सर्वेः दिल्ली की एयर क्वालिटी से असंतुष्ट हैं 86% लोग, 60% चाहते हैं कि ईवी से की जाए डोर स्टेप डिलीवरी

लास्ट माइल डिलीवरी का मतलब किसी भी माल को वितरण केंद्र से ग्राहक के दरवाजे तक पहुंचाने से है
फोटो: आईस्टॉक
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दिल्ली में सर्दियां खराब वायु गुणवत्ता के लिए कुख्यात हैं। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन सोमवार 9 सितंबर को जारी एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली के 60.5% लोग लास्ट माइल डिलीवरी यानी डोर स्टेप डिलीवरी में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के पक्ष में हैं। ताकि वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

लास्ट माइल डिलीवरी का मतलब किसी भी माल को वितरण केंद्र से ग्राहक के दरवाजे तक पहुंचाने से है। यह क्षेत्र इतना बड़ा है कि साल 2024 तक, अंतिम मील डिलीवरी क्षेत्र पांच लाख टन सीओ2 यानी कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन करता है, जो वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी करता है।

यह जानकारी विश्व ईवी दिवस के मौके पर 'सस्टेनेबिलिटी मोबिलिटी नेटवर्क' की ओर से 9 सितंबर को एक वेबिनार के दौरान जारी की गई। सर्वेक्षण का शीर्षक "अंतिम मील डिलीवरी क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के शामिल करने पर उपभोक्ता धारणाएं और अंतर्दृष्टि" था, जिसमें ईवी में संक्रमण के प्रति उपभोक्ताओं की राय और ब्रांडों के प्रति उनकी वरीयताओं का आकलन किया गया।

70 प्रतिशत उपभोक्ता कम वायु प्रदूषण वाले वाहनों पर स्विच करने को तैयार

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि लगभग 70 फीसदी उपभोक्ता उन ब्रांडों की तरफ स्विच करने के लिए तैयार हैं, जो उत्सर्जन और वायु प्रदूषण को कम करने की ठोस प्रतिबद्धताएँ रखते हैं। हालांकि, इस दिशा में अंतिम मील डिलीवरी कंपनियों की ओर से की जा रही कोशिशों की जानकारी बेहद कम है। सर्वे के अनुसार केवल 24.7% उपभोक्ताओं को इस विषय पर पर्याप्त जानकारी मिली है, जबकि 61% उपभोक्ता कंपनियों की ईवी ट्रांजिशन की प्रक्रिया से अनजान हैं।

सर्वेक्षण में शामिल 72.1% लोगों ने माना कि वे उन कंपनियों से खरीदारी करना पसंद करेंगे, जो अपने कर्मचारियों के लिए ईवी में ट्रांजिशन की दिशा में काम कर रही हैं। इसके साथ ही, 73% उपभोक्ताओं ने कहा कि डिलीवरी कंपनियों के लिए राज्य सरकार की ओर से निर्धारित ईवी ट्रांजिशन समय सीमा और नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।

सर्वेक्षण के परिणामों से यह भी स्पष्ट हुआ कि उपभोक्ता चाहते हैं कि कंपनियां स्थिरता के लिए उठाए जाने वाले कदमों का खर्च खुद वहन करें, न कि उपभोक्ताओं पर इसका अतिरिक्त भार डालें।

सर्वेक्षण में 6 राज्यों के दिल्ली सहित 10 शहर शामिल

इस सर्वेक्षण में 6 राज्यों और 10 प्रमुख शहरों के 3,800 उपभोक्ताओं ने भाग लिया, जिनमें दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता, आसनसोल, कोयम्बटूर, चेन्नई, बैंगलोर, हुबली-धारवाड़ और अहमदाबाद शामिल हैं। इनमें दिल्ली (380), मुंबई (380) और पुणे (380) (महाराष्ट्र), आसनसोल (373) और कोलकाता (371) (पश्चिम बंगाल), कोयम्बटूर (380) और चेन्नई (372) (तमिलनाडु), बैंगलोर (372) और हुबली-धारवाड़ (374) (कर्नाटक) और अहमदाबाद (370) (गुजरात) के लोग शामिल थे।

क्या होते हैं लास्ट माइल डिलीवर?

'अंतिम मील डिलीवरी क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के ट्रांजिशन के लिए उपभोक्ता धारणा और अंतर्दृष्टि' शीर्षक से इस सर्वेक्षण को अंतिम मील डिलीवरी कंपनियों के बेड़े के ईवी में संक्रमण के चारों ओर प्रमुख संकेतकों का मूल्यांकन करने के लिए किया गया था। यह सर्वेक्षण अंतिम मील डिलीवरी के साथ जुड़े वायु प्रदूषण के प्रति जनता की धारणा और ब्रांडों द्वारा ईवी में संक्रमण की मांग के पैमाने को मापता है, जिनमें अमेज़न, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी, नायका, अजियो, बिगबास्केट, जियो मार्ट, स्नैपडील, जेप्टो, डीएचएल/ब्लू डार्ट, स्विगी मार्ट, ग्रोफर्स/ब्लिंकिट, डीटीडीसी, टाटा क्लिक, डेल्हीवर, डुन्ज़ो, फेडेक्स शामिल हैं।

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