गरीब देशों के घरों में खाना पकाते वक्त 22 प्रतिशत तक बढ़ जाता है सीओ2 का स्तर: अध्ययन

अध्ययन में कहा गया है कि प्रदूषणकारी ईंधन की तुलना में स्वच्छ ईंधन और बिजली के उपकरणों के उपयोग से रसोई के भीतर सीओ2 के स्तर को 32 प्रतिशत से अधिक कम किया जा सकता है।
गरीब देशों के घरों में खाना पकाते वक्त 22 प्रतिशत तक बढ़ जाता है सीओ2 का स्तर: अध्ययन
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वैज्ञानिकों ने कहा कि विकासशील देशों में खाना पकाने के दौरान अन्य लोगों को अनावश्यक रूप से रसोई घर में नहीं रहना चाहिए। बच्चों और वृद्धों को रसोई से बाहर रखना चाहिए ताकि वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों से उन्हें बचाया जा सके। यह सुझाव सरे विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में दिया गया है।

सरे विश्वविद्यालय के ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) के शोधकर्ताओं ने स्वच्छ ईंधन और बिजली के उपकरणों के उपयोग के फायदों पर प्रकाश डाला है। ये प्रदूषणकारी ईंधन के उपयोग की तुलना में रसोई के भीतर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के स्तर को 32 प्रतिशत से अधिक कम करने में मदद करते हैं।

सरे विश्वविद्यालय के प्रमुख अध्ययनकर्ता और जीसीएआरई के संस्थापक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने कहा कि हमारी कुछ सिफारिशें अध्ययन किए गए देशों में कम आय वाले परिवारों के लिए कम व्यवहारिक हो सकती हैं। लेकिन हमने सरकारों को सीधे टिकाऊ और अधिक असर डालने वाले सुझावों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे लोगों को जानकारी साझा कर जागरूक किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि इनमें से कई देशों में निर्णय लेने वाले अब रसोई में खाना पकाने और सुरक्षित आदतों के लिए स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने का आधारभूत कार्य शुरू करेंगे।

कार्बन डाइऑक्साइड के संपर्क में आने, वेंटिलेशन और गर्मी से आराम के लिए एशिया, दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व और अफ्रीका में 60 कम आय वाले देशों की रसोई की निगरानी करने वाला यह पहला अध्ययन है।

अध्ययन में शामिल क्षेत्रों में ढाका (बांग्लादेश), चेन्नई (भारत), नानजिंग (चीन), मेडेलिन (कोलंबिया), साओ पाउलो (ब्राजील), काहिरा (मिस्र), सुलेमानिया (इराक), अदीस अबाबा (इथियोपिया), ब्लैंटायर (मलावी), नैरोबी (केन्या), अकुर (नाइजीरिया) और दार-एस-सलाम (तंजानिया) शामिल थे।

जीसीएआरई के शोधकर्ताओं और उनके सहयोगियों ने पाया कि जिन रसोई में खाना पकाने के दौरान नियमित रूप से दो से अधिक लोग मौजूद थे, उनमें कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर अधिक था।

टीम ने पाया कि खाना पकाने से 60 घरों में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में औसतन 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

जिन घरों की रसोई में दरवाजे और खिड़कियां खुली हुई थी, जिसमें खाना पकाने के दौरान एक्स्ट्रेक्टर पंखे का भी उपयोग किया गया था, वहां गर्मी से आराम वाला वातावरण पाया गया था। खाना पकाने के दौरान रसोई के दरवाजे और खिड़कियां दोनों खुले होने से कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को 14 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिली।

साओ पाउलो विश्वविद्यालय के सह-अध्ययनकर्ता  प्रोफेसर मारिया डी फातिमा एंड्रेड ने कहा, मेरा मानना ​​है कि यह अध्ययन महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन क्षेत्रों में खाना पकाने में शामिल अधिकांश महिलाएं और उनके बच्चे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य को होने वाले इन गंभीर खतरों से लोगों को बेहतर तरीके अपनाने का सुझाव दिया जाए और उन्हें खुद को बचाने के लिए अहम जानकारियां साझा की जाए ।

अदीस अदबा विश्वविद्यालय के एक अन्य सह- अध्ययनकर्ता प्रोफेसर अरया असफॉ ने कहा, कि सबसे खतरनाक यह है कि अध्ययन किए गए रसोई घरों में से 25 प्रतिशत सुरक्षित कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को पार कर गए थे।

इसलिए, खाना पकाने का सरल कार्य इन क्षेत्रों में कई लोगों के लिए एक खतरा है। फिर भी, हमने पाया कि 46 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाले बड़े रसोई में 28 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड का अनुभव होता है। इसका मतलब है कि छोटे रसोई घरों की तुलना में यहां कम कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर देखा गया। यह अध्ययन जर्नल ऑफ बिल्डिंग इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुआ है।

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