सिर्फ भारत ही नहीं यूरोप में भी हर साल लाखों लोगों की जान दूषित हवा के कारण जा रही है। हाल ही में जारी एक अनुमान के मुताबिक यूरोपियन यूनियन के 27 सदस्य देशों में प्रदूषण के अत्यंत महीन कणों पीएम2.5 के कारण हर साल करीब 307,000 लोगों की जान असमय जा रही है। वहीं 40,400 लोगों की मौत के लिए नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जिम्मेवार था, जबकि ओजोन प्रदूषण के चलते 16,800 लोगों की जान गई थी। यह जानकारी हाल ही में यूरोपियन एनवायरनमेंट एजेंसी द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में पीएम2.5 के चलते जर्मनी में सबसे ज्यादा 53800 लोगों की जान गई थी। इसके बाद इटली में 49900, पोलैंड में 39300, यूके में 33,100, फ्रांस में 29,800, स्पेन में 23,300 और रोमानिया में 21,500 लोगों की जान गई थी।
वायु में घुलता जहर असमय होने वाली मौतों के साथ ही अनगिनत बीमारियों को भी जन्म देता है। यूरोप में यह स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम है। इसके चलते होने वाला हृदय रोग और स्ट्रोक सबसे ज्यादा लोगों की जान ले रहा है इसके बाद फेफड़ों का कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी अन्य बीमारियां अनगिनत लोगों की जान ले रही हैं। यूरोपियन हार्ट जर्नल में छपे एक अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण हर यूरोपियन से उसके जीवन के औसतन दो वर्ष छीन रहा है।
हालांकि 2018 की तुलना में देखें तो 2019 के दौरान यूरोप में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों में कमी आई है। वहीं यदि 2005 की तुलना में देखें तो 2019 के दौरान यूरोपियन यूनियन में पीएम2.5 के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ों में 33 फीसदी की कमी आई है। यदि वायु गुणवत्ता में सुधार जारी रहता है तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि यूरोपियन यूनियन अपने जीरो पॉल्यूशन एक्शन प्लान के लक्ष्यों को हासिल कर सकता है।
वायु गुणवत्ता में सुधार से 58 फीसदी मौतों का जा सकता है टाला
गौरतलब है कि इस योजना का लक्ष्य 2005 की तुलना में 2030 तक पीएम 2.5 के कारण होने वाली मौतों में 55 फीसदी की कमी करना है। इससे पहले 2005 में पीएम 2.5 के चलते यूरोप में 456,000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। वहीं यदि यूरोप वायु गुणवत्ता के डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी मानक को हासिल कर लेता है तो इसकी मदद से 2005 की तुलना में असमय होने वाली 72 फीसदी की मौतों को टाला जा सकता है।
इस विश्लेषण में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि यदि यूरोपियन यूनियन के सदस्य अपनी वायु गुणवत्ता को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप ढाल लेते हैं तो इन मौतों में से करीब 58 फीसदी को टाला जा सकता है। इस तरह वायु गुणवत्ता में सुधार करके करीब 178,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है।
यदि पीएम2.5 के लिए यूरोपियन यूनियन द्वारा तय मानक 25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा को देखें तो यदि इसे हासिल भी कर लिया जाए तो 2019 में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों के आंकड़े में कोई अंतर नहीं आएगा। वहीं यदि डब्ल्यूएचओ द्वारा 2005 में जारी दिशानिर्देशों (10 माइक्रोग्राम/घनमीटर) को देखें तो उसे हासिल करने से 21 फीसदी मौतों को टाला जा सकता है ।
जबकि 2021 के लिए जारी मानकों को हासिल करने से इसमें 58 फीसदी तक की कमी आ सकती है। गौरतलब है कि हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने वायु गुणवत्ता के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उनमें पीएम2.5 के लिए 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का मानक तय किया है।