ज्वालामुखी विस्फोट और उसके बाद आई सुनामी के कारण दक्षिणी प्रशान्त क्षेत्र का टोंगा द्वीप बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लगभग 84 हजार की आबादी वाले इस द्वीप में 12 हजार से अधिक परिवारों पर इस आपदा का असर पड़ा है।
मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओसीएचए) इस आपदा पर लगातार नजर रखे हुए है और अपडेट जारी कर रहा है।
20 जनवरी 2022 को दी गई जानकारी के मुताबिक टोगा में कुल आबादी का लगभग 80 फीसदी हिस्सा इस आपदा में प्रभावित हुआ है। टोंगा की सरकार ने अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि की है, जिनमें टोंगा के दो नागरिक और एक ब्रितानी नागरिक है।
यूएनओसीएचए के अनुसार टोंगा की अर्थव्यवस्था के लिए कृषि क्षेत्र बहुत महत्व रखता है, लेकिन इस आपदा में यह क्षेत्र बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। फसलों के साथ-साथ मवेशियों और मछली पालन को बहुत नुकसान हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र इस एजेंसी ने आशंका जताई है कि अभी भी फसलों पर राख गिरने और खारेपन की अधिकता हो सकती है। साथ ही अम्लीय वर्षा भी होने की आशंका है। जबकि मवेशियों पर निर्भर लगभग 70 परिवारों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। पीने का पानी भी दूषित हो गया है।
170 द्वीपों से मिलकर बने इस द्वीप समूह में मछली पालन लोगों की आजीविका का बड़ा साधन है, लेकिन सुनामी की वजह से यह भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इतना ही नहीं, सरकार भी फिलहाल लोगों से मछलियां पकड़ने या खाने से बचने की सलाह दे रही है।
इन सबके बीच यहां संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका भी जताई जा रही है और इस पर नजर भी रखी जा रही है। यहां ईंधन की किल्लत को देखते हुए आस्ट्रेलिया सरकार ने सहयोग देने की बात कही है।
यूएन एजेंसी के मुताबिक, स्वच्छ जल की उपलब्धता और भूजल की गुणवत्ता को लेकर चिंताएं बढ़ रही है। हालांकि देश की राजधानी में पीने का पानी स्वच्छ और सुरक्षित है, मगर फिर भी अधिकतर लोग बोतलबंद पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से कहा है कि जब तक वे न कहें, बारिश का पानी इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह दूषित हो सकता है।
द्वीप के कई स्वास्थ्य केंद्रों को भी नुकसान पहुंचा है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
15 जनवरी को इस द्वीप से सटे समुद्र में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था, जिसकी जिससे प्रशांत महासागर के चारों ओर सुनामी लहरें उठ गई और इससे टोंगा द्वीप सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।