सर्दियों में भी बढ़ा दक्षिण भारत के राज्यों में वायु प्रदूषण का स्तर: सीएसई

अनुकूल मौसम के बावजूद अब दक्षिण भारतीय राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है
Photo: Flickr
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शुद्ध हवा की बात करें तो इस मामले में दक्षिण भारत के कुछ शहर तो बहुत अधिक स्वच्छ माने जाते हैं लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। क्योंकि अब सर्दियों में वहां के हालत भी खराब होने लगे हैं। कहने का आशय कि हवा के दृष्टिकोण से अब दक्षिण भारत के स्चच्छ कहें जाने वाले शहरों में भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।

कहने के लिए तो समुद्र से निकटता और बेहतर वेंटिलेशन के कारण दक्षिण भारतीय शहरों को वायु प्रदूषण के स्तर पर भौगोलिक लाभ मिलता है, लेकिन अब अनुकूल मौसम के बावजूद वहां का वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

यह बात विज्ञान और पर्यावरण केंद्र यानी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा किए गए एक वृहद विश्लेषण में निकलकर आई है। सीएसई ने भारत के दक्षिण के राज्यों में सर्दियों की हवा की गुणवत्ता का एक नया विश्लेषण जारी किया है।

सीएसई के विश्लेषण के अनुसार 2020 में इस क्षेत्र में  पीएम2.5 का वार्षिक औसत स्तर कम था, लेकिन 2021 में अधिकांश शहरों में यह बढ़ गया।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक और वायु प्रदूषण विशेषज्ञ अनुमिताराय चौधरी कहती हैं,“हालांकि देश के अन्य राज्यों के विपरीत, वायु गुणवत्ता लाभ पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। अधिकांश शहरों में 2021 का स्तर अभी भी 2019 की तुलना में कम है। यह आने वाले वर्षों में और हालात अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए शीघ्र कार्रवाई की ओर संकेत करता है।

वहीं सीएसई के शोधकर्ता अविकल सोमवंशी कहते हैं कि इन राज्यों में वायु गुणवत्ता पर अधिक सही जानकारी प्रदान करने के लिए वायु गुणवत्ता निगरानी का काम शुरू हो गया है, लेकिन लापता आंकड़े और लंबे अंतराल को लेकर गंभीर चिंताएं अभी भी विद्यमान हैं जो उचित सही मूल्यांकन को और मुश्किल बना देता है।

कर्नाटक, हैदराबाद और तमिलनाडु के कुछ स्टेशनों में आंकड़ों की उपलब्धता इतनी कम है कि वायु प्रदूषण की नियमित प्रवृत्ति का आकलन करना बहुत ही मुश्किल है।

ध्यान रहे कि इस मामले में आंकड़ों की गुणवत्ता सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। यह बात सीएसई की प्रदूषण डेटा के नए विश्लेषण से स्पष्ट है। इस नए विश्लेषण का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण की प्रवृत्ति और परिमाण को समझना है।

यह विश्लेषण 1 जनवरी, 2019 से 9 जनवरी, 2022 की अवधि के बीच किया गया है। यह पीएम 2.5 का वार्षिक और मौसमी रुझानों का आकलन है।

हालांकि इन राज्यों के कुछ शहरों में कई रीयल टाइम मॉनिटर हैं, लेकिन डेटा अंतराल और गुणवत्ता डेटा की कमी के कारण दीर्घकालिक विश्लेषण के लिए उन पर विचार नहीं किया जा सका। इसके अलावा, कई मामलों में रीयल टाइम मॉनीटर हाल ही में स्थापित किए गए हैं और इसलिए दीर्घकालिक डेटा उपलब्ध नहीं हैं।

दक्षिणी क्षेत्र के कई शहरों को नवंबर 2020 में अपने रीयल टाइम मॉनीटर मिल गए हैं। चेन्नई को जनवरी 2021 आठ में से चार मॉनीटर मिले हैं।

विजयवाड़ा स्टेशन ने अक्टूबर 2019 के बाद पीएम2.5 डेटा की रिपोर्टिंग बंद कर दी और बेंगलुरु के सेनेगुरवा हल्ली स्टेशन ने 2019 की शुरुआत में पीएम 2.5 डेटा की रिपोर्टिंग बंद कर दी थी।

2020 के दौरान शुरुआती गिरावट के बाद कई दक्षिणी शहरों में सालाना पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि का रुझान दिखा। विश्लेषण में बताया गया है कि दक्षिण भारत के शहरों ने महामारी के कारण एक महत्वपूर्ण गिरावट के बाद 2021 में एक बार फिर बढ़त दिखाई है।

22 शहरों में वार्षिक औसत गणना के लिए 2020 और 2021 दोनों के लिए पर्याप्त डेटा हैं। इनमें से 16 शहरों ने अपने वार्षिक पीमए 2.5 औसत में वृद्धि दिखाई है, जबकि छह में और सुधार हुआ है।

कोच्चि ने 2020 और 2021 के बीच अपने वार्षिक पीएम 2.5 औसत को दोगुना कर दिया। सुधार दिखाने वाले शहर चेन्नई, कालाबुरागी, चिक्कबल्लापुर, विजयपुरा, चिक्कमंगलुरु और कोझीकोड हैं।

तमिलनाडु में चेन्नई के पास औद्योगिक शहर गुम्मिदीपोंडी में इस क्षेत्र की सबसे प्रदूषित हवा थी, जिसका औसत 2021 में 46 यूजी/एम3 था। इसके बाद विशाखापत्तनम और हैदराबाद में 2021 का वार्षिक औसत पीएम 2.5 क्रमश: 44 और 41 यूजी/एम3 है। इसके विपरीत, दक्षिणी क्षेत्र के अन्य सभी शहरों ने वार्षिक मानक को पूरा किया है। 

दक्षिणी राज्यों में सबसे खराब हवा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के शहरों में है। हैदराबाद 98 दिनों की प्रदूषित हवा के साथ दक्षिणी राज्यों में सबसे प्रदूषित दिनों वाला शहर है।

इसके बाद आंध्र के शहर हैं, विशाखापत्तनम में 86 दिन, राजामहेंद्रवरम में 68 दिन और अमरावती में 66 दिन प्रदूषित हवा है। कर्नाटक के छोटे औद्योगिक शहर जैसे गडग और कलबुर्गी भी प्रदूषित हवा है।

वास्तव में इन शहरों में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में आ सकता है, लेकिन डेटा की कम उपलबधता के कारण यह स्पष्ट नहीं है कि प्रदूषित हवा का पीरियड वास्तव में कितने समय तक चलता है। तमिलनाडु के गुम्मीदीपोंडी और केरल के कोल्लम में भी सबसे प्रदूषित हवा है।

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