
पंजाब में बाढ़ के कारण 5 सितंबर तक 43 लोगों की मौत और 3.84 लाख लोग प्रभावित हुए हैं
कुल 1.7 लाख हेक्टेयर फसल का नुकसान हुआ है
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, इस पूरी आपदा में पंजाब में प्रमुख नदियों का जलस्तर मानसूनी बाढ़ जैसा ही बना रहा
रणजीत सागर बांध और पोंग डैम से छोड़े गए पानी ने बाढ़ की विभीषका को बढाया
बांध और डैम पर सिल्ट की समस्या ने इस बाढ़ की विभीषिका को और ज्यादा तीव्र बनाया
पंजाब में दशकों बाद आई बाढ़ और मानवीय आपदा की तस्वीरें देखकर सामान्य समझ से भी यह पता चल सकता है कि सूबे की प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार करते हुए अपने ऐतिहासिक स्तरों पर पहुंच गया होगा। लेकिन क्या ऐसा ही हुआ?
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पोर्टल में केंद्रीय जल आयोग के बाढ़ संबंधी चेतावनी का विश्लेषण करने पर यह समझ उलझ जाती है। पोर्टल पर मौजूद एक अगस्त से 3 सितंबर तक यानी कुल 33 दिनों की रोजाना स्थिति रिपोर्ट का विश्लेषण यह बताता है कि पंजाब की प्रमुख नदियां इस बाढ़ के अध्याय के दौरान कभी ऐतिहासिक स्तर तो क्या गंभीर श्रेणी में भी नहीं पहुंची।
केंद्रीय जल आयोग ने पंजाब की स्थिति में नदियों के बढ़े हुए जलस्तर को मानसून से उपजी बाढ़ की स्थिति तक ही माना है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पोर्टल पर 27 अगस्त, 2025 की सिचुएशन रिपोर्ट में पंजाब के लिए यह लिखा गया,“पंजाब के पठानकोट जिले में उत्तर भारत का एक अगम बहुउद्देश्यीय बांध रणजीत सागर बांध से पानी छोड़ा गया और भारी बारिश ने रावी और व्यास नदी के जलस्तर को बढ़ा दिया और इसके चलते पंजाब में गुरदासपुर, अमृतसर, फरीदकोट, बरनाला और कपूरथला यानी कुल पांच जिले बाढ़ से प्रभावित हो गए।”
यह बाढ़ संबंधी पहली स्थिति रिपोर्ट थी, जिसमें पंजाब की त्रासदी के बारे में जिक्र किया गया। इसमें लिखा गया कि 27 अगस्त तक, “कुल मिलाकर अब तक 107 गांव प्रभावित हुए हैं। रणजीत सागर बांध से लगभग 1,10,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। लगभग 500 लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। सीमा जिलों में सीमा सुरक्षा बल की कुछ चौकियां भी बाढ़ से प्रभावित हुई हैं। सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, बीएसएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा खोज और बचाव अभियान चलाया जा रहा है।”
क्या यह बाढ़ से उपजी त्रासदी की सही तस्वीर थी? दरअसल यह दर्शाता है कि राज्य और केंद्र के बीच नुकसान और बाढ़ की तैयारियों और जानकारियों के लेन-देन को लेकर कोई तालमेल ही नहीं था।
केंद्रीय जल आयोग जब यह कहता है “बाढ़ की स्थिति” तो उसका मतलब होता है कि नदी में पानी खतरे के स्थान को पार कर गया है। ओरेंज अलर्ट यानी गंभीर स्थिति का मतलब होता है कि स्थिति और ज्यादा बिगड़ रही है जबकि एक्स्ट्रीम कंडीशन जिसे रेड अलर्ट में रखा जाता है वह जलस्तर का ऐतिहासिक स्तर होता है। यानी उससे पहले कभी नदी में पानी का वह स्तर नहीं पहुंचा।
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक पंजाब में नदियों की गंभीर और अतिगंभीर दोनों ही स्थिति 1 अगस्त से 3 सितंबर के बीच नहीं बनी। जबकि मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीयों के द्वारा यह स्पष्ट तौर पर बताया जा रहा है कि बाढ़ जैसी स्थिति 14 और 15 अगस्त से ही बनने लगी थी, जिसका वीभत्स रूप 25 अगस्त से सामने आया।
पंजाब में स्थानीय स्तर पर बाढ़ की स्थिति पर काम कर रहे एक वरिष्ठ पत्रकार ने डाउन टू अर्थ को बताया, “जब से बाढ़ ने दस्तक दी और वह गंभीर स्तर पर पहुंची तब तक करीब 10 दिन का समय सरकारी एजेंसियों को मिला था कि वह बाढ़ से बचाव के कुछ काम कर सकती थीं। हालांकि, कुछ ठोस नहीं किया गया। 14 अगस्त, 2025 से पंजाब बाढ़ प्रभावित हुआ है और सही मायने में 25 अगस्त के बाद बाढ़ वीभत्स हुई और तब जाकर सरकारी एजेंसियां सक्रिय हुई हैं।”
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वर्ष 5 जून, 2025 को बाढ़ से बचाव को लेकर बैठक राज्य में की गई थी। हालांकि, 22 जून को दक्षिणी पश्चिमी मानसून ने पंजाब में दस्तक दिया और करीब दो महीने बाद पंजाब की प्रमुख चार नदियां सतलज, ब्यास, रावी और घग्गर में इस कदर सैलाब आया और हाहाकार मच गया। लेकिन नुकसान हो या फिर प्रभावित लोगों की संख्या का मामला यदि केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट देखें तो 27 अगस्त से पहले बाढ़ को लेकर न ही कोई सक्रियता थी और न ही बाढ़ का कोई खास प्रभाव माना जा रहा था।
