बंगाल की खाड़ी से सटा पश्चिम बंगाल लगातार तीसरे साल चक्रवात से जूझने जा रहा है। बंगाल की खाड़ी में बना निम्न दबाव अब मजबूत चक्रवात में बदल चुका है और संभवतः 26 मई की दोपहर ये पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तट से टकराएगा। इस चक्रवात को यास नाम दिया गया है।
बंगाल की खाड़ी से सटा होने के चलते पश्चिम बंगाल पहले भी चक्रवातों से जूझता रहा है, लेकिन ये पहली बार है कि लगातार तीसरी बार यहां चक्रवात की दस्तक हो रही है। इस तरह का मजबूत चक्रवात जब भी पश्चिम बंगाल में आता है, तो अपने साथ भारी तबाही लाता है। पिछले दो सालों (साल 2019 और 2020) में आये दो चक्रवात बुलबुल और अम्फान ने पश्चिम बंगाल को लगभग 58,829 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
दोनों चक्रवातों से हुए नुकसान को देखें, तो साल 2020-2021 में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश किये गये कुल बजट का 25.05 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल सरकार ने साल 2020-2021 के लिए 2,34,842 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव पेश किया था।
वहीं, अगर साल 2020-2021 के पश्चिम बंगाल के आपदा प्रबंधन व सिविल डिफेंस विभाग के लिए आवंटित राशि से तुलना करें, तो दोनों चक्रवातों से हुआ नुकसान आपदा प्रबंधन के कुल बजट से 48.4 गुना अधिक है। साल 2020-2021 के बजट में पश्चिम बंगाल सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए 1215 करोड़ रुपए आवंटित किया था।
पिछले साल आये अम्फान ने करीब 100 लोगों की जान ले ली थी। लगभग 5.71 लाख हेक्टेयर में फैली फसल बर्बाद हो गई थी, 5.55 लाख घर ध्वस्त और 23927 मवेशी लापता हो गये थे।
पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने आकलन में बताया था कि अम्फान से 35018 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। साल 1999 में आये सुपर साइक्लोन के बाद दूसरी बार था जब पिछले साल सुपर साइक्लोन आया था। पिछले साल 5 उष्णकटिबंधीय चक्रवात बना था, जिनमें से तीन चक्रवात का लैंडफाल भारत में हुआ था। उत्तर भारतीय महासागर जिसमें अरब सागर और बंगाल की खाड़ी भी शामिल है, में पूर्व में साल में चार चक्रवात बना करते थे, लेकिन हाल में 5 चक्रवात भी बन रहे हैं। इनमें से 3 से 4 चक्रवात भारत में लैंडफाल करते हैं, जिसका मतलब है कि उत्तर भारतीय सागर में चक्रवातों की संख्या बढ़ रही है।
अम्फान से पहले साल 2019 में आये बुलबुल चक्रवात से पश्चिम बंगाल को 23811 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा था।
पूर्व में चक्रवात से होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए बहुत प्रयास नहीं होते थे, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार की तरफ से चक्रवात पूर्व तैयारियां की जा रही हैं और मौसम विज्ञान केंद्र भी पल—पल की जानकारी और सटीक अनुमान लगा रहा है, जिससे आर्थिक नुकसान भले हो रहा है कि लोगों को बचाने में सरकार सफल रही है। अम्फान के चलते लगभग 100 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन जानकारों के मुताबिक, इस सुपर साइक्लोन से हजारों जानें जा सकती थीं, लेकिन पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था, जिससे कम लोगों की मृत्यु हुई।
नदी किनारे बसी आबादी को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, 26 मई की दोपहर ये चक्रवात ओडिशा के बालासोर जिला और पश्चिम बंगाल के सागरद्वीप के बीच लैंडफाल करेगा। ऐसे में सागरद्वीप व इससे सटे सुंदरवन के अन्य द्वीपों को भारी नुकसान की आशंका है।
चक्रवात से संभावित नुकसान को देखते हुए घोड़ामारा आइलैंड और सागरद्वीप में नदी के किनारे बसे लोगों को एहतियात के तौर पर द्वीप के बीच में फ्लड शेल्टर और पक्के स्कूलों में रखा गया है। सुंदरवन विकास मंत्री बंकिम हाजरा ने डाउन टू अर्थ को बताया, “घोड़ामारा द्वीप के किनारों पर रह रहे 1500 लोगों को फ्लड शेल्टर में लाया गया है। इसी तरह सागरद्वीप में भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है। हमलोग शेल्टर होम में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं। शेल्टर होम में जेनरेटर की व्यवस्था की गई है। मैं खुद सुबह से तटबंधों का परिदर्शन कर रहा हूं।”
इधर, हावड़ा, हुगली समेत अन्य समीपवर्ती जिलों में माइकिंग कर लोगों से पर्याप्त मात्रा में पेयजल का इंतजाम कर लेने और मोबाइल फोन चार्ज करने की हिदायत दी है।
पश्चिम बंगाल फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर से दो-चार हो रहा है और इसी वक्त में चक्रवात आ रहा है, तो सरकार के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बचाव कार्य करना एक बड़ी चुनौती है। साथ ही इससे स्वास्थ्य सेवाओं के भी प्रभावित होने की आशंका है। आपदा प्रबंधन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, “चक्रवात के कारण पेड़ गिरने से बिजली आपूर्ति बुरी तरह बाधित हो सकती है। चूंकि अभी कोरोना का भी कहर है, तो लोग इमरजेंसी की हालत में चिकित्सकों व अन्य चिकित्सीय लाभ लेने के लिए संपर्क साध सकें, इसलिए लोगों से कहा जा रहा है कि वे मोबाइल फोन को चार्ज कर रखें।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया है कि इस चक्रवात से पश्चिम बंगाल के 20 जिले प्रभावित हो सकते हैं। चक्रवात के बाद बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की 35 टीम, आपदा प्रबंधन की 51 टीम के अलावा सेना और भारतीय तटरक्षक को भी रखा गया है। इसके अलावा राज्य सचिवालय में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है, जहां से कड़ी निगरानी रखी जा रही है। चक्रवात से प्रभावित होने वाले सभी जिलों को मिलाकर पश्चिम बंगाल सरकार 10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की तैयारी कर रही है।
पिछले साल आये अम्फान चक्रवात ने सुंदरवन के साथ-साथ मिदनापुर के हजारों लोगों को बेघर कर दिया था। वे अभी नुकसान से ऊबर ही रहे थे, उनकी जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट ही रही थी कि एक और चक्रवात सामने आ खड़ा हुआ है।