प्रदूषण को लेकर कुछ दिन पहले सुर्खियों में आई बिहार की राजधानी पटना की आबोहवा दिवाली की आतिशबाजी के बाद और खराब हो गई है। दिवाली की आधी रात एयर क्वालिटी इडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। दिवाली की आधी रात पटना के तारामंडल में स्थित पॉल्यूशन मॉनीटरिंग स्टेशन में एयर क्वालिटी इंडेक्स 769 दर्ज किया गया था, जो सामान्य से करीब सात गुना से ज्यादा था।
हालांकि, अब इसमें कुछ कमी आई है, लेकिन हवा की गुणवत्ता अब भी खराब बनी हुई है। बुधवार (30 अक्टूबर) को शाम चार बजे पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स (पार्टिकलेट मैटर 2.5) 359 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के लिहाज से ‘बहुत खराब’ था। इससे पहले 29 अक्टूबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स 365 था। ये भी ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में ही आता है। वहीं, 28 अक्टूबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स 334 दर्ज किया गया था।
27 अक्टूबर की शाम दिवाली की आतिशबाजी से पहले पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स महज 174 था, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत खतरनाक नहीं था। लेकिन 24 घंटे बाद ही यानी 28 अक्टूबर को ये दोगुना हो गया था।
इसी तरह मुजफ्फरपुर और पटना में दिवाली की आतिशबाजी के कारण वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है। मुजफ्फरपुर में 27 अक्टूबर की शाम एयर क्वालिटी महज 186 था, जो 28 अक्टूबर को 277 पर और 29 अक्टूबर को 358 (बहुत खराब स्तर) पर पहुंच गया। वहीं, गया में 27 अक्टूबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स 68 था, जो 28 अक्टूबर को तीन गुना बढ़ कर 202 पर और 29 अक्टूबर को 215 पर पहुंच गया।
हालांकि, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन अशोक घोष ने कहा कि इस साल दिवाली में पिछले साल की तुलना में कम वायु प्रदूषण हुआ है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स शून्य से 50 तक हो, तो वो स्वास्थ्य के लिहाज बेहतर होता है. अगर एयर क्वालिटी 100 तक भी हो, तो वो स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं डालता है, लेकिन उससे ज्यादा हो जाए, तो वो सेहत को काफी नुकसान पहुंचाता है। इससे लोगों में सांस की बीमारियां हो जाती हैं।
पटना, मुजफ्फरपुर और गया में वायु प्रदूषण की स्थिति दिवाली खत्म होने के बाद भी खराब होने को लेकर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि दिवाली बीत जाने के बाद भी आतिशबाजी हो रही है और यह छठ पूजा तक जा रहेगी, इसलिए प्रदूषण के स्तर में गिरावट छठपूजा के बाद ही आएगी।
पर्यावरण विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि वायु प्रदूषण के स्तर में दो तरीके से ही कमी हो सकती है। एक तो अगर बारिश हो जाए, तो वायुमंडल में फैला धूल-धुआं जमीन पर आएगा या फिर अगर तेज हवा चले, तो वो धूलकणों को उड़ा ले जाएगा, लेकिन पटना में ये दोनों ही स्थितियां बनती नहीं दिख रही हैं।
यहां ये भी बता दें कि पटना, गया और मुजफ्फरपुर वैसे वायु प्रदूषण के मामले में कुख्यात रहा है। इस साल मार्च में ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया की ओर से जारी एक रिपोर्ट में पटना को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की फेहरिस्त में सातवां और देश में छठा स्थान मिला था। मुजफ्फरपुर इस सूची में 13वें और गया 18वें पायदान पर था।