़ लोगों की मौत होने की आशंका जताई गई है। जब प्लास्टिक पानी में समा जाता है तो कुछ ही मिनटों में इसकी सतह पर आस-पास के सूक्ष्म जीव पहुंच जाते हैं।

शोधकर्ताओं ने अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र से नीचे की ओर वार्विकशायर और वेस्ट मिडलैंड्स इंग्लैंड में सोवे नदी में एक सप्ताह के लिए नमूनों को डुबोया। उन्होंने नमूनों से ली गई सामग्री के आधार पर सूक्ष्म जीव समुदायों में एक बड़ा अंतर पाया।

पानी में पाए गए बीमारी फैलाने वाले खतरनाक बैक्टीरिया ने बढ़ाई चिंता

माइक्रोबियल के खतरे से लोगों और पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर पड़ने वाले किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए अपशिष्ट जल का उपचार और कीटाणुओं को छानना अथवा उनका सफाया करना जरूरी है।

लेकिन शोधकर्ताओं ने पानी के जो नमूने एकत्र किए, उनमें साल्मोनेला, एस्चेरिया जैसे लोगों में बीमारी फैलाने वाले रोगजनक मिले, जिन्हें आमतौर पर ई- कोलाई के रूप में जाना जाता है और गले की बीमारी के लिए जिम्मेदार स्ट्रेप्टोकोकस भी इसमें शामिल था।

शोधकर्ता जे डजेलोविक ने कहा, यह अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों की सख्त निगरानी की पर जोर देता है। इस बीच, प्लास्टिक और लकड़ी के नमूनों ने स्यूडोमोनास एरुगिनोसा और एरोमोनास जैसे बैक्टीरिया को आकर्षित किया, जो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए खतरा पैदा करने के लिए जाने जाते हैं।

पी.एरुगिनोसा, जो अस्पताल में मरीजों में संक्रमण फैलता है, प्लास्टिक के कचरे में लगभग तीन गुना अधिक मात्रा में पाया गया था, जिसे शोधकर्ताओं ने लकड़ी की तुलना में प्रकृति में प्लास्टिक के टूटने के तरीके के समान बनाने के लिए बदलाव किया था। उस प्लास्टिक के कचरे में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के लिए जिम्मेदार जीन की अधिकता भी देखी गई।

दुनिया के महासागरों में प्लास्टिक के प्रवेश का मुख्य जरिया नदियां हैं, जो सालाना 3.5 हजार मीट्रिक टन से 24.1 लाख मीट्रिक टन मानव निर्मित सामग्री को समुद्र में पहुंचाती हैं।

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