जबकि आईएमडी के मुताबिक, इस बीच हिमाचल और पंजाब दोनों जगहों पर भारी वर्षा के कई स्पेल पड़े और लोग प्रभावित हो रहे थे। स्थानीय मीडिया रिपोर्टस में 17 अगस्त के आस-पास से ही पीड़ितों की रिपोर्ट लिखना शुरू हो गई थी। राज्य सरकार के एक मंत्री ने 17 अगस्त को ही प्रेस कांफ्रेंस में 32 वर्ष बाद आई ऐसी बाढ़ और उसकी स्थितियों के लिए मदद न मिलने का आरोप केंद्र पर लगाया।
स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि वह स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से बात करके बाढ़ के राहत, बचाव, नुकसान और पीड़ितों की संख्या को लेकर आंकड़े रिपोर्ट में लिख रहे थे, कोई ऐसा मैकेनिज्म नहीं था, जिससे व्यापक तौर पर बाढ़ की सही तस्वीर का अंदाजा लगे।
एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, बाढ़ शुरू होने के बाद से ही आंकड़ों की गलत रिपोर्टिंग हो रही थी। तीन सितंबर के आस-पास से मीडियाकर्मियों के व्हाट्स एप पर अब बाढ़ संबंधी जानकारी भेजी जा रही है, जिसे सभी रिपोर्ट कर रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से स्थानीय पत्रकारों को भेजी जा रही स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, 5 सितंबर, 2025 तक पंजाब में 43 लोग मर चुके हैं। 1,902 गांव डूबे हैं और करीब 3.84 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। वहीं, 1.7 लाख हेक्टेयर फसल का नुकसान हो चुका है और अभी तक 20 हजार लोगों को बाढ़ क्षेत्रों से निकाला गया है।
क्या यह आंकड़ा अब केंद्रीय जल आयोग के बाढ़ स्थिति आंकड़ों से मिलान रखता है। डाउन टू अर्थ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पोर्टल पर लेटेस्ट तीन सितंबर की मौजूद सिचुएशन रिपोर्ट को देखा। इस रिपोर्ट में कहा गया है, “पंजाब में भारी बारिश और रणजीत सागर बांध से पानी छोड़े जाने के बाद 27 अगस्त 2025 से राज्य में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। अमृतसर, बरनाला, फरीदकोट, गुरदासपुर, लुधियाना, मानसा, मोगा, पटियाला, रूपनगर, श्री मुक्तसर साहिब, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला और एसएएस नगर जैसे 13 जिले इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए हैं। अब तक कुल 1247 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें पिछले 24 घंटों में 150 गांव शामिल हैं। इस दौरान 37 लोग लापता और 21 घायल हुए हैं, जबकि 3,54,632 लोग प्रभावित हुए हैं। राहत और बचाव कार्यों के तहत 19,597 लोगों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में भेजा गया है।
कृषि पर भी भारी प्रभाव पड़ा है और लगभग 1,48,431 हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित हुई है। केंद्रीय सरकार ने बचाव और राहत कार्यों के लिए सेना के 13 कॉलम, 22 एनडीआरएफ टीमें और भारतीय वायुसेना के 3 एमएलएच व एक चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं, जो पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में राहत कार्यों में जुटे हुए हैं।
यानी काफी नुकसान हो जाने के बाद और दबाव के बाद हलचल तेज हुई है और नुकसान की रिपोर्टिंग बढ़ाई गई है।
बाढ़ के वक्त प्रशासन क्यों नहीं समय पर सक्रिय हो पाया? इस सवाल पर कुछ अधिकारियों का कहना है कि पहले बाढ़ से बचाव को लेकर जो बैठके होती थी उनका समय फरवरी और मार्च हुआ करता था, हालांकि इस बार जून में बैठक की गई और यह संभव नहीं था कि सिर्फ चंद दिनों में करीब 2800 किलोमीटर धूंसी बांध और 23 जिलों में नालों की सफाई हो जाती।
पंजाब के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक होशियारपुर में पोंग डैम के पास रहने वाले ज्योति स्वरूप जो कि गैर लाभकारी संस्था उन्नति को-ऑपरेटिव सभा के फाउंडर हैं, वह बताते हैं, हिमाचल में जोरदार बारिश हो रही थी। पोंग डैम पर पानी का दबाव लगातर बढ़ रहा था लेकिन इतनी ज्यादा सिल्ट मौजूद थी कि पानी छोड़ने पर स्थिति और खराब हो जाती। इसलिए बहुत कम समय में डी-सिल्टेशन का काम शुरु हुआ लेकिन 25 अगस्त तक पानी का दबाव डैम पर इतना ज्यादा था कि उसे छोड़ना पड़ा और उसके चलते सब जलमग्न हो गया।
ज्योति स्वरूप बताते हैं कि राज्य सरकार ने जिला स्तर पर इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी और स्थानीय गैर सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर राहत का काम बाढ़ क्षेत्रों में शुरू किया है। उनकी संस्था इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ मिलकर लोगों को 20 से 22 गांव में पका हुआ और कच्चा राशन पहुंचा रही है।
अभी पंजाब के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में बाढ़ का पानी कम होना शुरू हो गया है। 4 सिंतबर को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब पहुंचकर नुकसान के आकलन और क्षतिपूर्ति के लिए मदद का आश्वासन दिया है। हालांकि, अब मदद को लेकर राजनीति शुरू हो गई है।