विश्व सुनामी जागरुकता दिवस : पिछले 100 वर्षों में लगभग 58 सुनामी ने 2,60,000 से अधिक लोगों की जान ली

दिसंबर 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी ने इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत और थाईलैंड सहित 14 देशों में लगभग 227,000 जान ले ली थी।
Credit: Wikimedia commons
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विश्व सुनामी जागरुकता दिवस हर साल 5 नवंबर को मनाया जाता है। बार-बार सुनामी के कड़वे अनुभवों के कारण जापान को इस दिवस को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में, इसने सुनामी की पूर्व चेतावनी, सार्वजनिक कार्रवाई और भविष्य के प्रभावों को कम करने के लिए आपदा के बाद बेहतर निर्माण जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रमुख विशेषज्ञता का निर्माण किया है।

संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को सुनामी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए नामित किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब सुनामी की चेतावनी उन तक पहुंचे तो समुदाय निर्णायक रूप से और बिना घबराए कार्य करें।

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस का इतिहास

22 दिसंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 70/23 के माध्यम से 5 नवंबर को विश्व सुनामी जागरुकता दिवस के रूप में नामित किया। हालांकि सुनामी सबसे विनाशकारी और खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इसकी कोई सीमा नहीं है क्योंकि वे केवल तटीय समुदायों को प्रभावित नहीं करते। वे तट से दूर स्थित अन्य कस्बों और समुदायों तक भी पहुंचते हैं और उन्हें नष्ट कर देते हैं।

सुनामी का खतरा होने पर तटीय समुदाय सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं। सुनामी के प्रभावों में भयंकर तरीके से जमीन का हिलना, ज्वालामुखी विस्फोट या असामान्य रूप से दूर जाने वाला पानी और समुद्र तल को उजागर करना हो सकता है। इस तरह की प्राकृतिक आपदा के जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी कार्यों, नीतियों और प्रथाओं के बारे में वैश्विक जागरुकता बढ़ाने के प्रयास में अंतरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है।

पिछले 100 वर्षों में लगभग 58 सुनामी ने 2,60,000 से अधिक लोगों की जान ले ली, जो किसी भी अन्य प्राकृतिक आपदा से अधिक है। उन 100 वर्षों के दौरान सबसे अधिक मौतें दिसंबर 2004 में हुईं, जब हिंद महासागर में सुनामी आई थी। इसने इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत और थाईलैंड सहित 14 देशों में लगभग 2,27,000 जान ले ली।

उस सुनामी के ठीक तीन सप्ताह बाद, जापान के कोबे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक साथ आया, जहां सरकारों ने कार्रवाई के लिए 10 वर्षीय ह्योगो फ्रेमवर्क को अपनाया। यह समझौता आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए पहला व्यापक वैश्विक समझौता था।

तेजी से शहरीकरण और सुनामी क्षेत्रों में बढ़ता पर्यटन और भी अधिक लोगों को खतरे में डाल रहा है। इसलिए यह इतना महत्वपूर्ण है कि विश्व आपदा मृत्यु दर में पर्याप्त कमी लाने के लिए हर संभव प्रयास करे।

विश्व सुनामी जागरुकता दिवस थीम

2021 में विश्व सुनामी जागरुकता दिवस "सेंडाई सेवन अभियान" लक्ष्य को बढ़ावा देता है, जिसका उद्देश्य 2030 तक वर्तमान ढांचे के कार्यान्वयन के लिए अपने राष्ट्रीय कार्यों के पूरक के लिए पर्याप्त और स्थायी समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को पर्याप्त रूप से बढ़ाना है।

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस का 2022 का उद्देश्य शुरुआती चेतावनी प्रणालियों तक पहुंच बढ़ाकर वैश्विक स्तर पर सुनामी के खतरे को कम करने का है।

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