अध्ययन के मुताबिक, यूरोपीय संघ में हर साल लगभग 1,200 से 1,400 कृत्रिम टर्फ से बने खेल के मैदान स्थापित किए जाते हैं। ये मैदान सिंथेटिक फाइबर, मुख्य रूप से प्लास्टिक से बने होते हैं, जो प्राकृतिक घास की तरह दिखती है।
हाल ही में, कृत्रिम टर्फ को लेकर, बार्सिलोना विश्वविद्यालय में पृथ्वी विज्ञान संकाय के समुद्री भूविज्ञान में शोध टीम ने एक अध्ययन किया। अध्ययन में पहली बार, कैटलन तट और गुआडलक्विविर नदी के सतही पानी से एकत्र किए गए नमूनों में कृत्रिम टर्फ फाइबर की भारी मात्रा पाई गई।
शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि कृत्रिम टर्फ पानी में प्रदूषण का एक बहुत बड़ा स्रोत है, जो कि जलीय वातावरण में तैरते हुए पाए जाने वाले पांच मिमी से अधिक लंबाई वाले 15 फीसदी प्लास्टिक के लिए जिम्मेदार है।
प्रमुख शोधकर्ता विलियम पी. डी हान ने बताया कि, कृत्रिम टर्फ फाइबर जो हमें मिले हैं वे मुख्य रूप से पॉलीइथाइलीन और पॉलीप्रोपाइलीन के हैं, जो कृत्रिम टर्फ के वर्तमान वैश्विक उत्पादन रुझानों से मेल खाते हैं और आमतौर पर जलीय वातावरण में तैरते हुए पाए जाते हैं। हमने उन्हें ज्यादातर बार्सिलोना जैसे बड़े शहरों से सटे निकटवर्ती क्षेत्रों में पाया।
शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कृत्रिम टर्फ फाइबर जलीय पर्यावरण में प्लास्टिक का एक बहुत बड़ा स्रोत हैं और यह भविष्य के अध्ययनों में उनकी पहचान करने के लिए एक विस्तृत मार्गदर्शिका प्रदान करता है। ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले उनके वितरण और उनके विशिष्ट प्रभावों को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
एनवायर्नमेंटल पोल्लुशन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कैटलन तट और ग्वाडलक्विविर नदी की समुद्री सतह से एकत्र किए गए नमूनों का विश्लेषण किया है।
अधिकांश समुद्री नमूनों में कृत्रिम टर्फ के निशान
शोधकर्ताओं ने बार्सिलोना के तट से एकत्र किए गए 217 और ग्वाडलक्विविर नदी से 200 पानी के नमूनों का विश्लेषण किया और समुद्र से एकत्र किए गए अधिकांश नमूनों 62 प्रतिशत में कृत्रिम टर्फ फाइबर पाया गया, जबकि नदी से प्राप्त नमूनों में यह 37 प्रतिशत था।
नदी के पानी की तुलना में सतह पर मात्रा औसतन 50 गुना अधिक थी। बार्सिलोना के निकट सतही जल में प्रति वर्ग किलोमीटर तक 2,00,000 फ़ाइबर पाए गए और ग्वाडलक्विविर नदी में प्रति दिन 20,000 फ़ाइबर तक प्रवाहित हुए।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ये अंतर नदियों में प्लास्टिक की कमी के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से मौसमी बारिश के दौरान और तटीय क्षेत्र में समुद्र की सतह पर कृत्रिम टर्फ फाइबर के लंबे समय तक जमा होने के कारण, जहां प्लास्टिक वर्षों तक बना रहता है। दशकों पहले खुले समुद्र तक पहुंचने से पहले यहां यह बरकरार रहा।
शोधकर्ता इस बात पर भी जोर देते हैं कि, हालांकि परिणाम विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में हासिल किए गए थे, इस बात के भी आसार हैं कि, अन्य शहर भी कृत्रिम टर्फ फाइबर में बढ़ोतरी करेंगे। लेकिन पर्यावरण में जारी मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि प्रकार, उपयोग और कृत्रिम टर्फ क्षेत्रों या सतहों की आयु, स्थापित कुल सतह क्षेत्र और लागू रोकथाम के उपाय।
एक गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव
शोध से पता चला पर्यावरणीय प्रभाव, कई और बहुत गंभीर हैं, क्योंकि वे पर्यावरण पर इस सामग्री के प्रभाव को और बढ़ाते हैं। अध्ययन में इस बात का भी पता लगाया गया कि, शहरी जैव विविधता को कम करने, अपवाह को कम करने, अधिक गर्मी और बड़ी मात्रा में हानिकारक रासायनिक यौगिकों से युक्त जो इसे स्थायित्व प्रदान करते हैं, कृत्रिम टर्फ सतहें प्लास्टिक के टुकड़े जलीय वातावरण में छोड़ती हैं।
शोधकर्ता का कहना है कि ये प्लास्टिक जलीय जानवरों द्वारा निगल लिए जाते हैं और इनके आंतों के रस्ते में रुकावट और अन्य बड़ी समस्याओं के अलावा विकास और प्रजनन दर में कमी के लिए जिम्मेवार हैं।
शोधकर्ता ने कहा, अगर हम महासागरों के प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना चाहते हैं, तो इस पर कार्रवाई करना आवश्यक है सभी स्तरों पर, सार्वजनिक क्षेत्रों, जैसे कि स्कूल के मैदान या खेल के मैदान और निजी, जैसे संगीत समारोह, जिम, निजी उद्यान या छतों पर इन हरी प्लास्टिक सतहों की स्थापना पर पुनर्विचार करना जरूरी है।