नदियों व जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए वर्तमान अपशिष्ट जल उपचार काफी नहीं

दुनिया भर में हर साल लगभग 8,29,000 मौतें प्रदूषित पानी के उपयोग से होने वाली बीमारियों के कारण होती हैं।
नदियों व जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए वर्तमान अपशिष्ट जल उपचार काफी नहीं
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अपशिष्ट जल उपचार के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने से वैश्विक जल गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार होगा। दुनिया के कुछ इलाकों में जल गुणवत्ता के गंभीर मुद्दे हमेशा चलते रहेंगे।

यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर की नदियों और नालों की वर्तमान और भविष्य की प्रदूषण स्थिति का पता लगाने के लिए एक नया जल गुणवत्ता मॉडल विकसित किया है। 

पानी की गुणवत्ता को लेकर विश्व बैंक द्वारा इसे छुपा हुआ संकट के रूप में पेश किया जाता है, जिसकी निगरानी कम होती है, इसका पता लगाना मुश्किल होता है। फिर भी, जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विकास और जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक जल संसाधनों की गुणवत्ता तेजी से दबाव में आ रही है।

फिर भी, सार्वजनिक स्वास्थ्य, ऊर्जा उत्पादन और फसल उत्पादन जैसी हमारी सामाजिक जरूरतों के लिए और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वच्छ पानी महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, दुनिया भर में हर साल लगभग 8,29,000 मौतें प्रदूषित पानी के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियां या दस्त के कारण होती हैं।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डवर्ड जोन्स ने कहा इस अध्ययन में हमने एक नया उच्च-रिज़ॉल्यूशन वैश्विक जल गुणवत्ता मॉडल विकसित किया जो पानी की गुणवत्ता की जानकारी की कमी को  पूरा करने में मदद कर सकता है। विशेष रूप से दुनिया के उन इलाकों में जहां हमारे पास पानी  संबंधित जानकारी तथा अवलोकनों की कमी है।

जोन्स कहते हैं कि पानी की गुणवत्ता के मुद्दों के हॉटस्पॉट की पहचान करने के अलावा, मॉडल विशेष इलाकों में प्रदूषण के स्रोत को जिम्मेदार ठहराने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, कृषि के लिए बड़े पैमाने पर सिंचाई प्रणाली उत्तरी भारत में लवणता के मुद्दों को बढ़ाती है, जबकि औद्योगिक प्रक्रियाओं से होने वाला प्रदूषण पूर्वी चीन में अधिक जिम्मेदार हैं। इसके विपरीत, घरेलू और पशुधन क्षेत्र दुनिया भर में जैविक और रोगजनक प्रदूषण को फैलाते है

अध्ययनकर्ताओं ने सिर्फ अतीत और वर्तमान पानी की गुणवत्ता पर गौर किया। उन्होंने अपने मॉडल को यह जांचने के लिए उपयोग किया कि 2030 में वातावरण में प्रवेश करने वाले अनुपचारित अपशिष्ट जल के अनुपात को आधा करने के लिए एसडीजी लक्ष्य को हासिल करने से दुनिया भर में नदियों के पानी  की गुणवत्ता को कैसे फायदा होगा।

जोन्स बताते हैं कि हमारे सिमुलेशन बताते हैं कि वर्ष के एक बड़े हिस्से में, कई इलाकों में पानी की गुणवत्ता अभी भी लोगों के उपयोग और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण सीमाओं से अधिक है। यह विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में विकासशील देशों के मामले में है। इसलिए, जबकि एसडीजी का लक्ष्य पानी की गुणवत्ता में सुधार करना है, यह हमेशा हासिल नहीं होता है।

जोन्स चेतावनी देते हुए कहा कि, हालांकि, इन समस्याओं से निपटने का एक सबसे अच्छा तरीका खोजना एक कठिन पहेली है। यहां तक ​​कि मौजूदा एसडीजी लक्ष्य को हासिल करने से गंभीर आर्थिक चुनौतियां पैदा होंगी, क्योंकि अपशिष्ट जल उपचार का विस्तार एक महंगी प्रक्रिया हो सकती है।

उन्होंने कहा फिर भी क्षेत्रीय उपयोग के लिए अपर्याप्त पानी की गुणवत्ता के लागत नुकसान पर भी विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, हमें अपने प्रदूषक उत्सर्जन को कम करने और अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए नए दृष्टिकोण विकसित करने की भी आवश्यकता है।

जोन्स ने कहा इस तरह, इस अध्ययन के माध्यम से हम उम्मीद करते हैं कि हम पानी की गुणवत्ता की समस्याओं को रेखांकित करेंगे और इन मुद्दों को राजनीतिक एजेंडे पर मजबूती से रखेंगे। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुआ है।

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