अनिल अग्रवाल डायलॉग 2020 के दूसरे दिन का पहला सत्र वायु प्रदूषण पर केंद्रित रहा। सत्र का संचालन कर रही सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की अनुसंधान और एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी ने सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बड़े बदलावों की जरूरत है, जिसमें तकनीक की भी बड़ी भूमिका होगी। राज्यों को कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक वाहनों का तंत्र सुदृढ करने जैसे कई बड़े बदलाव करने होंगे। दिल्ली जैसे राज्य को चीन के उदाहरण से समझकर इसे काबू पाने के लिए पड़ोसी राज्यों को भी साथ लेकर आना होगा।
इस सत्र में आईआईटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मुकेश शर्मा ने कहा कि शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक के लोग वायु प्रदूषण से प्रभावित हैं। उन्होंने कानपुर और पटना में हुए शोध का हवाला देते हुए कहा कि वायु प्रदूषण से मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है और इससे दिल और फेफड़े की गंभीर बीमारियां सामने आ रही है। शर्मा कहते हैं कि पहले मुझे लगता था कि वायु प्रदूषण की स्थिति को बेहतर करना मुश्किल होगा, लेकिन शोध के बाद लग रहा है कि बड़े स्तर पर प्रयास किए जाए तो यह ठीक हो सकता है। इसके लिए प्रदूषण के छोटे और बड़े स्त्रोत का पता लगाना होगा।
वायु में होता है प्रदूषक का फिंगरप्रिंट
शर्मा कहते हैं कि आज की तकनीक में हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों से उसके स्त्रोत का पता लगाना मुश्किल नहीं है। हवा में फिंगर प्रिंट की तरह ही प्रदूषण के स्त्रोत के निशान होते हैं। वायु प्रदूषण के स्त्रोत का पता लगाने के लिए हवा में मौजूद रसायनों का अध्ययन कर असली जिम्मेदार का चयन किया जाना चाहिए और उस स्त्रोत से प्रदूषण कम करने की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए। अभी हो रहे प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाली बीएस 4 गाड़ियों को अभी पूरी तरह से सड़क से हटाने में समय लगेगा।
इसके अलावा प्रदूषण के दूसरे स्त्रोत जैसे सड़क से उड़ने वाली धूल पर भी कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है। प्रदूषण को शहर के स्तर पर काबू पाने के बजाए एयर बेसिन के स्तर पर उपाय करना चाहिए, जैसे दिल्ली में प्रदूषण सिर्फ दिल्ली में किए उपायों से खत्म नहीं होने वाला, बल्कि आसपास के राज्यों को भी इसमें साथ लाना होगा।
शर्मा ने उज्ज्वला योजना, बिजली परियोजनाओं में उत्सर्जन की कमी और अधिक प्रदूषित इलाके में कोयले को बंद करने को अच्छा प्रयास बताया। साथ ही, वह कहते हैं कि सड़कों के धूल विशेषकर हाईवे से निकलने वाली धूल पर काबू पाने के लिए कोई प्रभावी काम नहीं हो रहा है। यह चिंता की बात है।