एक नए अध्ययन में पाया गया है कि दुनिया भर के महासागर लगभग 170 ट्रिलियन प्लास्टिक के टुकड़ों से प्रदूषित हो रहे हैं, जिनका वजन लगभग 20 लाख टन के बराबर है। इस बात का अनुमान 1979 से 2019 तक महासागरों में प्लास्टिक के रुझानों का विश्लेषण करके लगाया गया है।
विश्लेषण से पता चलता है कि 2005 के बाद से महासागरों के प्लास्टिक में तेजी से भारी वृद्धि हुई है। इस अध्ययन की अगुवाई द फाइव गायर्स इंस्टीट्यूट के सह-संस्थापक और शोधकर्ता मार्कस एरिक्सन ने की है।
यह अध्ययन महासागरों में आज तक प्लास्टिक जमा होने के तरीकों को समझने, प्रदूषण के इस रूप को दूर करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण रास्ता दिखता है। पिछले अध्ययनों ने मुख्य रूप से दुनिया के सबसे औद्योगिक राष्ट्रों के पास उत्तरी गोलार्ध के महासागरों पर गौर किया, जबकि अन्य अध्ययनों में समुद्र के प्लास्टिक में कम समय में भारी वृद्धि देखी गई।
अध्ययन में 1979 से 2019 तक की अवधि के दौरान छह प्रमुख समुद्री क्षेत्रों में 11,777 महासागर के स्टेशनों से सतही स्तर के प्लास्टिक प्रदूषण के आंकड़ों को देखा गया। इन छह समुद्री क्षेत्रों में उत्तर अटलांटिक, दक्षिण अटलांटिक, उत्तरी प्रशांत, दक्षिण प्रशांत, भारतीय और भूमध्यसागरीय महासागर शामिल किए गए।
माइक्रोप्लास्टिक महासागरों के लिए खतरनाक हैं, यह न केवल पानी को दूषित करते हैं बल्कि समुद्री जानवरों के आंतरिक अंगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जो उनके द्वारा भोजन के दौरान गलती से निगल लिए जाते हैं।
अध्ययनकर्ताओं के मॉडल ने 2005 के बाद से दुनिया भर के महासागरों और समुद्र की सतह पर भारी मात्रा में प्लास्टिक बिखरा हुआ दिखाई दिया। लगभग 171 ट्रिलियन प्लास्टिक कण, मुख्य रूप से माइक्रोप्लास्टिक हैं।
जिनका वजन 11 से 49 लाख टन के बीच था, प्लास्टिक जो की 2019 में समुद्र में तैरते देखे गए थे। 1979 से 1990 के आंकड़ों की कमी ने इस प्रवृत्ति को रोका, जबकि 1990 से 2004 के बीच प्लास्टिक के स्तर में उतार-चढ़ाव दिखाई दिया, जिसमें कोई स्पष्ट बदलाव नहीं देखा गया।
हालांकि ये परिणाम उत्तरी प्रशांत और उत्तरी अटलांटिक में रुझानों को दिखाते हैं, जहां अधिकांश आंकड़े एकत्र किए गए थे। एरिक्सन और सह-अध्ययनकर्ताओं ने सुझाव दिया कि, दुनिया भर में 2005 से प्लास्टिक उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है या अपशिष्ट उत्पादन और प्रबंधन में बदलाव हुआ है।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा व्यापक नीतिगत बदलावों के बिना, 2040 तक प्लास्टिक के हमारे पानी में प्रवेश करने की दर लगभग 2.6 गुना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा वे पानी में प्लास्टिक प्रदूषण के पारिस्थितिकी, सामाजिक और आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए तत्काल कानूनी रूप से रोक लगाने और अंतर्राष्ट्रीय नीति द्वारा इसपर हस्तक्षेप की मांग करते हैं।
एरिक्सन कहते हैं, हमने सहस्राब्दी के बाद से दुनिया भर के महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक की भारी वृद्धि होने का एक खतरनाक तरीका देखा है, जो 170 ट्रिलियन प्लास्टिक कणों तक पहुंच गया है।
अध्ययनकर्ताओं ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि हमें अब प्लास्टिक को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्य करना होगा। विशेषज्ञों ने कहा कि अध्ययन से पता चला है कि महासागरों में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर को कम करके आंका जा रहा है।
एरिक्सन ने कहा, यदि हम इसी गति से प्लास्टिक का उत्पादन जारी रखते हैं और हम बहुत पहले से रीसाइक्लिंग की बात कर रहे हैं, जबकि प्लास्टिक उद्योग एक साथ रीसाइक्लिंग सामग्री या डिजाइन को फिर से खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, अब वक्त आ गया है कि प्लास्टिक की समस्या को स्रोत पर ही सुलझाया जाए। यह अध्ययन ओपन-एक्सेस जर्नल पीएलओएस वन में प्रकाशित किया गया है।