दुनिया भर में पीएम 2.5 में कमी आने का दावा, अभी और कमी लाने का सुझाव

अध्ययन के मुताबिक, 2011 के बाद से दुनिया के कई इलाकों में परिवेशीय सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम 2.5) के खतरों में कमी देखी गई है
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, प्रामी.एपी90
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परिवेशीय सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम 2.5) दुनिया भर में स्वास्थ्य के लिए प्रमुख खतरों में से एक हैं। केवल 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे, ये कण इतने छोटे होते हैं कि सांस के जरिए शरीर के अंदर जा सकते हैं । इनके कारण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी समस्याएं और दिल के दौरे और उच्च रक्तचाप सहित हृदय संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

पीएम2.5 के कारण बच्चों में आजीवन विकासात्मक समस्याएं पैदा हो सकती है, और सामान्य आबादी के लिए, पीएम2.5 से समय से पहले मृत्यु होने की भी आसार होते हैं।

पीम2.5 के संपर्क में आने से उत्पन्न होने वाले इन भारी बुरे प्रभावों को कम करने के लिए, जो बड़े पैमाने पर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे कि जीवाश्म ईंधन या लकड़ी जलाने से उत्पन्न होता है। कई देशों ने पीएम2.5 के खतरों को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन इसे कम करने के प्रयास कितने प्रभावी रहे हैं और दुनिया भर में कौन से इलाके पीएम2.5 कटौती में सबसे अधिक योगदान दे रहे हैं?

अध्ययन में कहा गया है कि, सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मैककेल्वे स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में रेमंड आर. टकर के प्रोफेसर रान्डेल मार्टिन और सहयोगी शोधकर्ताओं ने पता लगाने के लिए 1998 से 2019 तक पीएम2.5 के आंकड़ों की जांच की।

अध्ययनकर्ताओं ने पीएम2.5 के खतरों और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों में वैश्विक और क्षेत्रीय बदलावों की जानकारी के लिए पीएम2.5 के अनुमानों का विश्लेषण किया।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित विश्लेषण से पता चलता है कि, दुनिया भर में, पीएम2.5 के खतरों, प्रदूषण स्तर और जनसंख्या का आकार दोनों से संबंधित है। पीएम2.5 का स्तर 1998 से बढ़कर 2011 में चरम पर पहुंच गया था, फिर 2011 से 2019 तक लगातार कम हुआ। अध्ययन में कहा गया है कि, भारत और चीन में खतरों में कमी और अन्य क्षेत्रों में धीमी वृद्धि देखी जा रहे हैं।

अध्ययनकर्ता ने कहा, इस काम से पहले, पीएम2.5 के दुनिया भर में लोगों को होने वाले खतरों और इसके परिवर्तनों में मात्रात्मक स्थानीय या क्षेत्रीय योगदान के संबंध में जानकारी का अभाव था।

अध्ययनकर्ता ने बताया कि, उन्होंने एक नया क्षेत्रीय कमी का दृष्टिकोण विकसित किया है जो संयुक्त रूप से प्रदूषण स्तर और जनसंख्या के आकार पर विचार करता है, और उससे उन्होंने वैश्विक पीम2.5 वायु प्रदूषण में क्षेत्रीय योगदान की पहली बार श्रृंखला को दर्शाया है।

अध्ययनकर्ता ने पाया कि 2011 के बाद से कई क्षेत्रों में खतरों में कमी देखी गई है, जिसमें उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में लगातार कमी आना शामिल है। उन्होंने भारत और चीन में हाल ही में उभरती गिरावट को विशेष रूप से आश्चर्यजनक बताया।

भारत और चीन में कठोर वायु गुणवत्ता प्रबंधन, जो 2013 के बाद से सबसे अधिक स्पष्ट हुआ है, इस वैश्विक उलटफेर में सबसे बड़ा योगदानकर्ता साबित हुआ है। हमारे क्षेत्रीय योगदान के अनुसार, 2011 से 2019 तक वैश्विक औसत जोखिम में 90 फीसदी से अधिक की कमी चीन से हुई है।

जब यह परिणाम निकाला गया तो यह आश्चर्यजनक था, लेकिन इसे पीएम2.5 की मात्रा में तेजी से कमी आने को अच्छी तरह से समझाया जा सकता है। चीन प्रदूषण को कम करने के प्रयासों के कारण, जिससे वैश्विक आबादी का लगभग पांचवां हिस्से को फायदा होता है।

पीएम2.5 के जोखिम में कमी से होने वाले लाभों में 2011 से 2019 के बीच केवल चीन में 11 लाख समय से पहले होने वाली मौतें शामिल हैं, साथ ही स्वास्थ्य में आमतौर पर सुधार हुआ है। अध्ययनकर्ता ने कहा कि पीएम 2.5 के खतरे को कम करने के लिए भविष्य में किए जाने वाले कामों का उम्र बढ़ने और बढ़ती वैश्विक आबादी पर और भी अधिक प्रभाव पड़ेगा।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि, पीएम2.5 के आंकड़ों को स्वास्थ्य के आंकड़ों और एक्सपोजर-रिस्पॉन्स मॉडल के साथ जोड़कर, हमने यह भी खुलासा किया कि वैश्विक पीएम2.5 प्रदूषण में हाल ही में निरंतर कमी के बावजूद, जनसंख्या की उम्र बढ़ना और वृद्धि अब पीएम2.5 स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने में मुख्य चुनौतियां हैं। पीएम2.5 की समान मात्रा को कम करने से अब 20 साल पहले की तुलना में स्वास्थ्य को अधिक फायदे होंगे।

टीम ने पता लगाया की, कि 2019 में, दुनिया भर में अभी भी लाखों समय से पहले मौतें हुईं, जिसके लिए पीएम2.5 को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो पीएम2.5 के खतरों में निरंतर कमी की तत्काल आवश्यकता जोर देता है।

अध्ययनकर्ता ने कहा, सावधानीपूर्वक निगरानी, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां वर्तमान में सही से निगरानी नहीं की जाती है। निगरानी, दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व सहित अत्यधिक आबादी है, हवा की गुणवत्ता में चल रहे सुधार और प्रदूषण को कम करने के प्रयासों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए अहम है।

अध्ययनकर्ता ने कहा, उपग्रह के साथ-साथ जमीन-आधारित मापों से भी पीएम2.5 के लिए दुनिया भर में निगरानी क्षमताओं को बनाए रखने और विकसित करने की आवश्यकता है। पीएम2.5 कटौती में सफलताएं, इसे कम करने के प्रयासों के फायदों को उजागर करती हैं।

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