कब आएगा और कितना भयंकर होगा तूफान, पता लगाएगा यह मॉडल
समुद्र के जल स्तर के बढ़ने और तूफान आने से कितने लोगों को खतरा होगा, वैज्ञानिकों के लिए इसका सटीक पूर्वानुमान लगाना हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन अब वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने इन प्राकृतिक घटनाओं के प्रभाव का बेहतर ढ़ग से पता लगाने के लिए एक नया मॉडल बनाया है।
इस नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में एक अनोखी सांख्यिकीय पद्धति का उपयोग किया गया है, जो पहली बार - ज्वार और तूफान के बीच महत्वपूर्ण संबंध को बताती है। ये प्राकृतिक शक्तियां मौसम संबंधी प्रभावों, जैसे तेज हवाओं और कम वायुमंडलीय दबाव के कारण होते हैं। इनके प्रभावों को अक्सर प्रकृति की जटिलता के कारण समझना मुश्किल होता है। यह अध्ययन जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के सहायक प्रोफेसर और सह-अध्ययनकर्ता वाहल कहते हैं कि एक अच्छे मॉडल का होना बहुत आवश्यक है। ताकि मॉडल के माध्यम से योजना बनाने वाले लोगों को र्गम होती जलवायु के खतरनाक परिणामों के बारे में समझने, इनसे निपटने में मदद मिल सके।
नई पद्धति का उपयोग करते हुए टीम ने पाया कि समुद्र के नजदीक, तटीय बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या, इससे निपटने के लिए लगने वाला खर्च का पहले जितना अनुमान लगाया गया था, उससे कहीं अधिक हो सकता है।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले कृषि और पर्यावरण विज्ञान के सहायक प्रोफेसर अर्ने आर्न्स कहते हैं कि वैश्विक अध्ययन में अक्सर अनिश्चितताएं शामिल होती हैं। इसलिए कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। हालांकि काफी हद तक इस बारे में पता चल जाता है कि चरम घटनाओं के दौरान तट पर पानी का स्तर कितना ऊंचा होगा आदि।
आर्न्स कहते हैं कि हमारे इन परिणामों से हम वास्तव में यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि भविष्य में समुद्र के स्तर में कितनी वृद्धि होगी। इसके परिणाम हमारे द्वारा वर्तमान में लगाए गए अनुमानों की तुलना में कितने खतरनाक होंगे, लेकिन यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि हमारी कार्यप्रणाली में अनिश्चितताएं कहां हैं, भविष्य में किए जाने वाले शोधों में संबंधित प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से शामिल किया जाना चाहिए।
शोधकर्ता कहते हैं कि ये नए अनुमान वैश्विक स्तर पर और स्थानीय स्तर पर तटीय सुरक्षा में सुधार करने में मदद करेंगे, खासकर जब छोटे समुदायों तक सीमित पहुंच हो।
अतीत में जब वैज्ञानिकों ने इसी तरह के अध्ययन किए, तो उन्होंने कंप्यूटर मॉडल से प्राप्त जानकारी का उपयोग किया, जो प्रकृति के प्राकृतिक प्रक्रियाओं का अनुमान लगाती है, जिनमें ज्वार और तूफान शामिल है। ऐसे मॉडल वैश्विक आकलन के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि सभी तटीय स्थानों की माप मौजूद नहीं होती है। हालांकि, नई विधि इस कार्य को अधिक सटीकता से कर सकती है।
शोधकर्ता कहते हैं कि हमारे पास अब एक सामान्य दृष्टिकोण है, जिसके साथ हम पिछले अध्ययनों के परिणामों का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं। इस नए मॉडल की मदद से अब तूफान आने से पहले तथा इसका स्वरूप कितना भयंकर होगा इस बात का पता लगाया जा सकता है। इससे समुद्र के नजदीक तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बचाया जा सकता है। आगे आने वाले तूफानों से निपटने के लिए योजना बनाई जा सकती है।