कमोबेश हर साल आनेवाली बाढ़ बिहार में दर्जनों लोगों की जान लेने के साथ ही हजारों लोगों को विस्थापित तो करती ही है, इससे खेतीबाड़ी को भी बड़ा नुकसान होता है। इस साल आई बाढ़ और सुखाड़ के कारण खेतीबाड़ी को लगभग 1000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, भीषण बाढ़ के कारण इस साल 30 जिलों के 6,63,776 हेक्टेयर में लगी फसलों को 33 प्रतिशत और उससे अधिक का नुकसान हुआ है।
वहीं, करीब 17 जिलों के 141,227 हेक्टेयर में इस साल खेती ही नहीं की जा सकी। इसकी वजह थी- बाढ़ या सुखाड़ के चलते फसल को नुकसान हो जाने का खतरा।
किशनगंज जिले के दल्ले गांव किसान मो. रेहान ने डाउन टू अर्थ को बताया, “मेरे पास एक एकड़ जमीन थी, जिस पर मैंने आशंका से खेती नहीं की थी कि कहीं नदी में जलसतर बढ़ने से खेत कट न जाए।”
रेहान की तरह ही हजारों किसानों ने फसल बर्बाद हो जाने की आशंका में इस बार खेती नहीं की थी।
यहां ये भी बता दें कि इस साल पिछले साल के मुकाबले 6744 हेक्टेयर अधिक खेतों में खरीफ सीजन में बुआई खास कर धान की बुआई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक, लक्ष्य से 1.31 प्रतिशत कम रकबे में बुआई की जा सकी। करीब 1.31 फीसदी कम रकबे में धान की खेती होने से 3 लाख 24 हजार 577 टन धान की पैदावार कम होने के अनुमान लगाया गया था।
इस बीच, बाढ़ आ जाने से जहां बुआई हुई, वहां भी हुआ है। कृषि विभाग के आकलन के मुताबिक, बाढ़ व अतिवृष्टि से फसल को हुए नुकसान का आकलन 902.08 करोड़ रुपए किया गया है। वहीं, फसल नहीं लगाने से हुए नुकसान का आकलन 96.03 करोड़ हुआ है। कुल मिलाकर कृषि को 998.11 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट ब्लॉक के कुम्हरौली गांव निवासी विनय शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि इस बार उन्होंने दो एकड़ खेत में धान की खेती की थी, जो बाढ़ के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
गायघाट ब्लॉक क्षेत्र में बागमती नदी से बाढ़ आती है। विनय शर्मा ने कहा कि बिहार सरकार की तरफ से तटबंध बना दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद यहां बाढ़ आती है। उन्होंने ये भी कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी क्षति का आकलन कर ले गये हैं, लेकिन मुआवजे के रूप में जो पैसा मिलेगा, उससे नुकसान की कितनी भरपाई हो पाएगी, कहना मुश्किल है।
11 अक्टूबर को हुई राज्य मंत्रीपरिषद की बैठक में पहली बार उन किसानों को भी मुआवजा देने का निर्णय लिया गया, जो बाढ़ के कारण बुआई तक नहीं कर पाए। बैठक के बाद बताया गया कि मंत्री परिषद ने बाढ़ एवं अतिवृष्टि के कारण जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उनके लिए 550 करोड़ रुपए की राशि को स्वीकृति दी है, जबकि फसल लगाने वंचित रह गए किसानों के लिए 100 करोड़ रुपए मुआवजे का प्रावधान किया गया है।
10 सालों में 2165.7 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद
इस बार बिहार में बाढ़ का असर मई से ही दिखने लगा था और अब तक कम से कम तीन बार बाढ़ आ चुकी है। इसके अलावा अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान के कारण बिहार में ज्यादा बारिश हुई। इस वजह से नये सिरे से खेतों में पानी प्रवेश कर गया।
सीतामढ़ी जिले के रुन्नी सैदपुर ब्लॉक के मानिक चौक गांव निवासी 75 वर्षीय जगरनाथ भगत ने कहा, “इस बार बाढ़ का तो उतना असर नहीं था, लेकिन भारी बारिश के कारण खेतों में लम्बे समय तक जलजमाव रहा जिससे फसल को नुकसान पहुंचा है।” उन्होंने बताया कि उनकी एक बीघा में लगी धान की फसल पूरी तरह खराब हो गई है।
आपदा प्रबंधन विभाग की 10 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के तीन जिलों सहरसा, समस्तीपुर और वैशाली के 57 गांव अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ से अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विभाग की तरफ से नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट आपदा प्रबंधन विभाग को भेज दिया गया है। क्षति के अनुसार ही आपदा प्रबंधन विभाग किसानों को मुआवजा देगा।
पिछले 10 वर्षों में बाढ़ से फसलों को हुई क्षति के आंकड़ों को देखें, तो इस साल सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
आपदा प्रबंधन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, साल 2010 से 2019 के बीच बाढ़ के कारण 2165.7 करोड़ रुपए की फसल का नुकसान हुआ था जबकि अकेले इस साल 998 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जो पिछले 10 साल के आंकड़ों का लगभग 50 प्रतिशत है। पिछले 10 सालों के आंकड़े देखें, तो फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान साल 2017 में आई बाढ़ के चलते हुआ था।
आंकड़े बताते हैं कि साल 2017 में 68587 लाख रुपए की फसल का नुकसान हुआ था जबकि साल 2016 में आई बाढ़ से 51977.4 लाख रुपए की फसल खराब हो गई थी।
मछली पालकों को 4000 करोड़ का नुकसान
किसानों के साथ साथ मछली पालकों को भी इस बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। इनमें से ज्यादातर मछली पालक वे हैं, जिन्होंने तालाबों में मछलियां पाल रखी थीं।
मत्स्यजीवी संघ से जुड़े नेता ऋषिदेव कश्यप ने कहा कि बाढ़ प्रवण क्षेत्रों के 20 हजार से ज्यादा तालाबों में मछली पालन हो रहा था। भारी बारिश और बाढ़ के कारण तालाब भी भर गये, जिससे सारी मछलियां बाहर निकल गईं। उन्होंने कहा कि इससे मछुआरों को 4000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो गया है।