उत्तराखंड आपदा: सात दिन के दौरान नहीं बनी कोई झील

उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने सात दिन की मैपिंग की समीक्षा की है
बचाव कार्य में जुटे जवान। फोटो: चमोली पुलिस
बचाव कार्य में जुटे जवान। फोटो: चमोली पुलिस
Published on

ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में हुआ हादसा क्यों हुआ, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) इस क्षेत्र के ग्लेशियरों की निगरानी करता है और लगातार मैपिंग की जाती है। यूसैक के निदेशक एसपीएस बिष्ट का कहना है कि पिछले सात दिन की मैपिंग रिव्यू की गई और पाया गया कि इस दौरान इस इलाके में कोई झील नहीं बनी। 

ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में 14 ग्लेश्यिर हैं। इन सबका पानी नंदादेवी पर्वत श्रंखलाओं से निकल कर ऋषिगंगा नदी के रूप में आगे धौलीगंगा में मिलता है। रविवार को हुए हादसे के बाद कुछ वैज्ञानिकों ने ये आशंका जताई थी कि किसी कत्रिम झील में एवलांच गिरा होगा। जिसके बाद झील टूटी होगी और उसका पानी मलबे को साथ लेकर तेजी से गांव की तरफ आ गया। लेकिन उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने 31 जनवरी से सात फरवरी तक का मैपिंग जारी की है। जिसमें जिस क्षेत्र से पानी बहकर नीचे आया है, वहां पर किसी भी प्रकार की कोई झील नहीं पाई गई है।

यूसैक के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने बताया कि संभावना लग रही है कि भूस्खलन से नदी का पानी कुछ समय के लिये रुका हो। जिसके बाद प्रेशर पड़ने से वो झील ढह गई और पानी तेजी से हिमखंडों को लेकर नीचे की ओर आया हो।

उधर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान का दल भी जांच के लिए घटनास्थल पर पहुंच चुका है। 

30 गांवों से संपर्क कटा

रैणी गांव में पुल टूटने से चीन सीमा की ओर पड़ने वाले तीस गांवों का संपर्क कट गया है। राज्य सरकार ने इन गांवों में किसी के बीमार होने पर हेलिकॉप्टर सेवा के निर्देश दिये हैं। वहीं रसद आपूर्ति भी अगले कुछ दिनों तक हेलिकॉप्टर से ही होगी। आईटीबीपी के एडीजे मनोज सिंह ने बताया कि पुल के बह जाने से बडा संकट हो गया है। इसके लिये उसके तत्काल बीआरओ से बनवाने के लिये कहा गया है। तीस गांव और सीमा की रक्षा के लिये ये पुल अति आवश्यक है।

दर्जनों लोग मलबे के किनारे लापता हो चुके अपने को तलाशने रैणी गांव आ रहे हैं। रैणी गांव के मनजीत भी लापता है। उनके पिता विकलांग है। मनजीत के दो और भाई है। एक मानसिक रूप से अस्वस्थ है जबकि दूसरा बहुत छोटा है। घर पर अजीविका के लिये मनजीत ही थे। सदमे मंे उनकी मां बेहोश है। जय प्रसाद भी अपने भाई को तलाषने आये हुये है। बांध परियोजना के प्रभारी कमल चैहान सडक के एक तरफ बदहवास होकर रो रहे है। पूछने पर इतना ही बता पाये कि उनके साथी 53 लोग लापता है। किसी तरह वो और उनके तीन साथ ही बच पाये। उन्होंने बताया सभी लोग परिवार की तरह थे। अस्सी साल के बचन सिंह राणा बताते हैं कि उनके गांव रैणी में कई के मकान और खेत बह गये। कई परिवार सड़क पर आ गये है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in