सुंदरवन से निकला 10 टन प्लास्टिक, अभी सफाई जारी

यास चक्रवात के बाद राहत पहुंचाने के लिए सुंदरवन में पानी की बोतलें, खाद्य सामग्री के पैकेट्स दिए गए, जिन्हें अब हटाया जा रहा है
सुंदरवन से प्लास्टिक कूड़ा हटाती महिलाएं। फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
सुंदरवन से प्लास्टिक कूड़ा हटाती महिलाएं। फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
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यास चक्रवात के बाद सुंदरवन के प्रभावित लोगों तक राहत सामग्रियां पहुंचाने के लिए कई एनजीओ आगे आये और उनकी तरफ से भोजन से लेकर पानी तक पहुंचाया गया। लेकिन इस राहत अभियान ने सुंदरवन के इको-सिस्टम पर भी बहुत असर डाला है। सुंदरवन की नदियां-तालाब जमीन प्लास्टिक के बोतल, फुड पैकेट्स, पाउच आदि से भर गये।

सुंदरवन का इलाका पश्चिम बंगाल के उत्तर दक्षिण 24 परगना जिले में फैला हुआ है, लेकिन मई में आये यास चक्रवात ने दक्षिण 24 परगना जिले में ज्यादा नुकसान पहुंचाया था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस चक्रवात में 2.21 लाख हेक्टेयर फसल और 71560 हेक्टेयर बागवानी बर्बाद हो गये। चक्रवात से पश्चिम बंगाल सरकार को 20 हजार करोड़ का नुकसान हुआ।  

दक्षिण 24 परगना जिले के डीएम पी उलगानाथन ने कहा, “सुंदरवन में एनजीओ की तरफ से राहत अभियान चलाया गया, जिसमें पानी की बोतल और पानी का पाउच वितरित किया गया। हमारे अनुमान के मुताबिक, सुंदरवन में कुल एक करोड़ पाउच और करीब 20 लाख पानी के बोतल फेंके गये।

डीएम ने डाउन टू अर्थ को बताया, “टीम बनाकर 8 जून से इन्हें हटाना शुरू किया गया और अब तक 10 टन प्लास्टिक सुंदरवन से निकाला जा चुका है।

यास चक्रवात से सुंदरवन के काकद्वीप, नामखाना, पाथरप्रतिमा, सागरद्वीप, मथुरापुर-2, कुलतली, बासंती औऱ गोसाबा ब्लॉक की 83 ग्राम पंचायतें बुरी तरह प्रभावत हुई हैं। इन पंचायतों से प्लास्टिक कचरा हटाने के लिए 329 टीमों को लगाया गया। इस अभियान से स्थानीय लोगों को जोड़ने के लिए प्रशासन की तरफ से एक किलो प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने पर एक पेट (पोलियोथैलिन टेरेफथैलेट) बोतल (ये बोतल मजबूत होता है और लम्बे समय तक इसे इस्तेमाल किया जा सकता है) देने का ऑफर दिया। इससे लोगों ने कूड़ा साफ करने में दिलचस्पी दिखाई। 

टीम नावें लेकर नदियों में उतरी और जाल लगाकर बोतलों पाउच को बाहर निकाला। अभियान शुरू होने के दस दिन के भीतर ही टीम ने 9 लाख प्लास्टिक के बोतल निकाले और रिसाइक्लिंग के लिए ठोस कचरा प्रबंधन इकाइयों में भेज दिया।

पर्यावरणविद मोहित रे ने डाउन टू अर्थ को बताया, “मिट्टी एक जीवित तत्व है। अगर मिट्टी के भीतर पाउच चला जाएगा, तो मिट्टी की अपनी गतिविधियां थम जाएंगी, जिससे खेतीबाड़ी पर असर पड़ेगा। प्लास्टिक की बोतलें अगर नदियों, तालाबों में फेंकी जाती हैं, तो उनमें पानी भर जाएगा और कुछ समय बाद वे नदियों तालाबों की सतह में बैठ जाएंगी। इससे इनकी सेहत पर भी असर पड़ेगा क्योंकि नदियों तालाबों की सतह में जो मिट्टी होती है, उनमें कई तरह की गतिविधियां होती हैं, जो थम जाएंगी।

जादवपुर यूनिवर्सिटी प्रोफेसर तुहिन घोष का कहना है कि प्लास्टिक कचरे का सुंदरवन पर भयावह प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, माइक्रो प्लास्टिक में जहरीला तत्व होता है, जो वहां की मिट्टी, पानी में मिल जाएगा, जो लोगों की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। यही नहीं, दीर्घावधि में इसका असर जीव-जन्तु और पेड़-पौधों पर भी पड़ेगा। कुल मिलाकर प्लास्टिक कूड़े का अंबार सुंदरवन के लिए घातक होने वाला है।  

सुंदरवन पहले से ही जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की मार झेल रहा है। जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ते जलस्तर से कई द्वीपों का अस्तित्व संकट में है, दूसरी तरफ प्रदूषण भी बढ़ रहा है। पिछले साल सुंदरवन में अंफान चक्रवात आया था, तब भी इसी तरह राहत अभियान चला था और सुंदरवन में प्लास्टिक कचरे का अंबार लग गया था। उस वक्त कोलकाता सोसाइटी फॉर कल्चरल हेरिटेज नाम के एनजीओ ने अपने प्राथमिक सर्वेक्षण में 26 मेट्रिक टन प्लास्टिक के सुंदरव में जमा होने का अनुमान लगाया था। कुछ शोधों में तो सुंदरवन की मछलियों के पेट में भी प्लास्टिक मिला था। 

प्रोफेसर तुहिन घोष ने कहा, सुंदरवन में पहले से ही माइक्रो प्लास्टिक मौजूद है, जो वहां की जैवविविधता पर असर डाल रहा है। पिछले साल भी इसी तरह प्लास्टिक कूड़ा जमा हो गया था, तो मैंने पश्चिम बंगाल सरकार को तस्वीरें देकर आगाह किया था, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।” 

मोहित रे का कहना है कि राहत सामग्री बांटना अच्छी चीज है लेकिन इससे जो कचरा निकलता है, उसका प्रबंधन भी जरूरी है। उन्होंने कहा, “जो संस्थाएं राहत अभियान चला रही हैं, उन्हें चाहिए वे एक केंद्रीकृत व्यवस्था करें, ताकि लोग प्लास्टिक की बोतल पाउच का इस्तेमाल कर उसी एक जगह जमा कर दें। इससे प्लास्टिक से प्रदूषण नहीं फैलेगा और प्लास्टिक कचरे को हटाना आसान होगा।” 

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