एक और जहां हिमाचल प्रदेश में लगातार प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी इन आपदाओं के पीड़ितों को राहत पहुंचाने के प्रति राज्य सरकार कितनी सजग है, इस बात का अंदाजा भारत के नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।
बीते 13 अगस्त 2021 को कैग की रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदन के पटल पर रखी गई। इस रिपोर्ट में 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष का लेखा जोखा रखा गया।
रिपोर्ट में राज्य आपदा राहत कोष यानी स्टेट डिजास्टर रिस्पोंस फंड (एसडीआरएफ) के इस्तेमाल पर सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) के तहत एसडीआरएफ को दिया गया पैसा चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़ या ओलावृष्टि से पीड़ितों को राहत देने के लिए किया जा सकता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में यह पैसा दूसरे कामों पर खर्च कर दिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक 2014-19 के बीच स्टेट प्लांट प्रोटेक्शन अफसर ने एसडीआरएफ का 26.16 करोड़ में से 21.60 करोड़ रुपए बागवानों को कीटनाशकों पर दी जाने वाली सब्सिडी के लिए दे दिया। जो एसडीआरएफ के नियमों के तहत कवर नहीं होता है। जुलाई 2020 में एक कांफ्रेंस में सचिव ने कहा कि इस बारे में आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
इसके अलावा कैग ने एसडीआरएफ के पैसे के गलत इस्तेमाल का भी खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार के सितंबर 2010 ( बाद में जुलाई 2015 में संशोधित) दिशानिर्देशों के मुताबिक, एसडीआरएफ का उपयोग केवल आपदाओं के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए किया जाना है।
इसके अलावा राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) यह सुनिश्चित करेगी कि एसडीआरएफ से प्राप्त धन का उपयोग वास्तव में उन उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए एसडीआरएफ की स्थापना की गई है, इसके लिए कुछ नियम तय किए गए हैं।
यह पैसा जिला उपायुक्तों (डीसी) के माध्यम से खर्च किया जाता है। लेकिन एसडीआरएफ का पैसा राज्य सरकार के भवनों, कार्यालय भवन, आवासीय क्वार्टर आदि पर खर्च नहीं किया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2018 से दिसंबर 2019 के रिकॉर्डों की जांच के बाद पाया गया कि छह जिलों में जिला उपायुक्तों ने 7.55 करोड़ रुपए सरकारी भवनों, अदालतों के परिसर और खेल के मैदानों पर खर्च कर दिए। जिनका किसी तरह की आपदा से कोई लेना देना नहीं था।
इसी तरह दो जिलों में 3.83 करोड़ रुपए भी ऐसे मरम्मत के कार्यों पर खर्च किए गए, जिनका आपदा से कोई संबध नहीं था। इसी तरह सिरमौर जिले में भी 3.25 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
कैग की रिपोर्ट बताती है कि इस तरह लगभग 14.63 करोड़ रुपए का गलत इस्तेमाल किया गया।