क्या आप जानते हैं कि किचन में सब्जियों को काटने के लिए प्रयोग हो रहे चौपिंग बोर्ड की वजह से आप माइक्रोप्लास्टिक्स के करोड़ों कणों के संपर्क में आ सकते हैं। यह जानकारी अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के जर्नल एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में सामने आई है।
चौपिंग या कटिंग बोर्ड आज घरों या रेस्तरां के किचन में पाया जाने वाला सबसे आम और उपयोगी उपकरण है। इनमें से अधिकांश कटिंग बोर्ड रबर, बांस, लकड़ी या प्लास्टिक के बने होते हैं। जिनपर समय के साथ काटने के खांचे या निशान बन जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उन बोर्ड्स से निकले सूक्ष्म कणों का क्या होता है और वो किस मात्रा में निकल रहे हैं।
इस बारे में की गई रिसर्च से पता चला है कि यह कटिंग बोर्ड प्लास्टिक के बहुत महीन कणों का अनदेखा स्रोत भी है। इन चॉपिंग बोर्ड की वजह से एक व्यक्ति सालाना पॉलिएथिलीन या पॉलिथीन के 7.4 से 50.7 ग्राम कणों या पॉलीप्रोपाइलीन चॉपिंग बोर्ड की वजह से माइक्रोप्लास्टिक्स के 49.5 ग्राम कणों के संपर्क में आ सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक के 7.94 करोड़ कण पैदा कर सकता है पॉलीप्रोपाइलीन से बना चॉपिंग बोर्ड
इतना ही नहीं शोधकर्ताओं के मुताबिक जहां पॉलिएथिलीन या पॉलिथीन से बना चॉपिंग बोर्ड हर साल माइक्रोप्लास्टिक के 1.45 से 7.19 करोड़ कण पैदा कर सकता है, वहीं पॉलीप्रोपाइलीन से बने चॉपिंग बोर्ड के कारण हर साल माइक्रोप्लास्टिक के 7.94 करोड़ कण पैदा हो सकते हैं। जो हमारे भोजन को दूषित कर सकते हैं।
ऐसे में यदि देखा जाए तो पॉलीथीन की तुलना में पॉलीप्रोपाइलीन के बने चॉपिंग बोर्ड कहीं ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक पैदा हो रहा है। पता चला है कि इनसे निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा पांच से 60 फीसदी और इनकी संख्या 14 से 71 फीसदी अधिक थी।
हालांकि माइक्रोप्लास्टिक की यह मात्रा कितनी कम ज्यादा होगी यह उसके मैटेरियल, कटिंग के तरीके, काटने के समय कितना जोर लगाया गया, सामग्री को कितना छोटा या बड़ा काटा गया या बोर्ड का कितनी बार उपयोग किया गया था इन सभी पर निर्भर करता है।
हालांकि अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लकड़ी के कटिंग बोर्ड से हर साल पैदा हो रहे कणों का अध्ययन नहीं किया है। लेकिन विश्लेषण से पता चला है कि प्लास्टिक से बने बोर्डों की तुलना में इन बोर्डों से चार से 22 गुणा ज्यादा सूक्ष्म कण पैदा हुए थे। जो दर्शाता है कि लकड़ी के बोर्ड कहीं ज्यादा सूक्ष्म कण पैदा कर सकते हैं।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कितने हैं खतरनाक
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह महीन कण स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक चूहे की कोशिकाओं पर इसकी विषाक्तता को लेकर किए परीक्षण से पता चला है कि चॉपिंग के दौरान प्लास्टिक और लकड़ी दोनों से निकलने वाले सूक्ष्म कणों ने कोशिकाओं के अस्तित्व को प्रभावित नहीं किया था। मतलब की दोनों तरह के सूक्ष्म कणों ने चूहे की कोशिकाओं पर हानिकारक प्रभाव नहीं डाला था।
गौरतलब है कि इससे पहले माइक्रोप्लास्टिक को लेकर किए अध्ययनों में इनके इंसानी शरीर में पाए जाने के सबूत मिल चुके हैं। वैज्ञानिकों को इंसानी रक्त, फेफड़ों के साथ नसों में भी इनके निशान मिले हैं।
इनके बारे में जर्नल केमिकल रिसर्च टॉक्सिकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक के यह कण शरीर की कोशिकीय कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।
इतना ही नहीं शोधकर्ताओं के मुताबिक एक बार जब प्लास्टिक के यह महीन कण सांस या किसी अन्य तरीके से शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं तो वो कुछ दिनों में ही फेफड़ों की कोशिकाओं के मेटाबॉलिज्म और विकास को प्रभावित कर सकते हैं या फिर उनकी गति को धीमा कर सकते हैं। इतना ही नहीं वो उसके आकार में भी बदलाव कर सकते हैं।
एक अन्य रिसर्च के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक्स के यह कण, बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स को 30 गुणा तक बढ़ा सकते है। वैज्ञानिकों के मुताबिक चूंकि प्लास्टिक से बने कटिंग बोर्ड को आसानी से साफ किया जा सकता है। ऐसे में इंसानी भोजन में मिलते इन माइक्रोप्लास्टिक्स को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है।